अब हम न भए तो क्या हुआ दुनिया का चलना काम है। मेरे रूकने से दुनिया नही रूकेगी, मै अपना काम करूँगा और दुनिया अपना, यही प्रकृति के नियमानुसार कार्य होता रहेगा। आज मुझे कोई लेख लिखे करीब 15 दिन के आस पास हो रहा है, यह कम्प्यूटर के नजदीक होने के बाद भी इतना बड़ा गैप पहली बार हो रहा है।
किसी भी एग्रीगेटर पर गये भी करीब हफ्ते भर से ज्यादा समय हो रहा है, एक दो टिप्पणी अपने चहेते ब्लागों पर हुई वह एक अपवाद हो सकता है। पिछले कुछ महों से हिन्दी ब्लाग जगत में अभूतपूर्व बदलाव के माहोल देखने को मिला, कि आज के व्यक्ति को ओछी हरकत करने के लिये कोई भी जगह नही है, शायद यही कारण है कि आज हिन्दी ब्लाग में भी स्तरीय गिरवट देखने को मिल रहा है।
किसी भी एग्रीगेटर पर गये भी करीब हफ्ते भर से ज्यादा समय हो रहा है, एक दो टिप्पणी अपने चहेते ब्लागों पर हुई वह एक अपवाद हो सकता है। पिछले कुछ महों से हिन्दी ब्लाग जगत में अभूतपूर्व बदलाव के माहोल देखने को मिला, कि आज के व्यक्ति को ओछी हरकत करने के लिये कोई भी जगह नही है, शायद यही कारण है कि आज हिन्दी ब्लाग में भी स्तरीय गिरवट देखने को मिल रहा है।
जहॉं अच्छा माहोल व व्यवहार होता है वहॉं लिखने बैठने का मन करता है किन्तु मन कहता है कि हिन्दी ब्लागिंग में कि अब हम न भए। .... लिखने की इच्छा थी किन्तु आवाश्यक काम आ गया, समय मिला तो फिर लिखेगे :)
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4 टिप्पणियां:
प्रमेन्द्र जी,
आशा है आप शीघ्र ही कुछ विचारोत्तेजक लेख लेकर आयेंगे | लोग अगर स्तर गिराने पर तुले हैं, ऐसे में आपकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है | आपको अपने लेखों को अधिक स्तरीय बनाकर लिखना होगा जिससे नित नए लोग ब्लॉग जगत से जुड़ते रहें |
नीरज रोहिल्ला
सच में अच्छे ब्लॉगर की दरकार तो ऐसे वक्त में ही है!
नहीं जी ऐसा मत कीजिये.
इस समस्या से हम सभी जूझ रहें है.
लड़ भी रहें हैं. हालत में धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है.
लड़ने से ही कामयाबी मिलेगी.
महाशक्ति
तुम जहाँ कहीं भी हो, तुरंत लौटती डाक से चले आओ.
चिट्ठों का स्तर नीचे गिर रहा है, उसे थोड़ा उपर उठाओ.
-चले आओ! इन्तजार है. :)
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