मेरी कल की TimeLoss की पोस्ट पर वयस्क समग्री- क्रिकेटर गाली भी देते है!!! (वयस्क समग्री कृपया जाने से पहले सोचे) पर ज्ञान जी ( अपने मानसिक हलचल वाले ज्ञान जी नही है, उनके पास टाईम कहाँ ) तो विफर ही पड़े है, मै समझ नही पा रहा हूँ क्यो ? शायद क्रिकेटरों के द्वारा दी गई गली उन्हें हजम नहीं हो रही है, मेरे पास हाजमोला भी नही है। मै भी स्वीकार करता हूँ कि गालियाँ वास्तव में खराब है, और मैंने पोस्ट करते हुए अपनी बात को लिखा भी था। हो सकता है ज्ञान जी गंभीर के गंभीर प्रशासन होगा या अफरीदी के जो उन्हें गालियां अच्छी नही लग रही, मै किसी का प्रशंसक नही हूँ, किन्तु मुझे भी गालियाँ अच्छी नहीं लग रही, किन्तु क्रिकेट खिलाडियों के ये वारदात किसी को हँसने से रोक नहीं पा रही है। यह पोस्ट मैंने सिर्फ मनोरंजन और हकीकत रखने के लिये किया था न कि गालियों के समृद्धि विकास और उन्नयन के लिये इस पर तो उनका बिफरना नाहक है।
थोड़ा पोस्ट के वीडियो पर भी लिखना चाहूँगा, यह वीडियो यूट्यूब पर April 03, 2009 को डाला गया है। अभी तक यह विडियों विद्यमान है अर्थात यूट्यूब द्वारा अश्लीलता या अशिष्टता की श्रेणी में नही है, अगर यह जब भी यूट्यूब समूह द्वारा यूट्यूब पर द्वारा हटाया जायेगा स्वत: ही मेरे ब्लॉग से हट जायेगा। इस विडियों में गाली थी, जिसकी सूचना मैने अपने पोस्ट में कर दी थी। बहुत से पाठक/दर्शक आये, ब्लाग पोस्ट को देखा, आनंद लिया, कुछ ने पंसद किया और टिप्पणी करना उचित न समझ कर चले गये। मैने इस पोस्ट को मर्यादा के दायर में रख कर तैयार किया था, चेतवनी भी लिख थी कि टाईम लॉस के नाम कोई अनैच्छिक साम्रगी न देख ले, और उसे ग्लानि का एहसास हो, अगर आप चेतवनी के बाद देखते है और अन्य लोगो के मध्य देखने को प्रचारित करते है तो आपकी गलती है।
ब्लागवाणी को लगता है जन भावना के आधार पर मेरी उस पोस्ट जो टाईम लॉस पर आई थी के कारण ब्लागवाणी से हटाने योग्य है तो हटा दिया जाये, मुझे कोई आपत्ति नही है। क्योकि जन भावना को ध्यान में रखकर किये गये कार्य में मुझे क्या आपत्ति होगी। ब्लागवाणी के अनुसार करीब 35 लोगों द्वारा यह पोस्ट पढ़ी करीब 10 लोगो द्वारा पंसद की गई। (लेख लिखे जाने तक) जहाँ तक ब्लॉगवाणी को हिन्दू वाणी और संतवाणी के नामकरण का सम्बन्ध है तो यह काम ब्लॉगवाणी के संचालको का है, वो इतने समर्थवान है कि सब कर सकते है, किसी के अनुशंशा की आवश्यकता नही है। अब कोई इस बात पर अड़ा रहे कि इनकी गंदगी ब्लागवाणी पर आयी मेरी नही तो यह कहना गलत बात है। वो पोस्ट कोई गंदगी न होकर क्रिकेटिया खिलाड़ियों के बीच की बात था, जो सच था और सब न मैच मै लाईव देखा रहा होगा, किन्तु आज इतना ज्यादा हुआ है किसी ओठ की भाषा को पढ़ पाने वाले जानकार ने अपने शब्द भर दिये है, इन महाशय को यह बुरा लग रहा है।
रही ब्लॉग बात ब्लॉग को फ्लैग करने की तो झंडा इसलिए लिये लगाया जाता है, ताकि शोक काल में उसे झुकाया जा सके है, मेरे उक्त ब्लॉग से जिसे शोक हो आराम से झंडा लहराए मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आगे भी अच्छी-खराब (कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा अच्छी ही हो किन्तु क्रिकेटर जैसे क्रिकेट प्रेमियों के भगवान ऐसा अवतार) बाते आपके सामने लाता रहूँगा।
प्रिय भाई
जवाब देंहटाएंमुझे ऐसा लग रहा है कि आप भारी गलतफ़हमी के शिकार हैं, क्रिकेटर भी इंसान हैं और गालियाँ बक सकते हैं लेकिन जो आपने पोस्ट किया है वह किसी शरारती आदमी का काम है जिसने अपनी मर्ज़ी से गालियाँ रिकॉर्ड करके चढ़ा दी हैं और ऐसा लग रहा है कि आप उसे सच माने बैठे हैं. हो सकता है कि क्रिकेटरों ने एक दूसरे को गालियाँ दी हों, लेकिन जो सुनाई दे रहा है वह बनावटी है. इस तरह के हज़ारों पाकिस्तानी और पंजाबी डब विज्ञापन यूट्यूब पर हैं और उनमें कोई नॉवेल्टी यूँ भी नहीं बची है.
हकीकत कुछ भी हो लेकिन ऎसी बाते, ऎसी विडियो ब्लांग पर नही डालनी चाहिये, क्योकि यहां हम अकेले नही हमारी मां बहिने वीवी ओर बच्चे भी सब के लेख पढते है, देखते है, यु टुब पर तो बहुत सा गंद है,लेकिन हम उन्हे देखते तो नही, गालियां सभी नही तो बहुत से लोग निकालते है, लेकिन महिलओ के सामने नही निकालते ,ओर यही सम्मान है हमारे यहा , चलिये आप से ओर ब्लांग बाणी के मेमबरो से यही प्राथाना है कि पहली बार गलती से गलती हुयी इस मामले को यही रफ़ा दफ़ा कर दे, वेसे त्प मुझे कोई हक नही आप को राय देने का लेकिन एक ब्लांगर मित्र होने के नाते यह राय दे रहा हुं, बुरा लगे तो माफ़ करे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
श्री अनामदास जी, आपका सानिध्य बहुत दिनों से पा रहा हूँ, आपकी बात से पूरी तरह समहत हूँ कि गालियाँ चढ़ा दी गई है, इसके अलावा कोई प्रतिटिप्पणी नही करना चाहूँगा, स्नेह देते रहिये।
जवाब देंहटाएंश्रीराज जी, उस पोस्ट पर टिप्पणी नही मिली थी, पता है कि आप आये थे, मैने लिखा भी था कि इसे अपराध बोध के साथ पोस्ट कर रहा हूँ, जिस समय मै इसे पोस्ट कर रहा था उस समय मै अपने मित्र के साथ बैठा था, कोई भी पारिवारिक सदस्य होता तो शायद मै भी इसे सुन पाता या देख पाता अथवा पोस्ट कर पाता।
जवाब देंहटाएंअगली बार आप आराम से Time Loss करने आईयेगा, अब निराश नही करूँगा।
चलो, राज जी समझा दिया और तुमने समझ लिया. अब बढ़िया कुछ लाओ टाईम लॉस के लिए हंसते मुस्कराते. बाकी सब भूल जाओ.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाऐं.
हा हा
जवाब देंहटाएंये तो मुझे आपकी इस पोस्ट से पता चल रहा कि यह किसी गम्भीर और अफरीदी नाम के व्यक्तियों के बीच का कथित वार्तालाप था, जो क्रिकेट भी खेलते हैं :-)
मनोरंजन और हकीकत बताने के लिए सभ्य समाज में अमान्य अपशब्दों का चुनाव !?
वाह!!
राजनैतिक मामलों में कुछ कहना संदर्भ से हटना होगा।
अच्छा स्वस्थ मनोरंजन मुझे भी प्रफुल्लित करता है।
जैसा कि आपने राज जी को लिखा है कि अगली बार आप आराम से Time Loss करने आईयेगा, अब निराश नही करूँगा। मुझे यह बात अच्छी लगी। अपराध बोध भी यह बताता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ है।
खुश रहो।
प्रमेन्द्र भाई जी,
जवाब देंहटाएंजब आपने हैडिंग में लिख ही दिया है कि "समय नष्ट करने का भ्रष्ट साधन" तो फिर इस पर हाय तौबा क्यों?
हमने इस वीडियो को बहुत पहले देखा था तब भी मन भर के खुश हुए थे और आज फिर देखा तो फिर हंसी आ गयी, ऐसा कुछ भी गलत नहीं है इस वीडियो में, और आपने पहले स्पष्टीकरण दे ही दिया है कि अपने जोखिम पर देखो तो फिर सब बिंदास है |
वैसे गंभीर ने मन खुश कर दिया, और लिप सिंक अच्छे से हुआ है, हो सकता है ये ही संवाद बोले गए हों :-)
आखिर हिन्दी ब्लागजगत पर इतना हल्ला क्यों होता है कि दिखने में सब पाक साफ़ रहे बाकी चाहें हम बाद में कुछ भी करें| आपने पोस्ट डाली जिन्हें अच्छी लगे उन्हें लगे, जिन्हें खराब लगे वो दोबारा न देखें, इसमें भाषण बाज़ी की क्या जरूरत है|
ठीक है कुछ लोगों का तर्क होता है कि ऐसी बाते/चीज़ें आप अपने घर वालों/माता -बहनों के साथ मिलकर देख पायेंगे, तो उन्हें यही कहूँगा कि जीवन में हम सिर्फ वही काम/बातें नहीं करते हैं जो घर वालों के साथ मिलकर की जा सकें, हर वस्तु का अपना स्थान है, ब्लॉग जगत में इतनी शुचिता की जिद कभी कभी मूड खराब कर देती है|
प्यारे प्रमेन्द्र भाई, बहुत सटीक ढंग से किया गया आत्मावलोकित प्रस्तुतिकरण। बहुत बेहतर। बस इसीलिए आप ब्लागजगत के दुलारे हैं।
जवाब देंहटाएंक्या कर हरे हो प्रमेन्द्र भाई.. आप तो महाशक्ति हैं...... चोदो यह लडाई झगडा.. गालियाँ क्या समाज में कम हैं ? ब्लॉग से अलग ही रहने दो....
जवाब देंहटाएंमाफ़ करना प्रमेन्द्र मैं इस विषय में आपसे सहमत नहीं हूँ समय को नस्ट करने के और भी तरीके हैं क्या जरूरी है वो काम करना जिसे हम समाज के सामने खुलेआम न कर सके
जवाब देंहटाएंआपने खुद लिखा की परिवार के साथ आप इस विडीयो को नहीं देख सकते तो आप अपने ब्लॉग पर ऐसी वास्तु क्यों डाल रहे है ???
और क्या जरूरी है असल में क्रिकेटर में वो ही वार्तालाप किया हो,
ऐसा संभव नहीं है
अआपने सुना ही होगा क्रिकेट में उंगली दिखाना भी आपत्तिजनक है फिर ऐसी गाली कोई मैदान में कैसे दे सकता है
अगर गाली और माँ बहन की भद्दी गाली की जगह अबे तबे की बात भी डब की गई होती तो चल जाता मगर .............
अब ज्यादा क्या कहूं कम लिखा ज्यादा समझना
वीनस केसरी
सही कहा आपने ये ज्ञान हमारा ज्ञान नही है रेल्वे वाला। मै इस नामी-बेनामी के लिये कुछ हिंट देता हूँ। आप झट से समझ जायेंगे।
जवाब देंहटाएंजो ज्ञान है, वही लोकेश है, जो लोकेश है वही बलविन्द- है, पर ये सब अ-सरदार नही बल्कि सर---- है।
बहुत से ब्लागरो को इसने गाली दी है पर कोई पता नही जानता। अब समझ गये तो उनके कान मे सोने के सिक्के खनखना दीजियेगा, उनकी नौकरी जाती रहेगी स्टील लेने। अब तो आप समझ ही गये होंगे।
सभी गुणी जनो ने जो बाते कही वो अगर आप और हम फॉलो करे तो तो हसी-खुशी का महोल सम्भव है।
जवाब देंहटाएंआभार/मगलभावानाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
आते रहेंगे टाईम लास करने और हम तो वैसे भी कभी निराश नही हुये हैं।
जवाब देंहटाएंReally GOOD, Total time loss hua bhai.................. इन्से बढिया तो हमई गरिया लेते है.
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