आज राष्ट्रीय शर्म दिवस है

आज भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन है। आज एक विदेशी देश की सरपरस्‍ती जाताने के लिये भारत सरकार क्‍या क्‍या दमन के तरीके अपना रही है। जिस मशाल का प्रर्दशन जनता न देख सके वैसे आयोजन से क्‍या लाभ? यह कहना गलत न होगा कि आज देश में विदेशी सत्‍ता की बू की झलक आ ही गई है।

आज मुझे मनमोहन नीत सरकार को, चीनी सरकार का ऐजेंट कहने में जरा भी हिचक नही है। एक तरफ तिब्‍बती जनता का दमन किया जा रहा है वही भारतीय सरकार चीन के जश्‍न में जाम पे जाम लिये जा रही है। आज की सत्‍ता की घिनौनी हरकत ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। एक पराये देश की दमन कारी नीति के सर्मथन में पूरी दिल्‍ली को कफ्यू ग्रस्‍त जैसा महौल कर दिया है। देश के गृहमंत्रालय भी ''चीनी मेहरिया'' (मशाल) के दर्शन कोई नागरिक न कर ले इस लिये, सभी सरकारी इमारतों की राजपथ की ओर खुलने वाली खिड़कियां व दरवाजे बंद रहेंगे। पीएमओ, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी राजपथ पर हैं इसलिए यह नियम उन पर भी लागू होगा।

कितनी शर्म की बात है कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय से भी इस मशाल को दूर रखा गया, शायद सोनिया-मनमोहन सरकार को अपने कार्यालय पर ही भरोसा नही है। इस र्निलज्‍ज सरकार में कम से थोड़ा तो पानी रहा नही तो राष्‍ट्रपति भवन को भी न छोड़ते।

कई सितारों ने इस मशाल दौड़ का बहिष्‍कार किया वे बधाई के पात्र है सबसे अधिक भूटिया जिन्‍होने सरकार की नीति ही नही सरकारी नुमाइन्‍दों के मुँह पर खीच खीच के तमाचे मारे है। भूटिया स्‍पष्‍टता से कहा कि तिब्‍बती दमन के अपराधी के उत्‍सव में मै भाग नही लूँगा। भूटिया का कहना स्‍वाभाविक है वह सिक्किम से जुडे है जिसे चीन अपना अंग मानता है।

हमारी सरकार एक औरत के छत्रछाया में चूडि़यॉं पहन के बैठी है। इसके मंत्री अरूणाचल जाते है तो सिर्फ यह घोषण करने की ''अरूणाचल भारत का अभिन्‍न अंग है।'' अरूणाचल तो भारत का अंग है ही उसे बताने की क्‍या जरूरत है। मै सच में एक बात कहना चहाता हूँ कि अगर ऐसे मंत्री की सुरक्षा न हो तो अरूणाचल ही नही पूरे भारत में जूतियाये जाये। भारत का अंग वास्‍तव में सिक्किम और अरूणाचल तब होगे कि वहाँ पर कुछ काम हो। किन्‍तु काम के नाम पर इन ''नमक चोरों'' की जेब खाली हो जाती है। आज भी देश के दोनो प्रदेश रेल यातायात से अछूते है। क्‍या संसाधनों की कमी के बल पर भारत के अंग बनाये रखेगें? 
चीन की मशाल न‍िकली जरूर है, इसमें तिब्‍बत का शौर्य जगेगा तो भारत का शर्म।

7 टिप्‍पणियां:

  1. तिब्‍बत मसले पर आपकी सोच का सम्‍मान किया जाना चाहिए। रकार की 'तैयारी' ही इस बात का प्रमाण है कि उसे पता है कि उसके इस कृत्‍य को जनसमर्थन नहीं है। (पर उससे क्‍या होता है समर्थन तो जन का नहीं वाम का चाहिए वो तो चीनी आकाओं को खुश करके ही मिलेगा)

    किंतु 'औरत की सरपरस्‍ती' तथा चूडि़यॉं पहनने की शब्‍दावली बेहद आपत्तिजनक स्‍त्रीविरोधी तथा अपरिपक्‍व है।

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्‍यवाद सागर भइया


    श्रीमसिजीवी जी,

    यह कतई नही छिपा की सरकार के पीछे कौन है और आगे कौन? इसलिये इसमें कतई यह मानने वाली बात नही है कि यह औरत विरोधी कोई बात है। हम एक सम्‍प्रभु राष्‍ट्र है और हमारे जैसे देश कम से कम दुशमन देश की गुलामी बजाये तो इसमें चूडि़यॉं पहनने की बात करना कहॉं गलत है ?

    हमारी सरकार तिब्‍बत पर चीन का सर्मथन कर रही है आप खुद बताइय्र कि चीन कश्‍मीर पर भारत का सर्मथन कब किया है?

    जवाब देंहटाएं
  3. हम मुलतः गुलाम मानसिकता वाले लोग है. पहले मोगलो के तलवे चाटे, फिर अंग्रेजों के अब अमेरीका के तो आने वाले समय में चीन के चाटेंगे. खुद को बुलन्द पता नहीं कब करेंगे.

    जवाब देंहटाएं
  4. मसिजीवी जी की आपत्ति ठीक है. चूडियाँ प्रेम और स्नेह का प्रतीक हैं. उन्हें शर्म और कमजोरी का प्रतीक न बनाएं न batayen. virodh इस shabdavali को लेकर है, baaki विचार sateek हैं आपके. (google transliteration is not working properly at the moment.)

    जवाब देंहटाएं
  5. अटल बिहारी बाजपेयी को प्रधानमंत्री रहते एक बार चूड़ियां पहनने की सलाह देने पर प्रभाष जोशी के जनसत्ता दफ्तर में भाजपा महिला मोर्चा के लोग घेराव करने पहुंच गए थे।

    जवाब देंहटाएं
  6. आप की लेखनी को सलाम ....सरकार पूरी तरह से अमेरिका परस्त हो गई है......चिन ने भी अपनी मूल जड़ो को छोड़ कर साम्राज्यवादी देश बनता जा रहा है..............चंद्रपाल ,मुम्बई..

    जवाब देंहटाएं