पिछले तीन माह में ब्लागवाणी ने आपने सेवाओं में लगातार वृद्धि करती रही है। हाल में ही ब्लागवाणी के द्वारा मराठी ब्लालों का नया एग्रीगेटर बनाया गया जो हिन्दी एग्रीगेटर के बाद एक महत्वपूर्ण कार्य था। आज ही ब्लागवाणी पर जाना हुआ और देखा तो ब्लागवाणी के सर्चटूलबार के बारे में पता चला। आश्चर्य की सीमा तो तब और पार कर गई जब देखा तो इसके निर्माण कर्ता अरूण अरोड़ा जी है जो लगता है आज कल पंगेबाजी छोड़कर औजार सृजन में लग गये है। क्योकि मैने सुबह उनको अपने एक ब्लाग के लेख में लिंक किया था। तब लिंक पर क्लिक किया तो पता चला कि शायद नारद से प्रेरित होकर आपने ब्लाग में ताला (पासवर्ड प्रोटेक्ट) लगा दिया है। थोड़ा मन व्यथित भी हुआ और उनका हाल चाल पता करने के लिये फोन करने लगा, पर यहॉं भी तकनीकि ने मेरा साथ नही दिया और मेरा नम्बर उनके मोबाइल में सेव हो ने के कारण उन्होने फोन नही उठाया, मै भी कम खुराफाती नही था और खुराफात सूझा और मै पीसीओं फोन की ओर चल दिया, और नम्बर डायल करने लगा पर वे सचमुच पंगेबाज निकले और उन्होने एक भी फोन रीसिव नही किया लगता है इलाहाबाद का एसटीडी कोड पता कर रखा है। अब उन्होने फोन क्यो नही उठाया यह तो वे ही जाने किन्तु मेरी उन्हे उनकी कृति की बधाई देने की हसरत दिल में दबी रह गई। ( मेन मकसद तो ताले का था, कही ताले के अन्दर कुछ......) वैसे मैने बधाई की ईमेल डाल दी है, उनका जवाब पेन्डिग है। वे मेरे से ही असन्तुष्ट है या किसी और से यह तो पता नही ? किन्तु जब से अपने लेख में लिंक किया है जब से ब्लाग दिखना बन्द है। किसी को कोई खबर हो तो भाई मेरी बधाई उन तक पहुँचा दीजिऐगा। :)
उनके द्वारा बनाया गया टूलबार निश्चित रूप से हम जैसे कम जानकार के लिये प्रेरक है कि बिना जानकारी के कुछ करने की इच्छा के कारण कुछ भी असम्भव नही है। मुझे याद है कि जब मै उनके ब्लाग पर अतिथि के रूप में साज सज्जा किया करता था तो वे मुझ जैसे अल्पज्ञानी से काफी कुछ सीखने की इच्छा रखते थे। यहॉं तक कि मेरे निर्देशन मे उन्होने अपने ब्लाग पर काउन्टर, ब्लागों के लिंक, फोटों आदि लगाया था। अपने से बडें को सिखाकर मेरा भी सीना गर्व और अभिमान से चौड़ा रहा था। किन्तु धीरे धीरे उन्होने कार्टून से लेकर टूलबार के क्षेत्र में हाथ अजमा रहे है, इससे ज्यादा मुझे खुशी और क्या होगी क्योकि एक शिक्षक के लिये उसके शिष्य को आगे बढते देखते हुऐ और अच्छा क्या हो सकता था। मै उनके कम्प्युटर ब्लागिंग का प्रथम गुरू रहा हूँ। :)
आज मुझे खुशी हो रही है कि वे टूल जैसे औजारों के निर्माण कर सार्थक काम कर रहे है। कहीं ताले के पीछे विरोधियों को पटखनी देने के लिये ब्लागिंग पहलवानी के नये पैतरे तो नही सीख रहे है। :) मै तो बच के रहना चाहूँगा आज लिंक देकर और यह कहकर अच्छा नही किया कि उन्होने मुझसे बात नही किया। मै सदा सर्वदा किसी भी प्रकार के ताले के पीछे कोई काम करने का विरोध करूँगा चाहे वो जो हो। जो भी काम हो उसमें पारदर्शिता होनी चाहिऐ।
अरूण जी ने जैसा टूलाबार बनाया है निश्चित रूप से एक ब्लागर के तौर पर उनकी उपलब्धी है। अरूण जी के द्वारा टूलबार काम से स्पष्ट हो गया कि वे सार्थक कार्य में ही भाग ले रहे है। और हर व्यक्ति को अपने सार्थक कार्य में ही रूचि लेनी चाहिए। आज एक और टूलबार के बारे में पढ़ था काफी अच्छा लगा था मन में आया कि क्यो न अरूण को गुस्से को शान्त करने के लिये इसकी व्याख्या ही कर दी जाये कि यह कैसे काम करता है।
ब्लागवाणी के लिये अरूण जी द्वारा बनाया गया यह टूलबार किसी अन्य ब्लागरों की तुलना में सरल है सुविधालब्ध है। इस टूलबार को हम कई भागों में बांट सकते है। जैसे ब्लागवाणी, हिन्दी चिटठे, समाचार, ब्लागवाणी पर हाल के चिट्ठे, हिन्दी टंकड़ टूल, रेडियों आदि प्रमुख है।
1. ब्लागवाणी पर- इस टूलबार पर हम सम्पूर्ण ब्लागवाणी का दर्शन कर सकते है। जैसे मुख्य पन्ना, झटपट नजर, ज्यादा पढे गये लेख, ज्यादा पंसद किये गये लेख, टूलबार का लिंक तथा साइट सुझाऐ जैसी सुविधाऐ है।
2. कम्प्युटिंग पर- इस पर विभिन्न टाइपिंग टूल का लिंक दिया गया है जिस पर सिर्फ एक क्लिक से पहुँच सकते है। कैफे हिन्दी टाइपिंग टूल, इण्डिक आईएमई, बारहा, हिन्दी कलम, युनीनागरी जैसे लिंक दिये गये है।
3. खबरे इस शीर्षक के अन्तर्गत हिन्दी जाल पर उपलब्ध सम्पूर्ण हिन्दी समाचार पत्रों का लिंक दिया गया है। अर्थात अब खबरों के लिंक के लिये भटकने की जरूरत नही होगी।
4. नई प्रविष्टियॉं - इस श्रेणी में टूल पर ही ब्लावाणी पर उपलब्ध सारी अनपढ़ी पोस्टो को देखा और बिना ब्लागवाणी पर गये उसे खोला जा सकता है।
5. रेडियों - इस भाग में नेट पर उपलब्ध समस्त आनलाईन रेडिया कार्यक्रम प्रसरित करने वाले चैनल उपलब्ध है।
6. वेबजाल - इसमें नेट पर उपलब्ध कुछ अच्छी पत्रिकाओं व ब्लागों के अलावां सांसद जी जैसे लिंक मौजूद है। इस पर मेरा ब्लाग भी दिख रहा है। पर क्या मेरा ब्लाग इस लायक है कि इतने अच्छों ब्लागों के साथ मेरे ब्लाग का नाम जोडा गया है?
सच कहूँ तो मुझे इस टूलबार की सादगी बहुत अच्छी लगी मेन मेन्यु में ज्यादा बोझ नही दिया गया है। और व्यवस्थित रूप से एक श्रेणी के रूप रखा गया है। मेरा मानना है कि अभी इसमें कुछ कमियां है जो सुधार की जाने योग्य है। प्रथम कि इसका सम्पूर्ण हिन्दी करण किया जाये, दूसरा यह कि अनावश्यक लिंकों को हटा दिया जाये जैसे मौसम की जानकारी। एक और काम किया जा सकता है एक साथ सम्पूर्ण हिन्दी ब्लागों को लिंक भी कहीं इस ब्लाग या ब्लागवाणी पर दिया जाना चाहिए। निश्चित रूप से इसमें नित सुधार होते रहेगें। अरूण जी एक निवेदन है, कि आप अपने ब्लाग का ताला हटा दीजिए, आप नही जानते कि कितने पाठको नाराज करना ठीक नही। :) आपको अपनी अनुपम कृति के लिये बधाई।
ब्लागवाणी टूलवार डाऊनलोड कीजिए मजे जीजिऐ -
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16 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी पोस्ट. और अरुण के नये प्रतिभा क्षेत्र की जानकारी के लिये धन्यवाद.
महाराज, हमने भी कल ये टूलबार डाउनलोड किया और आज इसे मजे से वापर रहे हैं।
आपने इसका जाहिरात बड़ा अच्छा बनाया है
सृजनात्मकता अंततः अच्छे कार्यो में लगे तो सुपरिणाम मिलेंगे ही.
जगदीश जी के हिन्दी टूलबार के मुकाबले कुछ भी नहीं है।
वहाँ नई प्रविष्टियाँ भी दिखती हैं
समाचार है
टीवी है
रेडियो है
पत्रिकाएं हैं
१०० + साईट लिंक हैं
क्रिकेट है
सभी चिट्ठों के लिंक हैं, आपका भी है
ईमेल है, गैम्स हैं, और प्रयोग करें तो पता चलेगा मैं काफी कुछ भूल गया
विपुल
ब्लोगवाणी हिन्दी टूलबार वाकई एक बेहतर प्रस्तुति है। मुझे और मेरे दोस्तों को ये बहुत पसंद आया।
मुझे इसके लिये कुछ सुझाव देने थे। इसके लिये एक ब्लाग बने जहां पर हम इसको और बेहतर बनाने के लिये सुझाव दे सकें।
आपने इसे बहुत अच्छी तरह से समझाया।
साधुवाद
जगदीश जी के हिन्दी टूलबार के मुकाबले कुछ भी नहीं है।
यह टूलबार भी उसी फ्री सेवा प्रदाता के यहाँ बनाई गई है जहाँ जगदीश जी ने बनाई!! ;)
जानकारी बहुत अच्छे से दी गयी है। कल हमने भी देखा था पर फोटो देखकर समझ नही आया था की ये पंगेबाज जी ही है। वैसे इतने अच्छे कार्य के लिए अरुण जी को बधाई।
ह्म्म!! कल ही देखा यह टूल, अच्छा बना है इसमें कोई दो राय नही, हिन्दी टूलबार मे एक और अच्छी बात यह थी कि उसमे तीन-चार एग्रीगेटर दिए गए थे पर इसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ ब्लॉगवाणी है, एकला चलो रे???
अच्छी जानकारी. कौन किसके कांधे पर सवार है यह विचारणीय विषय बनता जा रहा है.
विपुल भाई,
मैने तो अभी न तो जगदीश जी के टूलबार को देखा है न ही उपयोग किया है। चूकिं अरूण जी से भावनात्मक लगाव के कारण उनका यह टूलबार काफी पंसद आया है। जहॉं तक आप इसमें कई चीजों की बात कर रहे है वह मुझे पंसद नही है। इस टूलबार की सादगी ही मुझे पंसद आई है, यहॉं तक कि मैने इसमें से टेम्पेचर सहित अन्य अनुपयोगी चीजो को हटाने को कहा है।
अमित भाई,
हमें तो आम से मतलब है, चाहे खट्टा हो या मीठा बस सड़ा हुआ न हो।
अन्य सभी बन्धु व बहनों को हार्दिक धन्यवाद जिन्होने यह लेख और टूल पंसद किया है।
एकदम सही
सिम्पलसिटी में अद्भुत शक्ति है, महाशक्ति
अरुण तो बहुत छुपे रुस्तम निकले :) ,एक बढिया पोस्ट के लिये आपको भी बधाई !!
सही है। बधाई अरुण अरोराजी को। तुमको भी बधाई इस लेख के लिये।
अरुण अरोड़ा जी को नये पंगे के लिये बधाई और आपको धन्यवाद कि बडी सरल भाषा में अछी जानकारी उपलब्ध कराई.
हमें तो आम से मतलब है, चाहे खट्टा हो या मीठा बस सड़ा हुआ न हो।
अरे यार मैंने कब मना किया? मैंने तो सिर्फ़ जानकारी देने के लिए बताया कि यह टूलबार भी उसी पेड़ की है जिससे जगदीश जी की आई है। :)
प्रमेन्द्र तुम काम की जानकारी भी खूब देते हो ।
चल कर अब इस टूलबार का पता लगाते हें । ब्लागवाणी पर गये इधर कई दिन होगये ।
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