इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय का एतिहासिक फैसला



 इलाहाबाद उच्च न्यायालय के भवन का छायाचित्र
 इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court)
आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं है। न्यायालय ने कहा कि चूंकि मुस्लिमों की जनसंख्या उत्तर प्रदेश में 18% से ज्यादा है इसलिये इन्हें अल्पसंख्यक कहा जाना गलत है। न्यायालय ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे जिले है जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या 40% से ज्यादा है।

नवीन जनगणना के अनुसार न्यायालय ने कहा कि भारत की आजादी के समय से घोषित अल्पसंख्यक सदा हमेशा के लिये अल्पसंख्यक घोषित नहीं रह सकते है। जैसा कि अल्पसंख्यकों के सम्बन्ध में आजादी के समय अल्पसंख्यकों के सम्बन्ध में 5% कम को ही अल्पसंख्यक माना जाए। जो कि आजादी के समय हिन्दू धर्म के अलावा सभी धर्मों की जनसंख्या 5% से कम थी जो कि आज मुस्लिम समुदाय आज 18% से ज्यादा है।
न्यायालय के इस आदेश के बाद यह तय हो जाता है कि मुस्लिम समुदाय जो पिछले कई दशकों की अल्पसंख्यक सुख भोग रहे थे वह अब नहीं भोग पाएंगे।


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8 टिप्‍पणियां:

चलते चलते ने कहा…

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने सही फैसला दिया है। ऐसे फैसले अन्‍य राज्‍यों में भी आने चाहिए।

बेनामी ने कहा…

सही फैसला।

Unknown ने कहा…

वाकई एक बेहतरीन फैसला

बेनामी ने कहा…

साधू साधू.

भगावन भला करे न्यायालय का. वरना इन नेताओं ने तो....

Udan Tashtari ने कहा…

सही है.

ghughutibasuti ने कहा…

अल्प संख्यक आदि तो नेहरू के युग से वोट बैंक थे।

घुघूती बासूती

अनुनाद सिंह ने कहा…

भारत में अलपसंख्यकवाद ने बहुत नुकसान पहुँचाया है। विद्वान न्यायधीश का यह कदम लीक से हटकर उनके सोचने का परिणाम है। यह निर्णय भारत के भविष्य के लिये बहुत शुभकर सिद्ध हो सकता है। ये भी विचारने वाली बात है कि माइनोरिटी-माइनोरिटी का शोर चारो तरफ सुनाई पड़ता है, किन्तु किसी ने इसके तार्किक पक्ष पर यह सीधा सा सवाल नहीं उठाया कि आखिर अल्पसंख्यक कहा किसे जाय?

बेनामी ने कहा…

Bilkul sahi faisala hai jo alpsankhyak nahi hai usi par sarkaar apana tan man dhan lutaye ja rahi hai