दीप जो जलता रहा
मुझे पंगेबाज की अंत्येष्टि कार्यक्रम में डोम कार्य का दायित्व माननीय सुरेश जी के सानिध्य में सौंपा गया था, उस कड़ी में जारी है पंगेबाज की कंडोलेंस डायरी का पेज नं 302
पंगेबाज बहुत अच्छे आदमी थे, मुझे तो उनके लेखों में आत्मीयता झलकती थी। उनके सारे लेखों पर मैने ''अच्छा, बहुत अच्छा और सारगर्भित की ही टिप्पणी की।अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ना रहा है कि पंगेबाज के जाने से मेरे लिये टिप्पणी करने का एक ब्लाग कम हो गया। अब वो स्थान कैसे भरेगा ? पंगेबाज भगवान तुम्हारी आत्मा को शान्ति प्रदान करें।
आपको सदा याद करने वाला
तुम्हारा
समीर
''सही है'' जिसे आना है जायेगा, जिसे आना होगा आयेगा। हिन्दी ब्लागिंग में पंगेबाज बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। ये बात भी सत्य है कि पंगेबाज के जाने के बाद पंगेबाजी खत्म होने वाली है। तुम्हारी रंगों में बह रहा खून, एक ब्लागर का खूर था, और पंगेबाजी तो हर ब्लागर के नस नस में रची बसी है। मुझे दुख है कि मेरे ब्लाग की एक टिप्पणी कम हो गई, मै अपने ब्लाग पर आये इस एक टिप्पणी के शुन्य को खोज रहा हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके एकाध प्रतिस्पर्धी को भी अपने पास बुला ले ताकि पंगेबाज की आत्मा पंगेबाजी के लिये उद्वलित करे, तो स्वर्ग में सुविधा उपलब्ध हो जाये, उनकी आत्मा को धरती की ओर रूख न करना पडे़।
तुम्हारा
फुरसतिया
उड़ी बाबा, पोगेबाज चोला गया! , कोय को गया ? , ओब मी केसे लोड़ाई कोरबो ? ओब मेरी सोंड वाली फोस्टिंग के कोरेगा ? मेरे लिखे पर के खुरपैच निकोलेगा ? अब मेरे स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह को कौन खोयेगा ? उड़ी भोगवान हम ओब क्या कोरेगा ? किसके ब्लोग पर एनिनोमिस टिप्पोनी कोरेबे ? हे भोगवान, तेरे ओगे किसी की नही चोलने का, जो हुआ ठीक हुआ, प्लीज गोड जी एक कोम कोरने का, एक नेट कोनेक्सन लोगवा लो, हम पंगेबोज से स्वर्ग से ही पोंगा कोरेगा।
तुम्हारा
(पोगेबाज होमको जोनता है, हम ओपना नाम नही लिखेगा।)
बड़ा अच्छा आदमिवा रहा ई पंगेबजवा। हम राजनेतवन का ई शब्दवा तो हम मरै वाले आदमी के बदै कहै कर पड़ता है, तबै तो हमरे पेशे का नेतागीरी कहा जात है। देखा हरकिशन के मरै पर हर नेता पहुँचा रहै कंडोलेंस करै, कि ई बहुत बड़ा और अच्छा नेतावा रहै।
अब पंगेबाजवा के मरै पर तो हमरै फर्ज रहै कि ई काम हमहु काम करी, कहै कि हर आदमी का अपने भविष्य के चिन्ता होत है। हे ईश्वरवा एक ठो ई आत्मा जात अहै एका शान्ति दिहो, काहे कि अब एकरे पहुँचे के बाद तोहका शान्ति न मिली।
तोहार परम मित्तर,
अफलातून
आप भी पंगेबाज को अपनी शोक संवेदना देना चाहते है तो
[email protected] पर अपना संदेश और नाम ईमेल करें। आज हम बहुत दुखी है इसलिये स्माईली नहीं लगा रहे है।
द्वारा
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह
क्रिया कर्म विशेषज्ञ पगेबाज,
क्रमश: जारी ...........
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