आज (30 जून) मुझे ब्लॉगिंग की दुनिया में आये एक साल हो रहे है। आज के ही दिन मैंने कई पोस्ट एक साथ पब्लिस की थी। जिसमें से आज केवल दो का ही अस्तित्व है। कुछ पोस्ट विकिपीडिया से कॉपी करके किया था, कुछ आपत्तियों के बाद मैंने उसे हटा दिया था, पर खेद की उसके साथ मेरी कई अनमोल टिप्पणी का अस्तित्व समाप्त हो गया। अर्थात न पहली पोस्ट रही और न ही पहली टिप्प्णी।
मै ब्लॉगिंग की दुनिया मे कैसे आया मुझे नहीं पता, और जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की तो मुझे पता भी नही था जो मै कर रहा हूँ उसे ब्लॉगिंग के नाम से परिभाषित किया जाता है। शायद मै पहला शक्स रहा हूँगा कि जो बिना किसी उद्देश्य के इस क्षेत्र में आया था। मुझे कम्प्यूटर पर हिन्दी पढ़ना काफी अच्छा लगता था। और मै विकी से कोई एक यूनीकोड शब्द कॉपी करके उसे गूगल सर्च के खोजता था, और इस तरह मुझे काफी माल मसाला पढ़ने को मिल जाता था। चूंकि हिन्दी ब्लॉग में ही सर्वाधिक यूनिकोड का प्रयोग होता था। और सबसे अधिक पढ़ने को मिलता था ब्लॉग। फिर अचानक एक दिन अचानक ब्लॉग के ऊपर Create Blog और | Sign In शब्द मिला और मैंने रजिस्टर करके विकी से कुछ लेख डाल दिया। फिर अचानक एक दिन भूचाल आ गया और मेरे पास कई वरिष्ठों की ईमेल आई, जो काफी धमकी भरी थी। फिर देखा तो लेखों पर टिप्पणी भी आई थी। तब मुझे पता चला कि लेखों को पढ़ने के बाद यह औपचारिक भी निभानी होती है। खैर यह विवाद मेरे लिये काफी अच्छा और मनभावन था जिसे मैने पूर्ण रूप से इनज्वाय किया। मुझे इस विवाद का कई शोक नही है शायद यह विवाद न होता तो मै भी न होता। इसलिये जो होता है अच्छा ही होता है। मेरे ख्याल से प्रमेन्द्र जीतू विवाद मेरे बचकाने पन से ज्यादा कुछ नही था।
फिर अचानक एक दिन जन-गण-मन को लेकर अमित जी से काफी लंबी चर्चा हुई। और परिचर्चा पर मुझे बुलाया। और परिचर्चा तो मेरे लिये एक प्रकार से संजीवनी थी एक अच्छा मंच था। यह दूसरी बात है कि व्यक्तिगत व्यवहार के कारण काफी दिनों तक सक्रिय न रह सका और वहां का माहौल मेरे कारण खराब न हो इस लिये लगा कि पलायन की सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। आखिर एक दिन विवादों के कारण अनूप जी से सम्पर्क हुआ और उन्होंने मुझसे मेरा फोन नंबर मांग कहा कि मै तुमसे बात करना चाहता हूँ। फिर मैंने गूगल के जरिए खोजा कि आखिर ये महाशय कौन है? पता चला कि हिन्दनी पर लिखते है। काफी लंबी और विस्तृत बात हुई।
फिर धीरे धीरे समीर लाल जी, सागर भाई, प्रतीक जी, संजय और पंकज भाई, शैलेश जी, गिरिराज जी डा0 प्रभात जी और कई बंधुओं से संपर्क हुआ। नाम की लिस्ट बहुत बड़ी है लिखते लिखते कई पेज भर सकते है। मुझे विवाद कभी प्रिय नहीं रहा किंतु मुझे लगा कि कई बार मुझे खुद ही विवादों के लिये उकसाया भी गया, मैने भी सहर्ष स्वीकार किया। क्योंकि विवादों मे सच्चाई थी और सच्चाई के लिये मेरा सर्वत्र न्योछावर है। शायद ही कोई ऐसा बंधु बचा हो कि जिससे मेरा विवाद न हुआ हो। मुझे लगता था कि मेरी प्रकृति ही लड़ाकू टाइप की होती जा रही है। फिर विचार किया कि दुनिया को बदलना कठिन है, अपने आप को बदलना काफी सरल है और मैंने खुद ही अपने आप को विवादों से दूर किया। काफी दिनों तक कौन क्या कर है मैने सरोकार रखना छोड़ दिया। फिर अचानक एक दिन एक भ्रष्ट ब्लॉग का प्रवेश हुआ जिसका उद्देश्य केवल गंदगी फैलाना था उसे भी लेकर मैने दूरी बनाये रखी। किंतु एक दिन अरूण भाई की पाती और ईमेल मिला और उन्होने मुझे पंगेबाज पर लिखने के लिये आमंत्रित किया। और यह मेरे लिये सौभाग्य था कि मै किसी अन्य के ब्लाग पर एडमाइन के हैसियत से था। मैने उनके ब्लाग पर आये दिन नित प्रयोग करता था और वे कुछ न कहते थे मेरे हर काम पर प्रसन्न रहते थे।
कुछ व्यक्ति ऐसे है जिससे मेरा ज्यादा संपर्क नहीं हुआ जिसका मुझे काफी दुख भी है, ईस्वामी जी, रतलामी जी, आशीष श्रीवास्तव, अनुराग मिश्र, जगदीश भाटिया, नीरज दीवान, उन्मुक्त और अनुनाद जी (और भी कई नाम है) से दूरी मुझे जरूर खलती है। कारण चाहे जो भी हो पर जरूर मेरी ही कुछ कमी है। जिसका मुझे मलाल है।
मेरे ब्लॉगिंग के एक साल कैसे बीते मुझे नहीं पता, मैंने बहुत कुछ पाया है तो बहुत कुछ खोया भी है। मै खोने की चर्चा नही करूँगा। मैने इन 365 दिनों में काफी कुछ सीखा, जो आपके समक्ष के रखा भी। कुछ ने पसंद भी किया और कुछ ने गालियां भी दी। अभद्रता मुझे कतई पसंद नहीं है इस लिये मैने गाली वाली टिप्पणी को मिटाने में कतई संकोच नहीं किया।
इन 365 दिनों मे मैंने कई ब्लॉग पर लिखा, महाशक्ति, अदिति, कविता संग्रह, हिन्द युग्म, टाईम लास, भारत जागरण, पंगेबाज सहित कई अन्य जगहों पर लिखना हुआ और लिख रहा हूँ।
मैंने अब तक महाशक्ति पर 99 लेख लिखें और कुल 451 टिप्पणी प्राप्त की, अदिति पर 32 पोस्ट और 111 टिप्पणी प्राप्त हुई, Timeloss : समय नष्ट करने का एक भ्रष्ट पर 23 पोस्ट और 75 टिप्पणी, सहित अन्य ब्लॉग पर कई लेख सहित काफी मात्रा पर टिप्प्णी मिली है।
मेरे ब्लागर के अकाउंट की प्रोफाइल अब तक लगभग 1832 लोगों ने देखा जो अब तक किसी का भी एक साल में सर्वाधिक होगा।
मै यह लेख एक दिन पहले पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि 30 जून की सुबह 5 बजे ही मै अपने गाँव प्रतापगढ़ चला जाऊँगा। सोचा था कि अपने एक साल का पूरा लेखा-जोखा लिखूँगा किन्तु समय साथ नही दे रहा है। गांव से लौट कर जरूर लिखूंगा।
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18 टिप्पणियां:
तो फिर आज तो साल पूरा होने की बधाई ले लो. अब जब अगला लेख लिखोगे गॉव से लौटकर, तब शतकीय पोस्ट की भी बधाई दी जायेगी. केक की फोटू ही लगा देते, जरा चैन पड़ जाता. :) ऐसे ही ऐसे अनेकों वर्षगाँठे मनाओ, बहुत शुभकामनायें.
प्रमेन्द्रजी,
आपके सफ़ल ब्लागीय जीवन की वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक बधाईयाँ । आशा है इस उपलब्धि से आपका लिखने का जोश और बढेगा और हम सबको उस लिखे को बाँचने का सुख मिलेगा :-)
साभार,
नीरज
पहली वर्षगांठ पर बहुत -बहुत बधाई और ढ़ेर सारी शुभकामनायें ।
बधाई हो भाइ आपने पहला जन्मदिन जरा धूम धाम से मनाना था,क्या धीरे से फ़ुस्फ़ुसी छोड कर निकल लिये ज़:)
सिर्फ़ केक और कुछ नही , इतनी दूर से आये हैं पेट कैसे भरेगा :)
अरे बधाई देना तो भूल ही गये . बहुत-२ बधाई !
बधाई हो नवयुवक! :)
यह सफ़र ज़ारी रहे इन्ही कामनाओं के साथ बधाई हो भैय्या पी पी एस जी!!!
अरे वाह । इस कामयाबी की बधाई । आगे भी इसी तरह बने रहो । और लिखते रहो ।
हमारी तरफ़ से भी आपको हार्दिक बधाई। क्या धांसू फ़ोटू लगाई है भई! मन कर रहा है कि मॉनीटर में से निकाल कर सीधे मुंह में रख लूँ। ख़ैर, इतना कहूँगा कि यूँ ही दनादन साल-दर-साल लिखते रहें।
प्रमेन्द्र , चिट्ठाकारी की बरसी पर बधाई ग्रहण करें।
प्रमेन्द्र जी
इतने शुभ दिन आपने हमें क्यों दुखी कर दिया। यह क्यों कहा कि हमारे बीच में दूरी है।
मैं प्रयत्न करता हूं कि सब चिट्ठियां पढ़ूं पर सब पर टिप्पणी नहीं कर पाता। कुछ जानबूझ कर नहीं करता। लगता है कि विवाद बढ़ेगा - इसलिये चुप रहना ठीक समझता हूं।
कुछ बातों में वैचारिक मतभेद है। यह मेरा बहुतों के साथ है।
कॉपीराइट के बारे में ही देखिये। मेरे चिट्ठा सबको मेरी चिट्ठियां कॉपी करने और बांटने की अनुमति जिस हद तक देता है शायद उतना किसी और का नहीं।
यदि आप मेरी यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है: हमने जानी है जमाने में रमती खुशबू, या बनेगे हम सुकरात या फिर हो जायेंगे नील कण्ठ, या डकैती, चोरी या जोश या केवल नादानी पढ़ेंगे तो पायेंगे कि मेरा कई लोगों से मतभेद है पर मैं उनसे दूर नहीं हूं। वैचारिक मतभेद अलग है। दूर होना अलग।
साल पूरा करने पर बधाीई। दूरी रहने पर केक तो खाा सकता हूं न :-)
प्रमेन्द्र जी आपके चिठ्ठे की पहली वर्षगांठ पर आपको हार्दिक बधाई।
ऐसे ही साल दर साल लिखते जाओ, बधाइयाँ।
@ समीर लाल जी, धन्यवाद
@ नीरज भाई जी, धन्यवाद
@ ममता बहन आपको भी धन्यवाद
@ अरूण भाई आपको भी धन्यवाद, हम तो बडे भाई के लिये छोड़ गये थे कि वे ही कुछ आयोजन करेंगें किन्तु आप तो हम्ही से पंगे ले रहे हो।
@ डा साहब आपको भी धन्यवाद
@ पंकज भाई जी आपको भी धन्यवाद
@ संजीत भाई आपको भी धन्यवाद
@ युनुस भाई आपको भी धन्यवाद
@ प्रतीक भाई आपको भी धन्यवाद, अगर पता होता कि आपको मिठाई देख का मजा आ रहा है तो आपके पास ढेर सारे लिंक भेज देता।
@ अफलातून जी आपको भी धन्यवा।
@ उन्मुक्त जी, मै विचारों की दूरी को दूरी नही मानता हूँ। चूकिं मुझे एक साल से लिखते हुऐ हो गयें किन्तु हमारें बीच किसी प्रकार का ईमेल के द्वारा किसी मुद्दे पर चर्चा नही हुई। जैसा आपका चिठ्ठा है वैसा तो मेरा नही है किन्तु मै भी अपने सभी लेख या कविताओं के कट पेस्ट का विरोध नही करता हूँ।
मै चाहूँगा कि आपसे सम्पर्क बना रहे। आपकी प्रथम टिप्पणी पाकर काफी अच्छा लगा। दिल से धन्यवाद।
@ सागर भाई आपको भी धन्यवाद, यह बातइये कि घर कब आओगें।
@ राम चन्द्र भाई जी आपको भी धन्यवाद
बहुत बढ़िया है प्रमेंद्र जी.... मिठाई खा के मजा आ गया ।
अरे मैं ज़रा देर से आया, क्षमा करना और मेरी बीलेटिड बधाई टिका लेना। :)
शायद मै पहला शक्स रहा हूँगा कि जो बिना किसी उद्देश्य के इस क्षेत्र में आया था।
ऐसा कहने वाले हर शख्स का यही मानना होता है!! टेन्शन न लो, आपके साथ अपन भी खड़े हैं आपसे पहले लाइन में!! ;)
साल्गिरा की शुभकामनाए |
वेब पर हिन्दी देख कर अच्छा लगता है
हिन्दी वेबसाइट की संख्या भी बढती जा रही है
आज कल काफी कम्पनियाँ भी हिन्दी टूल्स लॉन्च कर रही है |
एक टाइम था जब मुझे हिन्दी लिखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी |
अब तोह गूगल इंडिक की बदुअल्ट सब आसान हो गया है |
गूगल अपनी साईट पर इस टूल के लिए सुझाव मांग रहा है | हम सबकी इसमे सहायता देनी चाहिए |
गोस्ताट्स नमक कंपनी ने भी एक ट्राफिक परिसंख्यान टूल हिन्दी मे लॉन्च किया है -- http://gostats.in
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