कल अचानक एक फोन आया, कि प्रमेन्द्र जी (अपना नाम लेकर) कहा कि मै बोल रहा हूँ। प्रारम्भ में मैंने तो स्पष्ट रूप से पहचानने से इंकार कर दिया। किन्तु जब आवाज आई कि महाशक्ति जी मै बोल रहा हूँ तो दिमाग के सारे तार आपने आप खुल गये तो पता चला कि मेरा चुंतन ब्लॉग के श्री संतोष कुमार पांडेय जी बोल रहे है। उन्होंने कहा यदि आप चाहे तो ब्लॉगर मीट हो सकती है, अभी आपके मोहल्ले में ही विचरण कर रहा हूँ, हमने भी मिलने के लिये हाँ कर दिया। चूकिं वह लूकरगंज में अपने चार पहिये गाड़ी की सर्विसिंग कराने आये थे, गाड़ी सर्विस के लिये देने के पश्चात मुझे खुद उन्हे लेने जाना हुआ। घर ही हमारे भइया महाशक्ति समूह के श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह भी उपलब्ध थे, जो इस मिलना को द्विआयामी से त्रिआयामी बनाने के लिए उपलब्ध थे।
घर आकर हम लोगों ने काफी बात की, ब्लाग की वर्तमान दशा और दिशा पर भी हम लोगों ने चर्चा किया। उनका काफी दिनों से लेखन बंद है और मै भी काफी दिनों से कम लिख रहा था। इधर मैने उन्हे कुछ न कुछ लिखने के लिये कहा कि समय मिले तो जरूर लिखे और उन्होने जल्द ही सक्रिय होने की बात कहीं। उन्होने मेरी सक्रियता की कमी पर प्रश्न उठाया कि महाशक्ति की शान्ति का माहौल मजा नही दे रही है। :)
मैने स्पष्ट किया कि इधर अपनी परीक्षाओं के कारण दूरी बनी रही, फिर सिर्फ लिखने के लिये लिखने की इच्छा नही करती है, का कारण बताया। सही बात भी है मैने इन दिनों अधिकत ब्लाग सिर्फ लिखने के लिये बिना उद्देश्य लिखा जा रहा है। इन दिनों इस तरह के लेखन से मेरा मन तो उब गया है। अन्त में फिर जल्दी मिलने के वायदे के साथ हमारी लघु चिट्ठाकार वार्ता सम्पन्न हो गई।
चित्र के लिये प्रतीक्षा करें। -
आपका ब्लॉग पर्यावरण के
जवाब देंहटाएंअनुकूल है
हरियाली है
लकड़ी है
जिसने मन को हरा
भरा उपवन बनाया है।
बिना औपचारिकता की इस प्रकार की ब्लागर मीट्स का अपना ही मजा होता होगा । चित्र का इन्तजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंब्लागर मीट- इधर शुरू उधर खतम।
जवाब देंहटाएंब्लोगर मीट की बधाई
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