इश्क



वफाओं को हमने चाहा,
वफाओं का साथ मिला।
इश्‍क की गलियो में भटकते रहे,
घर आये तो बाबू जी का लात मिला।।

घर लातों को तो हम झेल गये,
क्‍योकि यें अन्‍दर की बात थी।
पर इश्‍क का इन्‍ताहँ तब हुई जब,
गर्डेन में उसके भाई का हाथ पड़ा।।

इश्‍क का भूत हमनें देखा है,
जब हमारे बाबू जी ने उतारा था।
फिछली द‍ीवाली में पर,
जूतों चप्‍पलों से हमारा भूत उतारा था।।

इश्‍क हमारी फितरत में है,
इश्‍क हमारी नस-नस में है।
बाबू की की ध‍मकियों से हम नही डरेगें,
हम तो खुल्‍लम खुल्‍ला प्‍यार करेगें।।

अब आये चाहे उसका भाई,
चाहे साथ लेकर चला आये भौजाई।
इश्‍क किया है कोई चोरी नही की,
तुम्हारे बाप के सिवा किसी से सीना जोरी नही की।।

कई अरसें से कोई कविता नही लिखी, मित्र शिव ने कहा कि कुछ लिख डालों कुछ भाव नही मिल नही रहे थे किन्‍तु एक शब्द ने पूरी रचना तैयार कर दी, मै इसे कविता नही मानता हूँ, क्‍योकि यह कविता कोटि में नही है, आप चाहे जो कुछ भी इसे नाम दे सकतें है, यह बस किसी के मन को रखने के लिये लिखा गया।


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8 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

vha vha bhut khub.likhate rhe.

Arun Arora ने कहा…

अरे भाइ तुम कहा इन चक्करो मे फ़स रहे हो पहले इस बारे फ़ुरसतिया जी से ट्रेनिंग ले लो :)

अनूप शुक्ल ने कहा…

जब जूता लात हो गया, चप्पल भी पड़ गये तो अब कौन कमी बची प्रेम में? उनके भैया ने भी थपड़िया दिया तो हो गये सिद्ध प्रेमी। और जब एक बार प्रेमी बन गये तो कवि कहलाने से कौन माई का लाल रोक सकता है?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

भाई साहब, लगे रहिए। कभी न कभी सफलता मिल ही जाएगी… इश्क में भी और कविताई में भी। शुरू-शुरू में थोड़ा कठिन लगता है लेकिन बाद में आदत पड़ जाने पर सब कुछ सामान्य हो जाता है।

Shiv ने कहा…

बहुत शानदार कविता है. प्रेम के ऊपर कविता लिखने का अपना महत्व है. और कविता लिखने के लिए जो एक महत्वपूर्ण शब्द की जरूरत थी, वो भी शानदार शब्द है. कवि अगर प्रेमी बन जाए, तो महत्व दो गुना बढ़ जाता है.

Shiv ने कहा…

बहुत शानदार कविता है. प्रेम के ऊपर कविता लिखने का अपना महत्व है. और कविता लिखने के लिए जो एक महत्वपूर्ण शब्द की जरूरत थी, वो भी शानदार शब्द है. कवि अगर प्रेमी बन जाए, तो महत्व दो गुना बढ़ जाता है.

Udan Tashtari ने कहा…

कितने पावन प्रेमी हैं आप. आँख भर आई आपकी प्रेम व्यथा देखकर. :)

Abhishek Ojha ने कहा…

"इश्‍क की गलियो में भटकते रहे,
घर आये तो बाबू जी का लात मिला"

हमें तो ये लाइन भा गई, भई.