मुझ पर व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली शीना, हिन्दी ब्लाग जगत में 5-6 माह से अपने जलवें दिखाती शीना को आखिर राजकुमार जी की पोस्ट में ऐसा क्या लिख दिया गया कि वह पॉंच माह के ब्लागिंग कैरियर को समाप्त कर दिया या फिर और कोई कारण है। जब मैने सोचा कि शीना के बारे मे कुछ जाना जाये तो मै गूगल महाराज की शरण में गया तो एक लिंक यह मिला जहॉं पर शीना के कुछ और लेख भी मौजूद थे, उनके ब्लाग से अन्यत्र लिखे गये थे अर्थात शीना ने अपने जाल में कईयो फांसा चुकी थी। आखिर शीना ने एक डाक्टर का ही वेश के क्यो धरा यह भी एक सोचनीय विषय है ? क्योकि उसे अनुमान था कि अपने पेशे से किया जाने वाला काम पर वह अच्छा लिख और लोगों को फॉंस सकती है।
अभी हिन्दी ब्लाग निदेशिका पर एक शीना जी के बारे में यह पढ़ने को मिला,
हिन्दी चिट्ठाजगत की एगनी आन्ट शीना राय पेशे से एक डॉक्टर हैं। ये चिट्ठा है पाठकों के लिए एक मंच जहाँ वे दिल खोलकर अपनी समस्यायें बता सकते हैं और समाधान पा सकते हैं।
भले ही शीना ने अपना ब्लाग डीलिट कर लिया है किन्तु उनकी ब्लागर प्रोफाईल अभी भी मौजूद है, और वर्तमान में एक ब्लाग पर वो लिख रही है।
शीना की सलाह
Gender: Female
Industry: Accounting
Occupation: डॉक्टर
Location: दिल्ली : India
About Me
नमस्कार मेरा नाम शीना राय हैं. पेशे से मैं एक डॉक्टर हूँ. पेश हैं आप के लिए एक मंच जहाँ आप दिल खोलकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं.किसी भी प्रकार की समस्या के लिए मुझे [email protected] पर मेल करे
मै शीना जी के बहुत पीछे नही पढ़ना चाहूँगा, जो गलत था वो चला गया किन्तु आज भी शीना के पन्ने मौजूँद है जो खोज का विषय हो सकता है। आज विभिन्न मुद्दों पर शीना की टिप्पणी मौजूद है वह दर्शाती है कि उनका ब्लागिंग में काफी दखल था।
इधर एक दो बातें मेरे ब्लाग पर और देखने को मिली कि किसी ने विपुल जी के नाम से मेरे ब्लाग पर वाहियात टिप्पणी की थी, और जब मैने उसे देखा तो मेरा भी माथा ठिनका और मै उसे डिलीट करने के लिये अग्रसर हो ही रहा था कि अचानक मेरे फोन पर एक घन्टी आई और कहा गया कि मै विपुल जैन बोल रहा हूँ, और उन्होने अपनी बात रखी और मैने भी अपनी बात रखी कि अगर आपका फोन न भी आता तो मै उसे तुरंत हटाने ही वाला था। विस्तृत लम्बी चर्चा के बाद मैने अपने विवेकानुसार टिप्पणी हटा दी जो हटाने योग्य थी।
इधर संजय भाई कि भी एक टिप्पणी दो एग्रीगेटरों की जंग को लेकर थी और उनका भी कहना था कि मेरी पहली टिप्पणी का उद्देश्य खत्म हो गया है उसे भी हटा दिया जाना चाहिए। मै एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मै अपने ब्लाग को किसी वार का अड्डा नही बनने दूँगा। चाहे यह दो एग्रीगेटरों के बीच युद्ध हो या चार किन्तु रोटियॉं दोनो और चारों के बीच तीसरा और पॉंचवा खाता है। खैर यह विषय अगल है।
मै किसी को भी चाहे टिप्पणी या लेख या किसी और माध्यम से अपने ब्लाग को जंग का अखाड़ा नही बनाने दूँगा।
अभी हिन्दी ब्लाग निदेशिका पर एक शीना जी के बारे में यह पढ़ने को मिला,
हिन्दी चिट्ठाजगत की एगनी आन्ट शीना राय पेशे से एक डॉक्टर हैं। ये चिट्ठा है पाठकों के लिए एक मंच जहाँ वे दिल खोलकर अपनी समस्यायें बता सकते हैं और समाधान पा सकते हैं।
भले ही शीना ने अपना ब्लाग डीलिट कर लिया है किन्तु उनकी ब्लागर प्रोफाईल अभी भी मौजूद है, और वर्तमान में एक ब्लाग पर वो लिख रही है।
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नमस्कार मेरा नाम शीना राय हैं. पेशे से मैं एक डॉक्टर हूँ. पेश हैं आप के लिए एक मंच जहाँ आप दिल खोलकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं.किसी भी प्रकार की समस्या के लिए मुझे [email protected] पर मेल करे
मै शीना जी के बहुत पीछे नही पढ़ना चाहूँगा, जो गलत था वो चला गया किन्तु आज भी शीना के पन्ने मौजूँद है जो खोज का विषय हो सकता है। आज विभिन्न मुद्दों पर शीना की टिप्पणी मौजूद है वह दर्शाती है कि उनका ब्लागिंग में काफी दखल था।
इधर एक दो बातें मेरे ब्लाग पर और देखने को मिली कि किसी ने विपुल जी के नाम से मेरे ब्लाग पर वाहियात टिप्पणी की थी, और जब मैने उसे देखा तो मेरा भी माथा ठिनका और मै उसे डिलीट करने के लिये अग्रसर हो ही रहा था कि अचानक मेरे फोन पर एक घन्टी आई और कहा गया कि मै विपुल जैन बोल रहा हूँ, और उन्होने अपनी बात रखी और मैने भी अपनी बात रखी कि अगर आपका फोन न भी आता तो मै उसे तुरंत हटाने ही वाला था। विस्तृत लम्बी चर्चा के बाद मैने अपने विवेकानुसार टिप्पणी हटा दी जो हटाने योग्य थी।
इधर संजय भाई कि भी एक टिप्पणी दो एग्रीगेटरों की जंग को लेकर थी और उनका भी कहना था कि मेरी पहली टिप्पणी का उद्देश्य खत्म हो गया है उसे भी हटा दिया जाना चाहिए। मै एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मै अपने ब्लाग को किसी वार का अड्डा नही बनने दूँगा। चाहे यह दो एग्रीगेटरों के बीच युद्ध हो या चार किन्तु रोटियॉं दोनो और चारों के बीच तीसरा और पॉंचवा खाता है। खैर यह विषय अगल है।
मै किसी को भी चाहे टिप्पणी या लेख या किसी और माध्यम से अपने ब्लाग को जंग का अखाड़ा नही बनाने दूँगा।
जय श्रीराम
आपकी सबसे अंतिम लाईन पर तारीफ़!!
जवाब देंहटाएंBhaiya, post mein nahi, comment mein dikha tha.
जवाब देंहटाएंअगर कोई टिप्पणी उकसाने लायक लगे तो उसे स्थान नहीं दिया जाना चाहिए. हम सब मिलकर इस पर एक मत हो सकते है.
जवाब देंहटाएंयह तो ध्यान चला गया वरना पता नहीं कौन किसके नाम से कहाँ क्या लिख रहा है?
भाई अपन को ज्यादा समझ नहीं आया। पर अन्त में आपने कहा है तो दोहरा दें - जै श्री राम!
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