आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व संघचालक श्री सुदर्शन जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ, इसके साथ ही साथ इलाहाबाद से सबसे सक्रिय चिट्ठो में एक सुदर्शन ब्लॉग के प्रकार श्री कृष्ण मोहन मिश्र जी से टेलीफोनिक बातचीत हुई। एक साथ दो-दो सुदर्शनों का सानिध्य वाकई प्रेरणा दायी और खुशी देने वाला रहा। सबसे पहले संघ के पू. संघचालक श्री सुदर्शन जी के बारे मे लिखना चाहूँगा। आ. सुदर्शन जी को सुनने वकाई मनमोहक था। कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व महाधिवक्ता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्री वीरेन्द्र कुमार सिंह चौधरी ''दद्दा दादा'', कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री कृष्ण बिहारी पांडेय जी का भी सानिध्य भी मिला। कार्यक्रम में क्या हुआ क्या नहीं बताने का उचित समय नहीं है, पोस्ट लम्बी खीच जायेगी।
घर पहुँचने पर अन्य कामो से छूट कर ईमेल चेक किया तो पाया कि एक सुदर्शन ब्लॉग के श्री मिश्रा जी का ईमेल प्राप्त हुआ। उन्होंने अपना नंबर दिया हुआ, हमने भी मोबाइल उठाया और घंटी बजा दी। आपसे भी बात करके बहुत अच्छा लगा, बहुत दिनों से इच्छा थी कि आपसे बात हो, वह भी आज पूरी हो गयी। कुछ औपचारिक और कुछ अनौपचारिक बात भी हुई। बात के दौरान उन्होंने मुझे अपने यहां आमंत्रित किया और मैंने उन्हें अपने यहां, फिर हुआ कि जो जहां पहले पहुँच जाये।
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7 टिप्पणियां:
कभी कभी गजब संयोग बन जाते हैं !!
सुदर्शनजी से एक बार हमने भी ह्यूस्टन में आमने सामने बैठकर बात की थी। उनके व्यक्तित्व ने मुझे बहुत प्रभावित किया था।
दूसरे सुदर्शन जी से भी मिलने के बाद फोटो लगा दीजियेगा!
अहमदाबाद में कोबा जैन विश्व भारती में मैं और सुदर्शनजी आमने-सामने आगए. मैंने उन्हे पहचान लिया, वे कैसे पहचानते? अपन तो सामान्य आदमी है. चुंकि मैं संघी नहीं हूँ इसलिए संघ के नियम कायदे नहीं जानता, सम्मानित व्यक्ति थे अतः पैर छूने के लिए झूका. वे पीछे हटे.
बादमें हम दोनो ने ही एक ही पंक्ति में बैठ कर खाना खाया. सामान्य आदमियों की तरह जमीन पर बैठ कर एकदम सादा भोजन.
अरे प्रमेन्द्र जी आपने तो मुझ गंगू तेली को राजा भोज के साथ बैठा दिया । सिर्फ नाम रख लेने से ही कोई सुदर्शन नहीं हो जाता लेकिन यह भी एक अनोखा अनुभव रहा कि आपके बाहने पूर्व सरसंघचालक श्री सुदर्शन जी साथ मेरे ब्लाग की भी चर्चा हो गयी ।
मेरी भी बड़े दिनों से इच्छा थी आपसे बात करने की । सिद्धार्थ जी की किताब के विमोचन पर आपसे मुलाकात होगी या फिर उससे पहले ही संयोग बन जाये ।
हो सकता है कभी मैं भी संघ प्रमुख सुदर्शन जी से मिल सकूँ, अरे भई रेडियो प्रोड्यूसर ठहरी! चांस तो बनते ही हैं.
आपके ब्लॉग पर पहली बार आई, ब्लॉग अच्छा लगा.
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...
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