धूम्रपान के शौकीनों की संख्या में दिनों-दिन हो रहे इजाफा आज चिंता का विषय बना हुआ हैं इसकी वजह यह है कि आए दिन जनकर्ता व धूम्रपान पर अंकुश लगाने वाले लोग अपने आप को ही नशे की लत से रोक नहीं पा रहे है। कारण यह है कि आज कल छोटी सी उम्र में ही लोग नशे के शौकीन होते जा रहे है। जब ये लोग बड़े होते है तो इनकी लत में और भी इजाफा होता जाता है और ये एक दिन बहुत बड़े नशेड़ी के रूप में जाने जाते है। अब तो धूम्रपान निषेध दिवस भी मनाया जाने लगा है। लेकिन दिवस की सबसे बड़ी विसंगति यह है कि लोग अयोजनों में धूम्रपान के खिलाफ आवाज जरूर उठाते है लेकिन आयोजन के बाद स्वयं धूम्रपान करने से अपने आप को रोक नहीं पाते है। इनकी संख्या बढ़ रही है। आज इसलिए तमाम प्रकार के रोग भी बढ़ रहे हैं। 15 वर्ष के कम आयु के बच्चों में भी आज कल कैंसर का रोग देखा जाने लगा हैं। भारत में लगभग 33 करोड़ से अधिक लोग तम्बाकू का सेवल करते हैं 55 प्रतिशत लोग सिगरेट में तम्बाकू का सेवन करते हैं। 1 करोड़ से अधिक लोग इस समय सिगरेट का सेवन कर रहे हैं।
छले कई वर्षो से धूम्रपान निषेध दिवस का आयोजन करने वालों की संख्या में कमी आने के बारे में लोग कह रहे हैं लेकिन यह बात सरासर गतल है क्योंकि आज की छोटी जनरेशन के लोग ज्यादा मात्रा में शराब नशे के आदी हो रहे है। अब तो सार्वजनिक स्थलों पर भी इस प्रकार के दृष्य दिखाई देते है। सरकार तो इस प्रकार के कारनामों पर हमेशा से रोक लगाती चली आ रही है लेकिन इसको मानने वाला ही काई नहीं हैं।
आज तम्बाकू उत्पादन में भारत में विश्व का तीसरा स्थान हैं। यहां प्रतिवर्ष 60 करोड़ किलोग्राम तम्बाकू पैदा होती है। इसकी बिक्री से सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व प्राप्त होता हैं जिससे सरकार की आमदनी तो बनी रहती हैं लेकिन लोगों पर इसका क्या असर पड़ेगा इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं हैं। अमेरिका में हुई खोज के अनुसार गर्भावस्था के तीन महीने से धूम्रपान करने वाली महिलाओं एवं बच्चों की आंखों में भेंगापन होने की संभावना रहती है। जो बच्चे घातक रोग के शिकार हो जाते है उनका तो उनके परिजन इजाल में काफी पैसा जला देते है। तब भी वे पूर्ण रूप से ठीक नहीं होते। आजकल तो डाक्टर जैसे लोग भी बुरी नशे के शिकार होते जा रहे हैं बहुत से ऐसे डाक्टर देखे गये है जो स्मोकिंग करना पसंद करते हैं। फिलहाल जो भी हो अब तो इस प्रकार की समस्या से लोगों को मुक्त कराने के लिए सरकार और देश की जनता दोनों को प्रयास करना होगा। तभी इस धूम्रपान जैसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
लेखक ---- रजनीश चौधरी
चिंता का विषय. सही मुद्दा उठाया. महाशक्ति का नया कलेवर पसंद आया.
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं आप । किन्तु यदि आँकड़े ही देखने हैं तो मोटापे , डाइबटीज , कुपोषण आदि के भी देखो । शायद उससे भी कम लोग नहीं मर रहे हैं । एक और बात जो लोग स्वयं अपनी मौत चुनते हैं उन्हें बचाने में सीमित संसाधन बर्बाद करने की बजाय कुपोषण , मलेरिया, टी बी जैसे रोगों पर ध्यान देना क्या बेहतर ना होगा?
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
अब मेरे को तो समझ नहीं आया कि धूम्रपान कर लोगों को क्या मज़ा आता है कि बार-२ करते हैं। कुछ समझदार धूम्रपान करने वाले कहते हैं कि ट्राई करके देखो तब पता चलेगा। मैंने बीड़ी, सिगरेट और सिगार का एक-२ कश लगा के भी देखा, क्या बताउँ, तीनो बार मुँह का ज़ायका खराब हो गया, बहुत ही वाहियात स्वाद है, अपने को तो पसंद नहीं आया और इसी से कभी धूम्रपान न करने का निश्चय दृढ़ हुआ।
जवाब देंहटाएंवैसे हम तो भइया धूम्रपान नहीं करते लेकिन हमने सुना है...पियो तो जानो। सच क्या है यह तो पीने वाला ही जाने।
जवाब देंहटाएंyeh bhi ek nasha hi.
जवाब देंहटाएंपरोक्ष धूमपान कहीं ज्यादा खतरनाक है।
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