हाल में ही उत्तर भारत भ्रमण के दौरान देबाशीष जी की चिट्ठाचर्चा पर पोस्ट पढ़ने को मिली, जिसमें उन्होने अशोक चक्रधर जी की एक पोस्ट को ऐसी पहली पोस्ट करार दिया जिसमें बिना कुछ लिखे टिप्पणी मिली है।
मुझे लगता है कि देवाशीष जी जल्दबाजी में घोषणा कर गये और उन्होने अपने साथी चिट्ठाकारों से सलाह तो दूर खुद भी हिन्दी चिट्ठाकारी इतिहास खगहालने की कोशिस नही जिसमें वे खुद कतिपय लोगों के द्वारा पितामह की संज्ञा को प्राप्त कर चुकें है।
अशोक चक्रधर जी की उक्त पोस्ट से करीब आठ महीने पहले मेरी एक पोस्ट अदिति फोटों ब्लाग आई थी। जिसमें कुछ भी नही लिखा था यहॉं तक कि शीर्षक भी नही था। तब पर भी टिप्पणियॉं मिली थी।
मैं ऐसा नही कह सकता कि यह मेरी पोस्ट पहली पोस्ट है किन्तु देबाशीष जी पोस्ट कों पहली कह रहे है मेरी पोस्ट उससे 8 माह पुरानी है। चक्रधर जी की पोस्ट में कुछ तो लिखा था किन्तु मेरी पोस्ट इतिहास की पहली पूर्ण कोरी पोस्ट हो सकती है।
देबाशीष जी आपके द्वारा किसी प्रकार की असत्य जानकारी अच्छी नही लगती है, वैसे आप बेकार में शोध कर रहे है जो काम नीलिमा जी का उन्हे ही करने दीजिऐ क्यों किसी के पेट पर लात मार रहे है ?
क्यों फुरसतिया जी मै ठीक कह रहा हूँ कि नही ? ;)
मुझे लगता है कि देवाशीष जी जल्दबाजी में घोषणा कर गये और उन्होने अपने साथी चिट्ठाकारों से सलाह तो दूर खुद भी हिन्दी चिट्ठाकारी इतिहास खगहालने की कोशिस नही जिसमें वे खुद कतिपय लोगों के द्वारा पितामह की संज्ञा को प्राप्त कर चुकें है।
अशोक चक्रधर जी की उक्त पोस्ट से करीब आठ महीने पहले मेरी एक पोस्ट अदिति फोटों ब्लाग आई थी। जिसमें कुछ भी नही लिखा था यहॉं तक कि शीर्षक भी नही था। तब पर भी टिप्पणियॉं मिली थी।
मैं ऐसा नही कह सकता कि यह मेरी पोस्ट पहली पोस्ट है किन्तु देबाशीष जी पोस्ट कों पहली कह रहे है मेरी पोस्ट उससे 8 माह पुरानी है। चक्रधर जी की पोस्ट में कुछ तो लिखा था किन्तु मेरी पोस्ट इतिहास की पहली पूर्ण कोरी पोस्ट हो सकती है।
देबाशीष जी आपके द्वारा किसी प्रकार की असत्य जानकारी अच्छी नही लगती है, वैसे आप बेकार में शोध कर रहे है जो काम नीलिमा जी का उन्हे ही करने दीजिऐ क्यों किसी के पेट पर लात मार रहे है ?
क्यों फुरसतिया जी मै ठीक कह रहा हूँ कि नही ? ;)
ये पहला या वो पहला इन सबसे कुछ फर्क भी पड़ता है क्या?
जवाब देंहटाएंफिर भी आपको बधाई
दिनेश भाई फर्क तो पड़ता ही है। प्रथम प्रथम ही होता है। हमेशा से ही नम्बर एक की लड़ाई चल रही है। चाहे राजनीति हो या खेल या एग्रीगेटर की लड़ाई, सब नम्बर एक की जंग में हाथ पैर मार रहे है। मै भी संम्भावितों की लिस्ट में हूँ तो क्यों न नामांकन दर्ज कराऊँ?
जवाब देंहटाएंअगर फेडरर की जगह नाडाल और आस्ट्रेलिया की जगह भारत को नम्बर एक कर दिया जायेगा तो क्या होगा ? :)
बधाई के लिये धन्यवाद
आप ठीक कह रहे हैं.नंबर एक का अपना एक महत्व है. और फिर आस्ट्रेलिया के आगे भारत की क्या बिसात. फेडरर के आगे नडाल की क्या बिसात.आपके आगे अशोक चक्रधर जी की क्या बिसात.
जवाब देंहटाएंनंबर एक होने के लिए बहुत बहुत बधाई.
भाई बेनामी;
जवाब देंहटाएंनेट पर अशोक चक्रधर और महासक्ति दोनों एक बराबर हैं।
इस सब बधाईयों के साथ हमारी बधाई भी शामिल कर लीजिये।
मै कब रहा हूँ कि मै नम्बर एक की रेस में हूँ। अब तो यह शोधार्थियों का विषय है कि वों पता लगाऐ कि मेरी पोस्ट से पहले भी कोई ऐसी पोस्ट आई है क्या ?
जवाब देंहटाएंनिश्चित रूप से नम्बर एक होनें की खुशी किसे नही होती है। मै हो रहा हूँ तों क्या गलत कर रहा हूँ? और बात भी मेरी पूर्ण बनती है क्योकि यह सम्पूर्ण कोरी पोस्ट है।
मै यह मामला नीलिमा जी के मंत्रालय सुपुर्द कर देता हूँ, और अनुरोध कर देता हूँ कि मामले की जॉच कर ब्लागर समुदाय को भ्रम की स्थिति से निकालें। :)
गुस्ताखी माफ भाई साहब, पक्ष मजबूत करने की लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअशोक चक्रधर जी में प्रिय है। जब से छोटा था तब से उन्हे सुनता चला आ रहा हूँ। वे काव्य मंच पर निश्चित रूप से शीर्ष पर है और उनका कोई भी सानी नही है किन्तु ब्लाग एक नया मंच है। उनसे कविता में तो प्रतियोगित कर नही सकता किन्तु ब्लागिंग में तो कर ही सकता हूँ। :)
अरे वाह जी बधाई अब आप भी एक नंबर की दौड मे है..पर प्रथम पुरुष कहा है कही पेड की डाली पर कूद कूद कर मै नंबर एक हू का हल्ला काट रहा होगा ..? पर वो आपको प्रमाणित नही कर सकता. भाइ आखिर बडे नामो की चमचा गिरी करने की कोशिश करना, और आप की सत्य बात को मानना दोनो अलग अलग बात है ना..? और सत्य से उसका जैसा नाता है वो सर्व विदित है..? वैसे उसे आजकल उसे फ़ोटो खिचाने और कूदने के लिये एक नकली सांड भी मिल गया है..हो सकता है वही वयस्त हो..:)
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