हाल में ही मुझे गणेश जी की चित्र की आवश्यकता हुई और मैंने गूगल की शरण लिया तो देखा तो उपरोक्त चित्र पाया, इसे देख कर मन में क्षोभ भी उत्पन्न हुआ। कि विश्व में किस तरह हिन्दू देवी देवताओं का अपमान किया जाता है। और विभिन्न कंपनियां अपने प्रचार में उनका प्रयोग करते है। अगर ईसा और मुहम्मद साहब के सम्बन्ध में यह ठीक नहीं है तो क्या गणेश जी के सम्बन्ध मे यह कहाँ तक उचित है।
एक कम्पनी तो विभिन्न देवी देवताओं के चित्र वस्त्रों पर प्रिंट है। वस्त्रों की बात तक तो ठीक थी पर उसे अन्त: वस्त्रों पर प्रिंट करना क्या हिन्दू भावनाओं को चोट पहुँचने के लिये नहीं है। तनिक विचार करें कि क्या यह उचित है ?
एक कम्पनी तो विभिन्न देवी देवताओं के चित्र वस्त्रों पर प्रिंट है। वस्त्रों की बात तक तो ठीक थी पर उसे अन्त: वस्त्रों पर प्रिंट करना क्या हिन्दू भावनाओं को चोट पहुँचने के लिये नहीं है। तनिक विचार करें कि क्या यह उचित है ?
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5 टिप्पणियां:
सवाल मुहम्मद, ईसा या दूसरे किसी मज़हब के देवता का नहीं है। सवाल है कि लोग ठीक ढ़ंग से सोचने की क्षमता क्यों खो चुके हैं और उनका हृदय मृत क्यों है?
समस्या ये नही समस्या येह है की कुछ लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ दूसरो को प्रताडित कर ही सुखी हो पाते है
और हिन्दू प्रतिकार करने के बजये समर्थन मे खडे होते है गांधी का चित्र चप्पल पर छापना ये स्ब धृक कर्म इसी श्रेणी मे है आप भैया ये सब छॊड कर कविता वहैरा लिखिये बेकाएर वाले कार के फ़ोटो छापिये वर्ना आप के इस तरह के कार्यो से नारद को परेशानि होति है
मुझे लगता है इनको ignore करना ही बेहतर है....... और विरोध करना हो तो भी इन चित्रो का सहारा न ले.. मैने अभी तक नही देखा लेकिन आज देख लिया.. अगर बात केवल शब्दों मै होती (या कोई एक चित्र )तब भई मेरा विरोध इतना हई मुखर होता.. इस प्रकार के चित्र internet के डालने से इनका और अधिक प्रचार होता है.. अगर मै search करु तो गूगल मुझे शायद आपकी site पर भी ले जाये..
एसा ही कुछ कल दिन भर INDIA TV और दुसरे कई समाचार चैनलों पर भी दिखा..
१. bar girls का dance. पहले मेले मै.. फिर थाने मै.. और दिन भर TV पर
२. press conf का kissing seen दिन भर TV par..
कहने का तात्पर्य यह कि हम विरोध इस तरह करे कि जिसका विरोध हो उसे भी हवा न मिले.. बुराइ और न फैले..
मैं इन चित्रों को देख कर हैरान हो गया. इस तरह के चित्र भारतीय संस्कृति का अपमान है.
यदि भारतीय जाल-उपभोक्ता संगठित होकर इसका विरोध करें तो उसका असर निश्चित रूप से होगा.
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