कतिपय एक ब्लॉग के लेख पर ब्लॉग मालिकों द्वारा की जा रही है दूसरों के नाम पर टिप्पणियाँ जो गलत है और ब्लॉगिंग मर्यादा के खिलाफ है। हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रतिष्ठित सदस्यों से अनुरोध है कि मामले की गंभीरता देखते हुए उचित कार्यवाही करे। चूंकि दूसरे के नाम की टिप्पणी खुद करना, शोभनीय नहीं है। आखिर कोई किसी के लेख को कैसे बिना अनुमति के टिप्पणी के रूप में ले सकता है? लेख अपनी जगह मायने रखता है और टिप्पणी अपनी जगह।विषय की गंभीरता को देखें क्योंकि यह हिन्दी चिट्ठाकारिता को ठेस पहुँचती है।
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5 टिप्पणियां:
इस शिकार लोकमंच हुआ है और शिकारी मोहल्ला है... यह निन्दनीय है।
प्रमेन्द्र जी,
मैं आपसे सहमत हूँ।
प्रिय प्रमेन्द्र और बन्धुओं,
ब्लॉग संचालक द्वारा 'न की गई टिप्पणियों' को अपने ब्लॉग पर टिप्पणी के तौर पर डाल देना ग़लत है ,भले ही उन्हें किन्ही चिट्ठों से लिया गया हो और उन्हीं लेखकों के नाम से टिप्पणियाँ छापी जा रही हों । इसे पत्रकारीय कौशल नहीं तिकड़म कहा जाएगा । सम्भव है कि उक्त टिप्पणियाँ जिनके नाम से छापी गयी हैं वे उक्त चिट्ठे पर गये ही न हों ।
कुछ टिप्पणीकर्ता भी कभी-कभी अपनी छपी प्रविष्टि को दूसरों के चिट्ठों पर बतौर टिप्पणी डाल देते हैं - इसे तो झेलना ही होगा क्योंकि यह स्वयं लेखक कर रहा है, दूसरा नहीं ।
प्रमेन्द्र की बहस अक्षरग्राम पर सार्वजनिक करने लायक है ।
शिकार हुए लोगों से तमाम मतभेदों के बावजूद यह नि:संकोच कह रहा हूँ ।
मै ऐसे कृत्यों की भ्रत्सना करता हुँ...
सचेत रहें
इस विषय पर बहस होनी चाहिए, तथा ऐसे कामो में लिप्त लोगो की भ्रत्सना होनी चाहिए.
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