आज क्रिकेट खेलने के बाद तुरंत ही कंप्यूटर पर दस्तक दी, मन मे खुशी थी। पर मम्मी जी ने खबर दी सद्दाम को फांसी को दे दिया गया। मन मे अफसोस था। अमेरिकी दबाव मे जो कुकर्म किया गया वह गलत एवं एक तरफा था। मै इस न्याय नही कहूँगा यह अन्याय को दबाने के लिये अन्याय का प्रयोग किया गया। अमेरिकी नीतियॉं कभी विश्व मे हित मे नही रही है। अगर अमेरिकी नापक इरादो को न रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब विश्व का कोई देश उसके नापाक इरादों से बच पाये। सद्दाम दोषी था उसे फांसी दिया जाना सही था किंतु जिस प्रकार यह किया गया क्या वह सही था?
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7 टिप्पणियां:
क्यों भई, क्या ग़लत है? बाक़ायदा पूरा ट्रायल तो हुआ, और क्या चाहिए?
सजा पहले ही तय कर दी गई थी, ट्रायल बादमें शुरू हुआ.
ताकत का खेल है, किसी से हमदर्दी नहीं पर सद्दाम भारत के मित्र थे.
अगर सद्दाम को 148 शियायों की हत्या के एवज मे फ़ांसी दी जा सकती है तो बुश को लाखों अफ़गानी और तमाम निर्दोष इराकियों के कत्लेआम का भी सजा झेलने के लिये तैयार रहना चाहिये।
होना तो अंत यही था, मगर थोड़ी जल्दबाजी में किया गया सारा कार्य कहीं न कहीं न्याय न दिख कर द्वेषवश की गई कार्यवाही नजर आता है.
इन्टरनेट का कनेक्शन ठीक न होने के कारण मै उपपस्थिति न हो सका। आप सभी को आपके अनमोन कथन के लिये धन्यवाद
प्रतीक जी, गलत तो कुछ भी नही क्या पर सही क्या था? सद्दाम एक राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष था वह अपने देश मे किसी भी प्रकार की नीति निर्धारण के लिये स्वतंत्र था । क्या हत्या केवल ईराक मे नही हुई। क्या मुलायम सिंह ने अयोध्या मे कारसेवको की हत्या नही करवाई थी। सद्दाम के लिये यह सजा है तो इनके लिये भी सही है।
यह तो सजा नही है, ट्रयाल बाँल फेकते-2 तो सीर्ध क्लीन बोल्ड कर दिया गया। अमेरिका अपनी मुखयई चीन कोरिया या अन्य सम्पन्न देशो के क्यो नही दखिता है वहाँ के शासन के द्वारा भी तो सैकडो नागरिको की हत्या की गई है। अमेरिका जान रहा है कि वहॉं हस्तक्षेप करने का अर्थ है अपनी औकात का आकलन करना। सद्दाम के खिलाफ की गई कार्यवाही तेल के खेल का अंग था और अमेरिका इस खेल मे निर्णायक बढत ले लिया है, और यह बढत भारत कि ओर कब मुँह कर ले हमे सावधान रहता चाहिये।
कुछ तेल का खेल था कुछ बेटे ने बाप का बदला पूरा किया।
दोस्तो मे आप की बात से सहमत हु के सद्दाम के साथ न्याय नही हुआ
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