आज आपके समाने प्रस्तुत है अतिथि योगेन्द्र प्रताप सिंह ''विपिन'' जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बीए प्रथम वर्ष के छात्र है, और अपनी रचना आँसू को लेकर उपस्थित हुऐ है। जो इन्होनें अपनी स्नातक की पाठ्य में बबाणभट्ट की रचना अॉंसू पढने के बाद मन में आये भावों के द्वारा सृजित की है।
ज़ुदाई के व़क्त में धार आँसुओं की है,
हर खुशी हर ग़म में बहार आँसुओं की है।
देखें हमने है जि़न्दगी के फ़साने,
यहॉं खुशी और प्यार का दीदार आँसुओं में है।
कुऑं है, दरिया है या है नदी
हमने देखा समंदर संसार का आँसुओं में है।
आखि़र रिश्ता क्या है दिल का ऑंखों से,
जो आता इतना प्यार आँसुओं में है।
कौन कहता है कि बहता है ऑंसुँओं में ग़म,
हर मरने वाले का मिलता प्यार आँसुओं में है।
देख आँसुओं का ये आल़म-ए-मोहब्बत,
मेरा दिल कुर्बान हजार बार आँसुओं पे है।
हर खुशी हर ग़म में बहार आँसुओं की है।
देखें हमने है जि़न्दगी के फ़साने,
यहॉं खुशी और प्यार का दीदार आँसुओं में है।
कुऑं है, दरिया है या है नदी
हमने देखा समंदर संसार का आँसुओं में है।
आखि़र रिश्ता क्या है दिल का ऑंखों से,
जो आता इतना प्यार आँसुओं में है।
कौन कहता है कि बहता है ऑंसुँओं में ग़म,
हर मरने वाले का मिलता प्यार आँसुओं में है।
देख आँसुओं का ये आल़म-ए-मोहब्बत,
मेरा दिल कुर्बान हजार बार आँसुओं पे है।
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4 टिप्पणियां:
बढिया रचना प्रेषित की है।
हमने देखा समंदर संसार का आँसुओं में है।
और
आखि़र रिश्ता क्या है दिल का ऑंखों से,
जो आता इतना प्यार आँसुओं में है।
अच्छा लिखा है
aankho se niklne vale ask bata,
tughse milno ko baqrar aansu hai.
bahut acchi rachna hi.
बढ़िया रचना!!
विपिन जी को शुभकामनाएं
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