दातव्यमिति यद्दानं दीयतेSनुपकारिणे।
देश काले च पात्रे च तद्दानं सात्विक स्मृतम्।। श्री म.भ.गीता 17/20
शुभाषित, अमृत वचन
देश काले च पात्रे च तद्दानं सात्विक स्मृतम्।। श्री म.भ.गीता 17/20
भावार्थ -
दान देना ही कर्त्तव्य है, ऐसे भाव से जो दान देश तथा काल और पात्र के प्राप्त होने पर उपकार न करने वाले के प्रति दिया जाता है, वह दान सात्विक कहा गया है।शुभाषित, अमृत वचन
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3 टिप्पणियां:
ये किस चक्कर में आप फँस गये..तबियत तो ठीक है...सानिया मिर्जा की तस्वीर कहाँ है??? :)
होली मुबारक...
बढिया!लिखा है।
बन्धु, वर्तनी-दोष अवश्य सुधारें, भाषा के प्रति यह अपराध है, यदि आलस्य है तो और भी बुरा | यदि गीता का नाम ले रहे हो तो इतना तो हमसे भी सुन ही सकते हो :)
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