महाशक्ति श्री अरविन्द के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पाक्षिक समारोह समाप्ति की घोषणा करती है और भविष्य में भी श्री अरविन्द से सम्बन्धित लेखों के प्रकाशन का निर्णय लेती है।
श्री अरविन्द ने कहा था के अन्तर्गत अन्तिम किस्त प्रस्तुत है-
(श्री अरविंद साहित्य समग्र, खण्ड-1, भारतीय संस्कृति के आधार, पृष्ठ 43 सें)
श्री अरविन्द ने कहा था के अन्तर्गत अन्तिम किस्त प्रस्तुत है-
हमें अपने अतीत की अपने वर्तमान के साथ तुलना करनी होगी और अपनी अवनति के कारणों को समझाना तथा दोषों और रोगों का इलाज ढ़टना होगा। वर्तमान की समालोचना करते हुऐ हमें एक पक्षीय भी नही हो जाना चहिए और न हमें, हम जो कुछ हैं, या जो कुछ कर चुके है उस सबकी मूर्खतापूर्ण निष्पक्षता के साथ निन्दा ही करनी चाहिए। हमें अपनी असली दुर्बलता तथा इसके मूल कारणों की ओर ध्यान देना चाहिए, पर साथ ही अपने शक्तिदायी तत्वों एवं अपनी स्थाई शक्यताओं पर और अपना नव-निर्माण करनी की क्रियाशील प्रेरणाओं पर और भी दृढ़ मनोयोग के साथ अपनी दृष्टि गड़ानी चाहिए।
(श्री अरविंद साहित्य समग्र, खण्ड-1, भारतीय संस्कृति के आधार, पृष्ठ 43 सें)
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1 टिप्पणी:
ये पंक्ितयां कुछ सोचने को मजबूर करती है. वैसे मेरा मानना है कि हमेशा इन्सान को Positive आैर negative दोनो प्रकार से सोचना चािहए आैर सोचने के बाद जो उचित हो उसे करना चाहिए
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