ब्रह्म देव की भावनाओं का समादर करते हुए एक देव ने निवेदन किया कि आप हिमालय पर गौरी शंकर की चोटी पर चले जायें। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि वहाँ भी मुझे चैन नहीं मिलेगा उस स्थान पर भी तेन सिंह नोर्क और एडमंड हिलेरी आदि पहुँच चुके है। किसी अन्य देवता ने सलाह दिया कि आप प्रशान्त महासागर में चले जाइये तो किसी ने कहा कि चन्द्रमा पर तो ब्रह्मदेव ने कहा कि वैज्ञानिक वहाँ भी पहुँच गये है। फिर किसी ने कहा कि अन्तरिक्ष में चले जाये तो फिर ब्रह्मदेव बोले अगले 6 माह तक सुनीता वहां निवास करेंगी। तभी देवताओं कि पंक्ति में सबसे बुर्जुग आदमी ने कहा कि आप मनुष्य के हृदय में बैठ जाइये।
ब्रह्मा जी को अनुभवी की बात जंच गई और सलाह मान लिया उस दिन से मनुष्य शिकायत के लिये ब्रह्म देव को यहां वहां सब जगह खोजता फिर रहा है किन्तु ब्रह्म देव नहीं मिल रहे है क्योंकि व्यक्ति अपने अन्दर ब्रह्म देव को नहीं पुकार रहा है। उस दिन से ब्रह्मा जी चैन की बंसी बजा रहे है।
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7 टिप्पणियां:
लिखा हुआ दोहरा नहीं रहे हैं |
काश, लोग इस बात को समझ पाते।
अच्छा लिखा है, लिखते रहें।
सही जगह पकड़ी है..
जानते हैं कि लोग अन्दर नहीं देखेंगे।
प्रेरक है और लिखे
aapko ye kahani kis ne sunayi... Kya aap us waqt wahan the... mangadat baat hai. koi nahi bataa sakta ki bhagwan kahan rahte hai.....
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