आज न चाहते हुये बहुत कुछ लिखना पड़ रहा है, वो भी दुख के साथ, दुख इस बात का नही कि ब्लॉगवाणी बंद हो गया है, दुख इस बार का कि किसी की महत्वाकांक्षा और छिछोरापन के कारण एक फलती फूलती साइट का अंत हो गया। ब्लॉगवाणी एक साईट नही थी वह एक परिवार थी, परिवार के नियम के अनुसार हम सदस्य चलते थे, जो पारिवारिक सदस्यों नियमों को नहीं मानता था उसके साथ सख्ती की जाती थी। खैर मै किसी नियम के पचड़े में नहीं पड़ना चाहूँगा।
ब्लॉगवाणी को समाप्त करने से पहले ब्लॉगवाणी मंडल को सोचना चाहिए था, जो कदम उन्होंने उठाया, हो सकता है वह समय कि मांग रही हो, किन्तु आज जनभावना की मांग है कि ब्लॉगवाणी को आज जन के समक्ष लाया जाये। जब कुछ लोग गूगल ग्रुप आदि को अपनी निजी संपत्ति बता कर इठला सकते है कि ब्लॉगवाणी के मंच को भी अपने नियम शर्तों के लिये स्वतंत्र है, किसी को शामिल करना व न करना ब्लॉगवाणी की इच्छा पर निर्भर करता है न कि ब्लागर की गुंडई और दबंगई पर, जो कि आम दिनो में देखने को मिला।
याद समझ में नही आता कि पंसद 1 हो या 25 यह जरूरी है कि ब्लाग कि गुणवत्ता, कुछ छद्म मानसिकता वाले लोग, इस प्रकार के कृत्य में लगे थे जिससे इस प्रकार का दूषित वातावरण तैयार हो रहा था। आशा करता हूँ कि ब्लागवाणी जल्द ही हमारे बीच होगा।
Share:
3 टिप्पणियां:
आप सच कह रहे है इनकी तानाशाही आप मेरी आज की पोस्ट पर देख सकते है . अतिमाहत्वकाशी होना खराब होता है और पतन का कारण होता है प्रेमेन्द्र जी
सहम्त है आप से.
आप को ओर आप के परिवार को विजयदशमी की शुभकामनाएँ!
बिलकुल हम आशा करते हैं की बालवाणी के नियन्ता जन जन की मांग पर ध्यान दे !
एक टिप्पणी भेजें