चजइ - एग्रीगेटरों का युद्ध और चिट्ठाकार के बीच दूरियों के मध्‍य महाशक्ति समूह का हस्‍तान्‍तरण

कभी कभी लगता है कि हम किस रास्‍ते पर जा रहे है? ये प्रश्‍न आज मेरे मन मै कौध रहे है। इधर मेरी पर‍ीक्षाओं की तिथियॉं आ गई है और इसी 25 से प्रारम्‍भ हो रहा है, तब तक के लिये अवकाश ले रहा हूँ, इस पोस्ट का उद्देश्‍य महाशक्ति समूह के काम परिवर्तन के लिये था किन्‍तु पिछले दिनों मेरे ब्‍लाग पर जो कुछ भी हुआ उसके प्रति स्‍वभावगत लिखना जरूरी था।

सच कहूँ तो गत दिनों मेरे ब्‍लाग पर हुई वाकयुद्ध सहित कई विषयों से मन आहत हुआ था किन्‍तु किया भी क्‍या जा सकता है। मुझे लगता कि आज हिन्‍दी ब्‍लागिंग मे बहुत कुछ निरूद्देश्‍य से किया जा रहा है।

मुझे लगता है‍ कि यह हिन्‍दी ब्‍लागिंग का सबसे गिरा हुआ दौर है, जिसमें एक दूसरे के टॉंग खीचने का प्रयास किया जाता है। मेरा बहुत कुछ कहना ठीक नही है क्‍योकि आप लोग खुद ही बहुत समझदार हो। क्‍योकि मै जिस दौर में इस क्षेत्र में कदम रखा था वह दौर विवादों के बावजूद प्रेम और सौर्हाद का दौर दौर हुआ करता था किन्‍तु आज के दौर मेरा न कहना ही बहुत कुछ कहना है।

हिन्‍दी ब्‍लागिंग धूरियों पर बटता जा रहा है, और इन धूरियों का ही परिणाम है कि गाहे बागाहे छद्म शीत शुद्ध ब्‍लागिंग में भी शुरू हो जाता है। जहॉं तक ब्‍लागिंग कि बात करूँ तो आज भी कई ब्‍लाग गुमनामी के अधेरे में सभी एग्रीगेटरों पर होने के बाद भी है और कई ऐसे भी ब्‍लाग है जो किसी एग्रीगेटर पर नही है किन्‍तु अच्‍छी पाठक संख्‍या पा रहे है। एग्रीगेटरों को कतई यह नही समझना चाहिऐ कि चिट्ठाकार उनसे अपितु सच्‍चाई यही है कि एग्रीगेटर चिट्ठाकरों से है।

अगर अपने पाठको की बात करूँ तो सभी एग्रीगेटर से कुल पाठक के 40 प्रतिशत भी नही आते है यह जरूर है कि ब्‍लागवाणी सर्वाधिक पाठक भेजता है तो 25 से 30 प्रतिशत बैठता है। किन्‍तु ब्‍लागवाणी से मुझे सर्वाधिक पाठक मिलते है तो इसका यह अर्थ नही है कि चिट्ठाजगत, नारद और हिन्दी ब्‍लाग्स का महत्‍व कम हो रहा है क्‍योकि जो कुछ भी है पाठक वहाँ से भी आते है चाहे प्रतिशत भले ही कम क्‍यो न हो, संख्‍या भले ही कम हो किन्‍तु संख्‍या के महत्‍व को कभी नकारा नही जा सकता है।

अगर मै बात करूँ तो तीनों ब्‍लाग एग्रीगेटर में अन्‍तर की तो ब्‍लागवाणी अपनी विविधता में एकता के कारण लोकप्रिय है, कुछ समय तक चिट्ठाजगत भी अच्‍छा था किन्‍तु ज्‍यादा अच्‍छा बनने के चक्‍कर में जब से चिटठों का वर्गीकरण किया पाठको की कमी आयी है। रही बात नारद की तो नारद का पहले का स्‍वरूप बेहतर था किन्‍तु यह भी यही बीमारी से ग्रसित हो गया और प्रतीक जी की समयाभाव के कारण हिन्‍दी ब्‍लाग्‍स भी दम तोड रहा है। सभी एग्रीगेटर सहमत थे लिंक एक्‍सचेन्‍ज के किन्‍तु वह समझौता भी भारतीय राजनीतिक गठबन्‍धन की तरह टूट गया। खैर यह सब लगा रहेगा किन्‍तु जरूर है सम्‍न्‍वय की जो दिखाई ही नही अमल में लाई जानी चाहिऐ।

मेरी परीक्षाऐं जैसे ही खत्‍म होती है मै पुन: आऊँगा,क्‍योकि वक्‍त बदलने से महौल भी बदले किन्‍तु मुझे इसका भरोसा कम ही है। चूकिं महाशक्ति समूह से मेरा बहुत ही भावात्‍मक नाता है और भी मित्र गण उससे जुडे है इस कारण मेरे अनुपस्थिति के दौर महाशक्ति समूह की जिम्‍मेदारी श्री मानवेनद्र प्रताप सिंह जी निभाऐगें। महाशक्ति समूह पर किसी भी समस्‍या या बात के लिये अब आप उनसे ही सम्‍पर्क करेगें, किन्‍तु उनसे किसी भी प्रकार से सम्‍पर्क नही होता है तो आप मुझे सूचित कर सकते है।

मै टिप्‍पणी के माडरेशन का विरोधी हूँ कि पिछले दिनों जो कुछ भी मेरे ब्‍लाग पर हुआ उसके चलते मै अपनी अनुपस्थिति तक अपने ब्‍लाग की टिप्‍पड़ी को माडरेशन में रख रहा हूँ, ताकि इस छद्म युद्ध से बचा जा सकें।

चजइ के लिये मेरी पहली और अन्तिम प्रविष्‍टी पोस्‍ट कर रहा हूँ, ताकि यह न हो कि मैने प्रतियोगिता में भाग नही लिया :)

फिर मिलेगें नये समय में नये माहोल में अभी चलता हूँ ..........

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