पिछले दो दिनों से बिजली कटौती चरम पर है, त्यौहार का मौसम होने के बाद भी अनियमित कटौतियों की तो मानो बाढ़ सी आ गई है। कल शाम को करीब 3 घंटे की कटौती हुई और आज भी यह बदस्तूर जारी है। दुर्गा पूजा और नवरात्रि का महत्वपूर्ण पर्व होने के बाद भी इस प्रकार की कटौती निश्चित रूप से आस्था पर कुठाराघात है। 1 और 2 अक्टूबर को ईद पड़ी थी उन दिनों लगातार 48 घंटे विद्युत आपूर्ति की गई किन्तु आज जब हिंदुओं का पर्व आया तो सरकार की बिजली देने में नानी मर रही है, ऐसा क्यों ?
ऐसा तो है नहीं कि ईद और मुहर्रम में खुदा बिजली पैदा करने की इकाई लगा देते है, और जहां दीपावली, होली और दशहरा आता है भगवान जी बिजली पैदा करने की इकाई बंद हो जाती है। सरकार की इस सेक्युलर छवि की हमें चिंता करनी चाहिये। आखिर हिन्दू पर्वों पर ही बिजली क्यों काटती है ?
आज सरकार की यह दोहरी नीति हिन्दुओं को इस देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना रखा है, अमरनाथ में हिंदुओं को अपने विश्राम की भूमि नहीं मिल सकती है, रामसेतु को सिर्फ इसलिये तोड़ने का प्रयास किया गया क्योंकि यह हिंदुओं के आराध्य श्री राम का स्मृति चिन्ह है। आज हिंदुओं को अपनी अस्तित्व की लड़ाई में चारों तरफ से संघर्ष करना पड़ रहा है।आखिर कब तक यह चलता रहेगा, कब तक हिन्दुओं के की अस्मिता को ललकारा जायेगा ?
इन्वर्टर लगाओ, हिन्दुत्व बचाओ। बिजलीघर तो सैक्यूलर हैं।
जवाब देंहटाएंपांडे जी को मजाक सूझ रहा है (या शायद व्यंग्य), लेकिन यह एक हकीकत है। उज्जैन के जल संकट पर मैंने हाल में एक पोस्ट लिखी थी, फ़िर भी यहाँ ईद के दिन सुबह 11 बजे अतिरिक्त जलप्रदाय किया गया, पता नहीं क्यों? सेकुलर लोग भी आरोप नहीं लगा सकते क्योंकि यहाँ भाजपा की सरकार है, लेकिन एक आम आदमी के मन में तो यही आता है कि मुसलमानों के त्यौहारों पर विशेष सुविधा किसलिये?
जवाब देंहटाएंyes dear u r right but the problem is being in majority we have to sacrifice lot
जवाब देंहटाएंsome times up to erritating level
regards
पांडेय जी मजाक नही कर रहे है, उन्हे पता है कि सेक्यूलर का मतलब मुस्लिम परस्ती है।
जवाब देंहटाएंयह तो सरासर गलत इलजाम है , भाई वह लोग कभी-२ नहाते हैं इसलिये ही जलापूर्ति उनके त्यवैहारों पर की जाती है और हम लोग रोज-२ नहाकर पानी बरबाद करते हैं :)
जवाब देंहटाएंउनके अंदर आतंकवाद,गद्दारी,कट्टरता और मक्कारी की गंदगी है.तो इन सब की सफाई तो चाहिए ही.अगर उसमे पानी का एक प्रतिशत भी योगदान हो तो मेरे भाई कम से कम राष्ट्रीयता के नाम पर इतना तो कष्ट झेल लीजिये.........
जवाब देंहटाएंबात देशभक्ति और देशद्रोह की नहीं है फर्जी सेकुलर्पन्थ का है जो आजकल के राजनीतिज्ञों ने चला रखा है..इसके लिए तो सरेआम सामने आकर हल्ला बोलना पड़ेगा, ऐसा लगता है..
जवाब देंहटाएंkyuki hinduoo mein unity nahi hai.
जवाब देंहटाएंमैं पांडे जी के साथ हूं
जवाब देंहटाएंबन्धु यह एक विडम्बना ही है कि जिस पन्थ के अनुयायी जुम्मे के जुम्मे नहाने में विश्वास रखते हों उसके त्यौहारों पर उसे पानी से सराबोर कर दिया जाता है जबकि हम प्रतिदिन स्नानाभिलाषियों को इस सुख से वंचित रखा जाता है... शायद हिन्दुओं को सताना ही धर्म निरपेक्षता का असली उद्देश्य है।
जवाब देंहटाएंबन्धु यह एक विडम्बना ही है कि जिस पन्थ के अनुयायी जुम्मे के जुम्मे नहाने में विश्वास रखते हों उसके त्यौहारों पर उसे पानी से सराबोर कर दिया जाता है जबकि हम प्रतिदिन स्नानाभिलाषियों को इस सुख से वंचित रखा जाता है... शायद हिन्दुओं को सताना ही धर्म निरपेक्षता का असली उद्देश्य है।
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर पधारें और अपनी टिप्पणी दें