एक मुस्लिम भाई मेरी कल की पोस्ट संघ की प्रार्थना का अर्थ जानने के उत्सुक थे। मै संघ की प्रार्थना का अर्थ नीचे उद्धत कर रहा हूँ।
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
हे वत्सल मातृभूमि! मैं तुझे निरंतर प्रणाम करता हूँ। हे हिन्दुभूमि! तूने ही मुझे सुख में बढ़ाया है। हे महा मंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे लिये ही मेरी यह काया अर्पित हो। मै तुझे बार बार प्रणाम करता हूँ।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! ये हम हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत घटक, तुझे आदरपूर्वक प्रणाम करते है। तेरे ही कार्य के लिये हमने कमर कसी है उसकी पूर्ति के लिये हमें शुभ आशीर्वाद दें। विश्व के लिये ऐसी अजेय ऐसी शक्ति, सारा जगत् विनम्र हो ऐसा विशुद्धशील तथा बुद्धिपूर्वक स्वीकृत हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करें, ऐसा ज्ञान भी हमें दें।
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
ऐहिक तथा पारलौकिक कल्याण तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिये वीरव्रत नामक जो एकमेव उग्र साधन है उसका हम लोगों के अंतःकरण में स्फुरण हो। हमारे हृदय में अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे। तेरे आशीर्वाद से हमारी विजय शालिनी संगठित कार्य शक्ति स्वधर्म का रक्षण कर अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति पर ले जाने में अतीव समर्थ हो।
।। भारत माता की जय ।।
।। भारत माता की जय ।।
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
हे वत्सल मातृभूमि! मैं तुझे निरंतर प्रणाम करता हूँ। हे हिन्दुभूमि! तूने ही मुझे सुख में बढ़ाया है। हे महा मंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे लिये ही मेरी यह काया अर्पित हो। मै तुझे बार बार प्रणाम करता हूँ।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! ये हम हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत घटक, तुझे आदरपूर्वक प्रणाम करते है। तेरे ही कार्य के लिये हमने कमर कसी है उसकी पूर्ति के लिये हमें शुभ आशीर्वाद दें। विश्व के लिये ऐसी अजेय ऐसी शक्ति, सारा जगत् विनम्र हो ऐसा विशुद्धशील तथा बुद्धिपूर्वक स्वीकृत हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करें, ऐसा ज्ञान भी हमें दें।
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
ऐहिक तथा पारलौकिक कल्याण तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिये वीरव्रत नामक जो एकमेव उग्र साधन है उसका हम लोगों के अंतःकरण में स्फुरण हो। हमारे हृदय में अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे। तेरे आशीर्वाद से हमारी विजय शालिनी संगठित कार्य शक्ति स्वधर्म का रक्षण कर अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति पर ले जाने में अतीव समर्थ हो।
।। भारत माता की जय ।।
।। भारत माता की जय ।।
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5 टिप्पणियां:
भाई आपने सही में इस प्रार्थना पूरा मतलब बता कर बहुत अच्छा कार्य किया है हम में से कई लोगो ने इसे कई बार सुना है लेकिन मतलब कुछ लोग ही जानते है
अल्लाह आपकी मानोकामना पुरी करे
आमीन
धन्यवाद आपका मुस्लिम भाई
टिप्प्णी हटाई गयी
भाई नमस्कार ,
आपके द्वारा लिखे गये मंत्र तथा अर्थ दोनो हि अत्यन्त कल्याणजनक है |
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