जयपुर, बेंगलुरु और उसके बाद अहमदाबाद, जिस प्रकार भाजपा शासित राज्यों पर लगातार हमले हो रहे है, इससे यह जान पड़ता है कि आतंकियों का अगला निशाना अब भोपाल या शिमला हो सकता है। आतंकवाद भाजपा या कांग्रेस नही देखता है किन्तु जो परिदृश्य दिख रहा है कि यह सुनियोजित तरीके से देश के ही तत्व यह कुकृत्य कर रहे है।
देश के भीतर पल रहे विषबीजों का काम है जो आने वाले चुनावों में भाजपा के शासन को कलंकित दिखाना चाहते है। जिस प्रकार की हरकत केन्द्र सरकार ने संसद में कि उससे तो यही लगता है कि सरकार सत्ता के लिये कुछ भी कर सकती है, अगर बम विस्फोट भी होते हैं तो इसमें कोई शक नहीं कि खुफिया तंत्र की विफलता के पीछे सरकार का ही हाथ होता है। राजनीति का स्तर सत्ता की भूख के लिये इतना गिरना नहीं चाहिये।
भगवान दोनों जगह हुए विस्फोट में शहीद हुए लोगों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें।
शायद आपकी बात सही हो पर अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन होगा सर्वनाश...और शायद उसमें न बचेगें ये आतंकी और आतंक के पोषक हमारे नेता..
जवाब देंहटाएंsahi kaha aapne.is desh me ab aatankwaadi kabhi bhi aur kahin bhi kuch bhi kar sakte hai.
जवाब देंहटाएंकोई भी शहर हो सकता है भाई, जब तक कांग्रेसी आस्तीन के सांप हमने पाले हुए हैं…
जवाब देंहटाएंलानत हे ऎसी राज नीति पर
जवाब देंहटाएंवो जो संसद में नोट लहराने और शर्मसार कर देने वाला कोई काम नहीं छोड़ने में व्यस्त थे, अब पीड़ितों के लिए दुख जताते, धमाकों की निन्दा के बयान देते नजर आएंगे। तब तक अगला धमाका ...माफ कीजिए अब धमाका नहीं सिलसिलेवार धमाके होते हैं, हो जाएंगे। सब कुछ सिलसिलेवार होता है... धमाकों की वारदातें भी और देश के लचर प्रतिनिधियों की बयानबाजी भी।
जवाब देंहटाएंआज भारत ही नहीं पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में आ चुका है। इस तरह का घिनौना काम करने वाले इंसान कहलाने के लायक भी नहीं हैं। शर्म आती है जिस तरह से भारत में आतंकवादी हमलों में तेज़ी आई है और सुरक्षा तंत्र इसे रोक पाने में असमर्थ रहा है। दोष तो व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार का है। वैसे रही-सही कसर नेतागिरी पूरा कर देती है जो ऐसी घटनाओं का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करते हैं।
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