खामोश हैं उदास है पागल हैं लड़किया।
देखों किसी के प्यार में घायल है लडकिया।।
ऐ कालेज के लड़कों नज़र से इनको समझों।
पैरो की बेडि़यॉं नही, पायल है लड़कियॉं।।
समझे तेरे दिल जज्बात को फिर भी।
अपने मंजर जिन्दगी की कायल है लड़कियॉं।।
बे खौफ़ तेरे जीवन में, यूं साथ न छोड़े।
हर जिन्दगी में नदियों की साहिल है लड़कियॉं।।
देखों किसी के प्यार में घायल है लडकिया।।
ऐ कालेज के लड़कों नज़र से इनको समझों।
पैरो की बेडि़यॉं नही, पायल है लड़कियॉं।।
समझे तेरे दिल जज्बात को फिर भी।
अपने मंजर जिन्दगी की कायल है लड़कियॉं।।
बे खौफ़ तेरे जीवन में, यूं साथ न छोड़े।
हर जिन्दगी में नदियों की साहिल है लड़कियॉं।।
बहुत अच्छी कविता है बन्धुवर. बस दिक्कत यही है कि ये लड़कियां कॉलेज की जिन्दगी के बाद बड़ी तेजी से बदल जाती हैं.
जवाब देंहटाएंज्ञानी जी कह गये तो
जवाब देंहटाएंहम हर हाल में चुप ही रह जाते हैं...,
मौन शब्दों से अपनी बात कह जाते हैं.
-शुभकामनायें
हर जिन्दगी में नदियों की साहिल है लड़कियॉं।।
जवाब देंहटाएंआखिरी लाईन पूरी कविता को समझने में काफी मदद करती है. आैर जैसा कि पाण्डे जी कहा है कि ये लड़कियां कॉलेज की जिन्दगी के बाद बड़ी तेजी से बदल जाती हैं. बिल्कुल सत्य है.
क्या बॉस! किधर है लड़कियां :)
जवाब देंहटाएंपन लोचा जे है बावा कि जैसे ही कॉलेज में दिखती इन लड़कियों के परिचय संसार में आप शामिल हो जाओगे, ये कुछ और लगने लगेंगी पर पहले जैसी न लगेंगी। जितना ज्यादा आप इनके नज़दीक जाते जाओगे ये उतना ही बदलती हुई सी लगेंगी!!
बहुत ही अच्छी कविता है,कालेज की याद आ गयी।
जवाब देंहटाएंये भी जिक्र कर दिया होता कि ये गजल अंजुम रहबर की है तो वे कितनी खुश होती?
जवाब देंहटाएंये भी जिक्र कर दिया होता कि ये गजल अंजुम रहबर की है तो वे कितनी खुश होती?
जवाब देंहटाएंबंसत जी न आपका कोई ईमेल मिला न कोई सम्पर्क सूत्र, चूकिं यह कविता, तारा चन्द्र जी ने डाली है इसलिये उनकी बात आने तक हमें इंतजार करना चाहिऐ।
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि वे नये है ज्यादा जानकारी नही है अगर आप जैसा कह रहे है कि रचना कोई रहबर की है तो मै ताराचन्द्र जी से कहूँगा कि आगे से वे अपनी ही रचना डाले और यदि किसी अन्य की डालते है तो उनके लेखक या कवि के नाम से डालें।
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जवाब देंहटाएंओ.के.
जवाब देंहटाएंजानकारी देने के लिए धन्यवाद।
करते हैं थैंक्स आपको, कविता लिखी सुन्दर
जवाब देंहटाएंपढने से खुल गई मेरे भेजे की खिडकियां
सुन लें सुझाव मेरा, और पीछा रहे इनके
देने दें इन्हें देती हैं जितनी भी झिडकियां
आपकी डेढ किलो तुकबन्दी में पचास ग्राम मेरी भी सही.....