मैने गत दिनों एक पोस्ट "आजा मेरी गाड़ी मे बैठ जा" अपने अन्य Timeloss : समय नष्ट करने का एक भ्रष्ट साधन पर डाला था उसमे बैठने के लिसे 9 यात्रियों ने लिफ्ट माँगा था। चूकिं मै 9 इन लिये नही कह रहा कि मुझे नौ टिप्प्णियॉं मिली थी। कारण यह है समीर लाल जी, यह कारण भी नही है कि उन्होने दो बार टिप्प्णी कि मुख्य कारण है समीर लाल जी की साईज, समीर लाल जी के साईज के हिसाब से उनका दोहरा टिकट लगता है।
चलिए यह तो टिकट का मामला था किसी तरह समीर लाल जी ने इसे निपटा लिया किन्तु समीर लाल जी सहित नौ यात्रियों की समस्या थी कि गाड़ी रुक ही नही थी, इसका भी कारण था कि टिप्प्णी के रूप में कोई लेडिस सवारी दिख नहीं रही थी। :)
भारत की गाड़ियों में एक स्लोगन देखने को मिलता है वो है - बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला, उसी प्रकार मेरे पोस्ट के अंत में यह स्लोगन है-
जो मेरे ब्लॉग पर आया है और पढ़ कर बिना टिप्पणी के जायेगा।
मेरी बद्दुआ है कि उसके अगले लेख की मांग का सिंदूर उजड़ जायेगा।
मांग का सिंदूर उजड़ तात्पर्य है कोई टिप्प्णी न आने से है। ;)
यह कहने का भी एक कारण है कल मैने साभार एक लेख कट पेस्ट किया था लगभग एक दर्जन बन्धु दर्शन देने आये थे किन्तु मेरी कट पेस्ट और जागरण पर पढने की मेहनत पर थूकना(कुटिप्पणी करना कि अच्छा कट पेस्ट किया है भाई) भी उचित नही समझा। अब एक सूनी माँग के मुँह से श्राप नही तो फूल झडे़गा। ;)
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3 टिप्पणियां:
ऐसा श्राप न दो लोगों को, हे महाशक्ति!! थोड़ा रहम खाओ! :)
अब जब महाशक्ति हैं तो शक्ति का दुरूपयोग न करेंगे तो नाम सार्थक कैसे होगा ? सोचो उडन तश्तरी जी ! वैसे गंजों को क्या श्राप मिलेगा?
घुघूती बासूती
जब पहचाने ही नही तो क्या कहें ,कह तो रहे थे कि गाड़ी वाले गाडी धीरे हांक रे ।
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