भारत जैसे विशाल देश में, जब भाषा तथा क्षेत्रवाद को लेकर विवाद होते है तो कष्ट की अनुभूति होती है। मुझे मराठियों से काफी लगाव है इसका मुख्य कारण छत्रपति शिवाजी और काफी हद तक बाला साहब का व्यक्तित्व है। हाल के दिनों में जिस प्रकार मुम्बई में राज के सैनिकों ने तांडव किया वह यह दर्शाता है कि भारत में अभी भी क्षेत्रवाद का अंत नही है।
तमिलनाडु से लेकर पूवोत्तर भारत राज्यों में जो दहशत देखने को मिलती है वह यह दर्शाता है कि भारत नागरिक आज भारत में भी सुरक्षित नही है। आज केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार आज अपने देश की सुरक्षा की गारंटी लेने को तैयार नही है। मेरे ख्याल से राज की मराठी व्यक्तियों को लेकर चिन्ता जायज है किन्तु उनका प्रर्दशन नाजायज था। पर यहॉं पर यह बात स्वीकार करने होगी कि जिनती चिन्ता राज ठाकरें को है शायद उतनी मराठियों को नही होगी। राज ठाकरे की नीयत महाराष्ट्र के अपनी पैठ बानने ही और वह इस नब्ज को दबा रहे है।
आज एक प्रश्न उठता है कि इस क्षेत्रवाद का अंत क्या होगा ? क्या सरकार को इस आतंरिक आतंकवाद को नियत्रण में करने का साहस नही है ? इस आंतरिक आंतंकवाद को देशद्रोह माना जाना चाहिए। और इसके पोषको को दण्डित किया जाना चाहिए ताकि भारत के सविधान की मूलभावना कि हम भारत के लोग को बरकरार रखा जा सकें।
bahut badhiya
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