त्रिफला आयुर्वेद में कई रोगों का सटीक इलाज करता है। यह 3 औषधियों से बनता है। बेहड, आंवला और हरड इन तीनों के मिश्रण से बना चूर्ण त्रिफला कहा जाता है। ये प्रकृति का इंसान के लिए रोगनाशक और आरोग्य देने वाली महत्वपूर्ण दवाई है। जिसके बारे में हर इंसान को पता होना चाहिए। ये एक तरह की एन्टिबायोटिक है। त्रिफला आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान पर मिल सकता है। लेकिन आपको त्रिफला का सेवन कैसे करना है और कितनी मात्रा में करना है ये भी आपको पता होना चाहिए। हाल में हुए एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है की त्रिफला के सेवन से कैंसर के सेल नहीं बढ़ते । त्रिफला के नियमित सेवन से चर्म रोग, मूत्र रोग और सिर से संबन्धित बीमारियां जड़ से ख़त्म करती है।
त्रिफला के फायदे
- सांस सम्बंधी समस्या
त्रिफला का प्रयोग सांस से जुड़े रोगों के उपचार में भी किया जाता है। त्रिफला के नियमित सेवन से सांस लेने पर होने वाली समस्या दूर होती है और फेफड़ों के संक्रमण (Lungs Infection) में भी फायदा होता है। - मोटापा
ज्यादा मोटापे या चर्बी से परेशान लोगों को त्रिफला के सेवन की सलाह दी जाती है। त्रिफला, शरीर से वसा (Fat) को कम करता है, जो मोटापे को दूर करने में मदद करता है। - डायबिटीज में उपयोगी डायबिटीज या शुगर के इलाज में त्रिफला बहुत प्रभावी औषधि होती है। यह पेन्क्रियाज को प्रभावित करता है, जो रक्त में इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता की मात्रा है और इंसुलिन, शर्करा के स्तर को संतुलित रखता है।
- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएजो लोग कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण बार- बार बीमार होते हैं, उन्हें त्रिफला का सेवन करना चाहिए। त्रिफला के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सभी प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। इसके अलावा यह शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा को बढ़ाता है, जो एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और शरीर को जीवाणुओं से मुक्त रखता है।
- एंटी- ऑक्सीडेंट
त्रिफला का सेवन रोजाना करना चाहिए। क्योंकि इसमें एंटी- ऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं, जो बढ़ती उम्र के असर को कम करता है और आपको उम्र के अनुसार ज्यादा जवां रखता है। - रक्त शोधक
त्वचा से जुड़े रोगों के उपचार में भी त्रिफला अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। त्रिफला, शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालकर ब्लड यानि खून साफ करता है और त्वचा संबंधी समस्याओं से आराम दिलाता है। - पेट के रोगों में लाभदायक
त्रिफला की तीनों जड़ी- बूटियां (हरड़, बहेड़ा व आंवला) शरीर की आंतरिक सफाई करती हैं। त्रिफला चूर्ण को गौमूत्र के साथ सेवन करने से अफारा, पेट दर्द, प्लीहा वृद्धि आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है। - सिरदर्द में लाभदायक
आज की भागदौड़ वाली जीवनशैली के कारण तनाव या सिरदर्द जैसी समस्या आम बात हो गई है। इस तरह की समस्या को दूर करने में त्रिफला लाभकारी हो सकता है। त्रिफला, हल्दी, नीम की छाल, गिलोय आदि को पानी में तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। बाद में इस पानी को छानकर सुबह- शाम गुड़ या शक्कर के साथ सेवन करें। ऐसा करने से तनाव, अवसाद, सिरदर्द आदि की समस्याएं दूर हो जाती है। - कब्ज में कारगरकब्ज की परेशानी में त्रिफला बहुत ही कारगर साबित होता है। इसके सेवन से कब्ज की पुरानी से पुरानी समस्या भी दूर हो जाती है। रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण को गर्म दूध या गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज की परेशानी में आराम मिलता है।
- आंखों की रोशनी बढ़ाए
त्रिफला का रोजाना सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगोकर रखें और सुबह भिगोए हुए त्रिफला को मसल और छानकर आंखों को धोएं। ऐसा करने आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगो कर रखें और शाम पानी छानकर पीएं। यह आंखों से जुड़ी सभी समस्याओं को दूर करता है। - मुंह की दुर्गन्ध दूर करे
यदि आपके मुंह से दुर्गंध आती है तो त्रिफला आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है। एक गिलास ताजे पानी में एक चम्मच त्रिफला दो से तीन घंटे के लिए भिगोएं और बाद में इस पानी अच्छी तरह कुल्ला करें, मुंह की दुर्गंध से छुटकारा अवश्य मिलेगा। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण से मंजन करने से भी मुंह के छाले और मुँह की दुर्गन्ध भी दूर होते हैं। - हीमोग्लोबिन बढ़ाए
यदि आप एनीमिया या खून की समस्या से परेशान हैं तो त्रिफला आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ती व संतुलित रहती हैं जो रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने का काम करती है।
वैसे तो त्रिफला बिल्कुल सुरक्षित और असरदार आयुर्वेदिक दवा है लेकिन अगर इसे बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के लेते रहने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल, पुराने जमाने में लोगों को एक साथ कई रोग नहीं होते थे लेकिन आज व्यक्ति को एक साथ की रोग होते हैं। ऐसे में अगर वह बिना डॉक्टर की सलाह पर त्रिफला या ऐसी अन्य दवाएं लेता है तो हो सकता है कि उसे दूसरी समस्याओं का सामना करना पड़े।
- गर्भावस्था में परहेज
त्रिफला की तासीर गर्म और खुश्क होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को त्रिफला का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान त्रिफला का सेवन करती है तो इससे घबराहट, पेचिश व अन्य समस्याएं हो सकती हैं। - डायरिया
त्रिफला अकसर गैस्ट्रिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार बिना परामर्श के अधिक मात्रा में सेवन करने से डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा इसका दुष्प्रभाव शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन की समस्या भी पैदा कर सकता है। - अनिद्रा की समस्यात्रिफला का अत्यधिक सेवन करने से कई बार लोगों को अनिद्रा (नींद न आना) की परेशानी हो जाती है
- ब्लड प्रेशर पर प्रभाव
त्रिफला के अधिक सेवन से लूज मोशन यानी दस्त की शिकायत हो जाती है, जिससे रोगी का ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है। ऐसे स्थिति में ब्लड प्रेशर के मरीज को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
त्रिफला लेते समय ये सावधानियाँ रखें
- 6 साल से कम उम्र के बच्चों को त्रिफला न दें।
- कुछ लोगों को त्रिफला के सेवन से ज़्यादा नींद आती है।
- त्रिफला सेहत के लिए वरदान है लेकिन प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान इसका सेवन न करें।
- रात में त्रिफला के सेवन से कुछ लोगों में ज़्यादा मूत्र आने की समस्या भी पायी जाती है इसलिए ऐसी शिकायत होने पर रात्रि में इसका सेवन न करें।
- अगर आप लम्बे समय तक इसका सेवन करते हैं तो इसकी मात्रा कम लें और छोटी अवधि के लिए त्रिफला का सेवन करें तो त्रिफला अधिक मात्रा में ले सकते हैं।
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