जबलपुर में दूसरा दिन - महेन्‍द्र, सलिल व ब्‍लागर मीट

यह लेख पूरा लिख चुका था किन्तु सेव न कर पाने के कारण फिर लिखना पड़ा, उतना अच्छा फिर नहीं लिख पाऊंगा जितना लिखा था। जैसा कि यह जबलपुर में मेरा दूसरा दिन था, हम घर से निकल कर ताराचंद्र के ऑफिस हरिभूमि कार्यालय पर पहुँचे। मै पहले विवेक रंजन और संजीव सलिल जी से फोन पर बात कर चुका था, बात के अनुसार सलिल जी के घर पर जाना हुआ। काव्य की विभिन्न विधाओं के विषय पर उनसे चर्चा हुई। हिन्‍दी पत्रकार के वर्तमान परिदृश्य पर भी उनसे चर्चा की गई। लगभग 1 घंटे की मीट के बात हम सलिल जी से अनुमति लेकर पुन: अपने घर पहुँचे। तभी श्री महेन्द्र मिश्र जी से बात हुई उन्होंने भी कहा कि आज हम खाली है मिला जा सकता है। पुन: मित्र ताराचंद्र जी ने मुझे महेन्द्र जी के घर पर पहुँचा कर अपने पत्रकारिता के काम में लग गये। मै और महेंद्र जी करीब 2 घन्‍टे तक साथ रहे और हिन्दी चिट्ठाकारी के वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा की। मैंने उनके ब्लॉग का अवलोकन किया, और भी बहुत सी बातें उनसे सीखने को मिली और जो कुछ मेरा अधकचरा ज्ञान था उसे बॉटने का सौभाग्य मिला। उनके परिवार से भी रूबरू हुआ। उनके परिवार में सबसे बड़े पुत्र मयूर मिश्र जी से भी मित्रता हुई, वे शिक्षा में एमसीए के छात्र है। उन्‍हे भी मैने चिट्ठकारी में हाथ अजमाने का अनुरोध किया, जिसे उन्‍होने सहर्ष स्‍वीकार कर लिया। मुझे प्रतीक्षा है कि वे चिट्ठाकारी मे आयेगे। 
 
करीब दो बजे हम फिर अपने घर को चल दिये और कुछ देर आराम किया, फिर मैंने श्री गिरीश जी को फोन किया तो पता चला कि वे अपने कुछ कार्यो में व्यस्त है। जो महत्‍वपूर्ण थे, फिर क्या था मै अपने पैदल चलो अभियान पर चल दिया और जबलपुर के कई मोहल्लों का अवलोकन किया जिसमें मुझे जावरा के दर्शन हुये। पिछली पोस्ट में जवारे के विषय में ज्ञान जी ने पूछा था कि यह क्या है ? तो वरिष्‍ठ जन श्री विजय तिवारी किसलय जी ने जैसा मुझे इसके बारे में बताया था उनका अच्छा तो मै नही बता पाऊंगा किन्तु जितना कह सकता हूँ जरूर कहना चाहूँगा। जवारे का यात्रा नवरात्रि के उत्सव के रूप में की जाती है, जिसमें देवी के पीठो से यह यात्रा निकाल कर 2-3 किमी दूर पैदल नंगे पैर जाकर विसर्जित की जाती है। मान्यता यह है कि यह वह समय होता है जब फसल पकती है, और काटी जाती है। बीजों का निरीक्षण करने के लिए कि वह ठीक है या नहीं उन्हें बोया जाता है, जब यह भली भांति प्रकार से उग जाते है तो पता चलता है कि यह बीज उन्‍नत किस्‍म के है और उन्हें खाने के रूप में उपयोग किया जाता है। देवी की भक्ति का यह असर होता है कि लोग अपने शरीर पर अस्‍त्र शस्‍त्र चुभोए रहते है, किन्तु देवी कृपा के कारण उन्हें पीड़ा नहीं होती है। देवी के प्रति आस्था प्रकट करने के लिये लोग अपने शरीर पर नौ दिनों तक जवरे को बोते है। इस पर्व में बलि जैसी कुप्रथा भी है किन्‍तु वर्तमान समय में पशु बलि की जगह कद्दू की बलि भी दिख जाती है। नौ दिनों तक चलने वाला इस पर्व से पूरा शहर का वातावरण भक्तिमय लगता है। श्री किसलय जी से अनुरोध करूँगा कि वे जवारे में बारे मे एक अच्‍छी पोस्‍ट लिखे।
 
शाम साढ़े सात बजे तक घर लौट आता हूँ,और शाम की ब्‍लागर मीट के लिये तैयार होता हूँ। साढ़े आठ बजे मै कार्यक्रम स्‍थल पर पहुँच गया था। ब्‍लागर मिलना गोष्‍ठी बहुत ही सफल रही, करीब एक दर्जन ब्‍लागरों को इसमें आना हुआ। कार्यक्रम में आचार्य संजीव सलिल, तारा चन्द्र, डूबे जी कार्टूनिस्ट,गिरिश बिल्लोरे जी, संजय तिवारी संजू, बवाल, विवेक रंजन श्रीवास्तव,आनन्द कृष्ण, महेन्द्र मिश्रा सहित गणमान्‍य ब्‍लागर उपस्थित थे, क्षमा करे यदि किसी का नाम छूट रहा हो। इसी कार्यक्रम में समीर लाल जी की काव्‍य पुस्‍तक बिखरे मोती का पूर्व विमोचन किया गया। कार्यक्रम में समीर लाल जी 2006 के साल को याद करते हुये कहा कि उड़नतश्‍तरी और महाशक्ति दोनो ब्‍लागर उस समय के जब हम 150 से कम चिट्ठाकार हुआ करते थे आज नियमित और अनियमित ब्‍लागरों की संख्‍या करीब 6000 के आस पास है। समीर लाल जी के द्वारा अपने साथ मेरे नाम को जोड़ना, चिट्ठाकारी में मेरे लिये अब तक का सबसे बड़ा सम्‍मान है। मैने और समीर लाल जी अपने और चिट्ठाकारी के प्रथम साल की कुछ खट्टी मीठी यादों को ताजा किया, जिनका चर्चा किया जाना मेरी जान में उचित नही होगा। विवेक रंजन जी ने कहा कि इस ब्‍लागर मीट में शामिल सभी लोग अपने ब्‍लाग पर एक दूसरे का लिंक लगाये, मैने उसका सहर्ष अनुमोदन किया। आज जबलपुर के ज्‍यादातर ब्‍लागर के लिंक मेरे ब्‍लाग महाशक्ति पर उपलब्‍ध है, यह देखना है किन किन के ब्‍लागों पर अन्‍य सभी के लिंक आ गये है ? :)

रात्रि लगभग 12 बजे हमारी मीट बवाल जी के दिव्‍य काव्य पाठ के साथ ही समाप्त हो गई।

चलते-चलते 
समीर लाल जी की पुस्तक बिखरे मोती को इलाहाबाद के वरिष्ठ चिट्ठाकार श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी को भेंट करने का निर्देश हुआ था, कल प्रात: उनसे मुलाकात हुई। चिट्ठाकारी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। हम पहली बार मिले और 25 मिनट की लघु वार्ता में एक दूसरे को जानने का मौका मिला, इलाहाबाद में एक ब्‍लागर सेमिनार के आयोजन की योजना है। जिसकी सूचना आपको जल्द दी जाएगी। मेरे साथ महाशक्ति समूह मुख्य तकनीकी प्रबंधक मानवेन्द्र प्रताप सिंह भी थे। दिनांक 15 अप्रैल को मै आवश्यक कार्य से वाराणसी और जौनपुर की यात्रा पर रहूँगा, शायद ही ब्लॉगर मीट हो पाये। :) 
 

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया संस्मरण आपसे मुलाकात स्मरणीय रहेगी . पोस्ट में स्थान देने के लिए आपका आभारी हूँ .

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  2. जबलपुर यात्रा संस्मरण रोचक है. दिव्यनर्मदा या अन्य चिट्ठे आपके ब्लॉग पर नहीं हैं?

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  3. सभी ब्‍लागर के एक एक ब्‍लाग को शामिल कर लिया था, आपका ब्‍लाग हिन्‍दुस्‍तान का दर्द भी शामिल है। जल्‍द ही दिव्‍य र्नमदा भी कर लूँगा। टिप्‍पणी के लिये धन्‍यवाद

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  4. pramendra bhai mujhe apse mil kar ati prasanata hui .....apse mil kar allahabad ke lajij SAMOSON ki yaad taja ho gayee...agli baar jabh bhi jabalpur ayenge ....lana na bhuliyega...shubhkamnayen

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  5. इलाहाबाद में होने वाली ब्लोगेर मीत में मैं भी शामिल होना चाहता हूँ
    मैं मुट्ठीगंज में रहता हूँ
    और आप?

    वीनस केसरी

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  6. आप मेरे ब्लॉग पर आए और आपको जानने पढ़ने का मौका मिला। धन्यवाद....पोस्ट पर मुलाकात होती रहेगी।
    पंकज नारायण

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