इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता की पुलिस हिरासत मे मौत के कारण, शहर का माहोल काफी आगजनीमय हो गया था, काफी बसे और गाडि़यॉं को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना का अंजाम इतनी दूर तक जायेगा इसका अनुमान कल ही हो गया था। आज उत्तर प्रदेश के सभी न्यायालय के अधिवक्ता न्यायायिक कार्य से विरत रहे। कल अधिवक्ताओं ने एक प्रस्ताव इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री बीएस चौहान के कोर्ट में न्यायायिक कार्य न करने का फैसला लिया, और उनके तबादले की अनुशंसा की।
गौर ललब हो कि न्यायामूर्ति श्री चौहान के आदेश पर स्व. अधिवक्ता को न्यायालय की अवमानना पर जेल भेजा गया था। उच्च न्यायलय परिसर में आज अधिवक्ता न्याययिक कार्य से विरत रहने का फैसला कर चुके थे, किन्तु कुछ कोर्ट बैठी और कोर्ट में कुछ अधिवक्ताओं ने अभद्रता पूर्वक बातें की। वकीलो का रोष जायज था। क्योकि जिस प्रकार की अमानवीय कृत्य मृतक के साथ हुआ। वह सभ्य समाज में निन्दनीय है।
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