एक बात से तो कोई इन्कार नही कर सकता है कि भारत मे सुनामी और भूकंप आने पर इतना हल्ला नही मचता है जितना कि फतवा जारी होने पर, जैसे फतवा न हो गया अल्लाह की जुलाब की घुट्टी हो गई पीते ही दस्त शुरू। आज के समय में यही देखने पर लग रहा है कि यह कैसा दकियानूसी समुदाय है, जो फतवों पर जीता है। फतवा अरबी का लफ्ज़ है। इसका मायने होता है- किसी मामले में आलिम ए दीन की शरीअत के मुताबिक दी गयी राय होती है जिसे स्वीकार करना या न करना राय मागने वाले पर ही निर्भर करता है पर भारत में इसे अल्लाह की वाणी जैसा महत्व दिया जा रहा है। फतवा कोई मांगता है तो दिया जाता है, फतवा जारी नहीं होता है। हर उलेमा जो भी कहता है, वह भी फतवा नहीं हो सकता है। फतवे के साथ एक और बात ध्यान देने वाली है कि हिन्दुस्तान में फतवा मानने की कोई बाध्यता नहीं है। फतवा महज़ एक राय है। मानना न मानना, मांगने वाले की नीयत पर निर्भर करता है। लेकीन हिन्दुस्तान मे फतवा मुस्लमाने के लिये हिन्दुस्तान का संविधान से भी ज्यादा महत्वपुर्ण है
21 शताब्दी मे कुछ जारी फतवे और इस्लामिक न्यायिक निर्णयों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि इस्लाम में अल्लाह, मुहम्मद साहब, फतवा और पुरुषों के अलावा कोई भी चीज पाक नही है। गुनाह अगर पुरुष करता है तो स्त्री पर थोप दिया जाता है कि अमुक स्त्री के आकर्षण के कारण पुरुष की नीयत खराब हो गई तो इसमें पुरुष की क्या दोष है ? इसे कहते है खुदा का न्याय।
एक कहावत है कि ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नही, यदि ऊपर खुदा ही बैठा है तो देर से अंधेर ही भली जो स्त्रियों को दोयम दर्जे पर स्थापित करता है और कही बलात्कार की शिकार लड़की को 200 कोड़े तो कहीं पैंट पहनने पर मारे गए 40 कोड़े और तो और मस्जिद में नमाज अदा करने पर महिलाओं को फतवा जारी कर दिया जाता है। आपको हाल की कुछ खबरों की ओर ले जाता हूँ -बलात्कार की शिकार लड़की को 200 कोड़े मारने की सजा जेद्दाह : जेद्दाह में एक सऊदी अदालत ने पिछले साल सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की को 90 कोड़े मारने की सजा दी थी। उसके वकील ने इस सजा के खिलाफ अपील की तो अदालत ने सजा बढ़ा दी और हुक्म दिया: '200 कोड़े मारे जाएं।' लड़की को 6 महीने कैद की सजा भी सुना दी। अदालत का कहना है कि उसने अपनी बात मीडिया तक पहुंचाकर न्याय की प्रक्रिया पर असर डालने की कोशिश की। कोर्ट ने अभियुक्तों की सजा भी दुगनी कर दी। इस फैसले से वकील भी हैरान हैं। बहस छिड़ गई है कि 21वीं सदी में सऊदी अरब में औरतों का दर्जा क्या है? उस पर जुल्म तो करता है मर्द, लेकिन सबसे ज्यादा सजा भी औरत को ही दी जाती है।
महिलाओं को पैंट पहनने पर मारे गए 40 कोड़े!खार्तूम। सूडान में कुछ महिलाओं को पैंट पहनना काफी महंगा पड़ गया। दरअसल कुछ सूडानी महिलाएं पैंट पहनकर रेस्टोरेंट में खाना खाने गई थीं। तभी वहां पर करीब 30 की संख्या में पुलिसकर्मी पहुंचे और इन्हें गिरफ्तार कर लिया। इन महिलाओं को 40-40 कोड़े लगाने का आदेश दिया गया।
वेबसाइट ‘डेलीमेल डॉट को डॉट यूके’ के मुताबिक ये महिलाएं देश की राजधानी खार्तूम के एक रेस्टोरेंट में बैठी थीं तभी अचानक पुलिस वहां पहुंची और 13 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। कुछ महिलाओं ने तो गलती मानते हुए माफी मांग ली तो उन्हें 10 कोड़े लगाकर छोड़ दिया गया लेकिन कुछ ऐसी थी जिन्होंने अपनी गलती स्वीकार नहीं की तो उन्हें 40 कोड़ों की सजा दी गई।
मालूम हो कि गिरफ्तार की गई महिलाओं में से एक लुबना अहमद अल-हुसैन नाम की एक पत्रकार भी थी। उसने बताया कि कैसे पुलिस ने बिना सूचना के बिल्डिंग पर धावा बोल पैंट पहने महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। उस पत्रकार महिला ने बताया कि मैंने पैंट पहनी थी और मेरी तरह 10 महिलाओं ने भी पैंट पहनी थी। लुबना अहमद एल-हुसैन काफी जानीमानी रिपोर्टर हैं और सूडानी अखबार में कॉलम भी लिखती हैं। ये देश दो भागों में बंटा है। खार्तूम में मुसलमान हैं और दक्षिण में ईसाई हैं। जिन महिलाओं को दोषी पाया गया वो ज्यादातर दक्षिण से थीं। वहां पर गैर मुसलमान भी शरिया कानून का विरोध नहीं कर सकते।
मस्जिद में नमाज अदा करने पर महिलाओं को मिला फतवा गुवाहाटी (टीएनएन)
असम के हाउली टाउन में कुछ महिलाओं के खिलाफ फतवा जारी किया गया क्योंकि उन्होंने एक मस्जिद के भीतर जाकर नमाज अदा की थी। असम के इस मुस्लिम बाहुल्य इलाके की शांति उस समय भंग हो गई , जब 29 जून शुक्रवार को यहां की एक मस्जिद में औरतों के एक समूह ने अलग से बनी एक जगह पर बैठकर जुमे की नमाज अदा की। राज्य भर से आई इन महिलाओं ने मॉडरेट्स के नेतृत्व में मस्जिद में प्रवेश किया। इस मामले में जमाते इस्लामी ने कहा कि कुरान में महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है। जिले के दीनी तालीम बोर्ड ऑफ द कम्युनिटी ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इस तरीके की हरकत गैरइस्लामी है। बोर्ड ने मस्जिद में महिलाओं द्वारा नमाज करने को रोकने के लिए फतवा भी जारी किया।
कम कपड़े वाली महिलाएं लावारिस गोश्त की तरह
मौलवी मेलबर्न (एएनआई) : एक मौलवी के महिलाओं के लिबास पर दिए गए बयान से ऑस्ट्रेलिया में अच्छा खासा विवाद उठ खड़ा हुआ है। मौलवी ने कहा है कि कम कपड़े पहनने वाली महिलाएं लावारिस गोश्त की तरह होती हैं , जो ' भूखे जानवरों ' को अपनी ओर खींचता है। रमजान के महीने में सिडनी के शेख ताजदीन अल-हिलाली की तकरीर ने ऑस्ट्रेलिया में महिला लीडर्स का पारा चढ़ा दिया। शेख ने अपनी तकरीर में कहा कि सिडनी में होने वाले गैंग रेप की वारदातों के लिए के लिए पूरी तरह से रेप करने वालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 500 लोगों की धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए शेख हिलाली ने कहा , ' अगर आप खुला हुआ गोश्त गली या पार्क या किसी और खुले हुए स्थान पर रख देते हैं और बिल्लियां आकर उसे खा जाएं तो गलती किसकी है , बिल्लियों की या खुले हुए गोश्त की ?'
कामकाजी महिलाएं पुरुषों को दूध पिलाएं : फतवा
काहिरा : मिस्र में पिछले दिनों आए दो अजीबोगरीब फतवों ने अजीब सी स्थिति पैदा कर दी है। ये फतवे किसी ऐरे-गैरे की ओर से नहीं बल्कि देश के टॉप मौलवियों की ओर से जारी किए जा रहे हैं।
देश के बड़े मुफ्तियों में से एक इज्ज़ात आतियाह ने कुछ ही दिन पहले नौकरीपेशा महिलाओं द्वारा अपने कुंआरे पुरुष को-वर्करों को कम से कम 5 बार अपनी छाती का दूध पिलाने का फतवा जारी किया। तर्क यह दिया गया कि इससे उनमें मां-बेटों की रिलेशनशिप बनेगी और अकेलेपन के दौरान वे किसी भी इस्लामिक मान्यता को तोड़ने से बचेंगे।
गले लगाना बना फतवे का कारण
इस्लामाबाद (भाषा) : इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के धर्मगुरुओं ने पर्यटन मंत्री नीलोफर बख्तियार के खिलाफ तालिबानी शैली में एक फतवा जारी किया है और उन्हें तुरंत हटाने की मांग की है। बख्तियार पर आरोप है कि उन्होंने फ्रांस में पैराग्लाइडिंग के दौरान अपने इंस्ट्रक्टर को गले लगाया। इसकी वजह से इस्लाम बदनाम हुआ है।
फतवा: ससुर को पति पति को बेटा
एक फतवा की शिकार मुजफरनगर की ईमराना भी हुई। जो अपने ससुर के हवस का शिकार होने के बाद उसे अपने ससुर को पति और पति को बेटा मानने को कहा और ऐसा ना करने पे उसे भी फतवा जारी करने की धमकी मिली।
मौत का फतवा और तस्लीमा नसरीन बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन इस समय दुनिया की सबसे विवादित और चर्चित लेखिका हैं। बांग्लादेश में तो उनकी हत्या का फ़तवा इस्लामी कट्टरपंथियों ने तभी जारी कर दिया था जब उन्होंने ‘लज्जा’ नामक उपन्यास लिखा था। जान बचाने के लिए उन्हें अपना देश छोड़कर नॉर्वे में शरण लेनी पड़ी थी. यह वर्ष 1993 की बात है।
देश में इससे ज्यादा स्तब्ध कर देने वाली घटना और क्या हो सकती है जब किसी की हत्या के लिये फतवा दिया जाता है। ऐसा ही तस्लीमा के विरोध की कमान एक भारतीय इमाम ने किया था। ये कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के इमाम हैं और इनका नाम एसएसएनआर बरकती है। बरकती ने तस्लीमा की हत्या का फ़तवा जारी किया था । यह वही है जिन्होने तस्लीमा नसरीन का मुँह काला किए जाने और जूतों की माला पहनाए जाने का फ़तवा जारी किया था और इस बार की तरह ही 50 हज़ार रुपयों का इनाम भी घोषित किया था।
जब तस्लीमा का मुँह काला किया गया तो मानवाधिकारी कहाँ थे? भारत की सरकार भी पुरुषार्थ रूप को त्याग कर अपनी नई भूमिका में आ जाती है। भारत सरकार भी चीन को धमकी दे सकती है पर मुस्लिम कट्टरपंथ के खिलाफ कार्यवाही नही कर सकती है। भारत सरकार भी जानती है कि कि चीन हमला करेगा तो सेना देखेगी और मुसलमान जब हमला करेगा तो देखना तो हमें ही पड़ेगा।
जब खुले आज ऐसे फतवे दिये जाते है तो समाज के वे तथाकथित सेक्युलर किन्नर फौज का भी पता नही चलता है कि वे किस दरबे में घुसी हुई है जो मोदी को गरियाने में आगे रहते है, उनके मुँह से मोदी के लिये ऐसी बद्दुआ निकलती है जैसा कि किन्नरों के सम्बन्ध में विख्यात है। इन सेक्युलर वेश्याओं के भली तो रेड लाइट एरिया की वेश्या है जो अपना धंधा हिंदू मुसलमान देख कर तो नहीं करती। उनका का तो सिर्फ धंधा करना होता है।
ऐसे अजीबोगरीब फ़तवों और निर्णयों की वजह से ही इस्लाम की "विशिष्ट छवि" बनती है, लेकिन कोई भी समझने को तैयार नहीं, बस एक पुस्तक को पकड़कर बैठे हैं। जब ये मामले सामने आते हैं तो कहते हैं कि "ये तो कुछ नादान मौलवियों की गलतियाँ हैं…" लेकिन ये कभी नहीं बताया जाता कि ऐसे मौलवियों के खिलाफ़ इस्लाम के मानने वाले "अच्छे बन्दों" ने क्या किया है?
जवाब देंहटाएंये फ़तवे तो मज़ाक हैं। इन पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि मुल्लों को पब्लीसिटी ही तो चाहिए।
जवाब देंहटाएंऐसे ही होते है इनके फालतु से फतवे, और कहते फरते है कि मेरा धर्म महान । जिस धर्म में माँ बहनो को इज्जत ना दी जाती हो वह धर्म, धर्म है क्या । हमारे यहाँ तो कहा जाता है कि औरत ही जननी है, और इनके यहाँ फतवा के नाम पर औरतो पर नित्य ही अत्याचर होते है, और ये मूक हुए देखते है । शर्म वाली बात है ।
जवाब देंहटाएंMast Hai Bhai Mast Hai
जवाब देंहटाएंmay i have ur attention plz
जवाब देंहटाएंyahan khuda, wahaan khuda ,jahan nahi khuda wahan khudai chalu hone waali hai.
कैरानवी ने आज महाशक्ति को ऐसा सब़क सिखाया कि कभी भूल के मनु का नारी का नाम लेवे, ब्लागजगत ने ऐसा बहुत बार देखा,'नारी महान हैं'' पोस्ट का किया हुआ, ब्लागवाणी बोर्ड पर अकेले ने बहुत उपर पहुंचा दिया था उसे, 24 घंटे वहां अपने ब्लाग का जनाजा लटके रहने देते, तुमने दरखास्त लगाई कि ब्लागवाणी को शर्म आई, खेर यह तो खबरें हैं कौन सच्ची कौन झूठी खुदा जाने इस लिए
जवाब देंहटाएंनमस्ते
कुछ फ़तवे तो सनक के सिवाये कुछ नही लगते।
जवाब देंहटाएंगुनाह अगर पुरूष करता है तो स्त्री पर थोप दिया जाता है कि अमुख स्त्री के आकर्षण के कारण पुरूष की नीयत खराब हो गई तो इसमें पुरूष की क्या दोष है ? इसे कहते है खुदा का न्याय। एक कहावत है कि ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नही, यदि ऊपर खुदा ही बैठा है तो देर से अंधेर ही भली जो स्त्रियों को दोयम दर्जे पर स्थापित करता है और कही बलात्कार की शिकार लड़की को 200 कोड़े तो कहीं पैंट पहनने पर मारे गए 40 कोड़े और तो और मस्जिद में नमाज अदा करने पर महिलाओं को फतवा जारी कर दिया जाता है। आपको हाल की कुछ खबरों की ओर ले जाता हूँ - बलात्कार की शिकार लड़की को 200 कोड़े मारने की सजा
जवाब देंहटाएंWTF????
इस्लाम की "विशिष्ट छवि"
sahi kaha Suresh bhau aapne...
Hamesha ki tarah badhiya lekh...
Padhta roz hoon comment bahut dino baad kar paaiya !!
वाकई अद्भुत है इन मौलवियों के कारनामे !!
जवाब देंहटाएंdharm ka marm toh samajhte nhahin , ek
जवाब देंहटाएंbhounda mazaak bana kar rakh diya hai....
sharm aati hai kabhi kabhi toh....
aapka aalekh saarthak aur sateek
hai.bhinandan !
आपने बिल्कुल सही बात कही है, जिस प्रकार की बाते समाने आयी है इससे तो यही लगता है कि अगर उपर खुदा है तो उससे भली धरती की अन्धेर ही है।
जवाब देंहटाएंइस्लाम ने तो महिलाओ की स्थिति को बिल्कुल दयनीय बना दिया है, इन्हे अपनी सोच सुधारनी होगी और सबके साथ चलने का प्रयास करना चाहिये।
जबरदस्त लिखा है भाई आपने...। बधाई।
जवाब देंहटाएंइस्लाम एक पश्चगामी व्यवस्था है। इसके मौलवियों ने बड़े जतन से आधुनिक ज्ञान विज्ञान से इसे बचाकर रखा है। अगर इन्हें आधुनिक प्रगतिशील सोच की जरा भी हवा लग गयी तो तबीयत खराब हो जाएगी, विरोध का बुखार लग जाएगा, प्रतिरोध का पीलिया हो जाएगा, कमीनेपन का कैंसर काट खाएगा और हरामखोरी का हैजा फैल जाएगा इसलिए इन्हें बन्द खिड़कियों और तंग दरवाजों के साथ रहने दीजिए।
मुश्किल है कि इसपर भी दम घुटना तय है। फतवों का कृत्रिम ऑक्सीजन कब तक जिलाएगा?
इन सेक्यूलर वेश्याओ के भली तो रेड लाईट एरिया की वेश्या है जो अपना धन्धा हिन्दू मुसमान देख कर तो नही करती। उनका का तो सिर्फ धन्धा करना होता है।
जवाब देंहटाएंgreat
आपकी पोस्ट तो चलो ठीक है, मुझे तो स्वच्छ संदेश का इस पर जवाब का इंतजार है.
जवाब देंहटाएं".....लेकिन ये कभी नहीं बताया जाता कि ऐसे मौलवियों के खिलाफ़ इस्लाम के मानने वाले "अच्छे बन्दों" ने क्या किया है?"
जवाब देंहटाएंWELL SAID
कामकाजी महिलाएं पुरुषों को दूध पिलाएं : फतवा
जवाब देंहटाएंकाहिरा : देश के बड़े मुफ्तियों में से एक इज्ज़ात आतियाह ने कुछ ही दिन पहले नौकरीपेशा महिलाओं द्वारा अपने कुंआरे पुरुष को-वर्करों को कम से कम 5 बार अपनी छाती का दूध पिलाने का फतवा जारी किया। ???????????kya yah india mai bhi applicable hai. .............WAISE MERE OFFICE MAI BHI EK KHATOON HAI. :-)
कभी कभी तो यही लगता है की आज इस्लाम फ़ालतू, क्रूर, बे-सर-पैर फतवों का धर्म बन गया है | आश्चर्य तब और बढ़ जाता है जब इन फतवों का विरोध नहीं होता है और इसे सही ठहराया जाता है |
जवाब देंहटाएंइतने सारे फतवों की लिस्ट बनाने मैं अच्छी खासी मिहनत लगी होगी ... | जारी रखिये ...
6 महीने के बाद तुम सबकी क्लास अच्छी तरह से लूँगा.. तब तक तुम उछल लो !
जवाब देंहटाएंअभी एक बड़े मकसद के लिए बिज़ी हूँ ! ६ महीने के लिए जितना चाहो ब्लोगिंग में आतंक मचा लो !!!
सलीम खान
@Anonymous
जवाब देंहटाएंअभी एक बड़े मकसद के लिए बिज़ी हूँ !????????????????????????????????????????????????????????
KYA NUCLEAR BUM KE FORMULE PAR Ph.D. KAR RAHE HO????????
Arey Bhai Hamaare Ye Islaami Fatve Bhi Toh Haamaaraa Badaa Manoranjan Karte Hain....Kum Se Kum Islam Me Yahi Ek Acchii Baat Hai. Fatvo Ke Manoranjan Ke Alava Toh Maatam-Hi-Maatam Hai.
जवाब देंहटाएंJabaar Durrani.
कामकाजी महिलाएं पुरुषों को दूध पिलाएं : फतवा
जवाब देंहटाएं---------
वाह! ये फतवे तो प्लेब्वाय और पेण्टहाउस वालों की दुकान बन्द का देंगे। :)
देश के बड़े मुफ्तियों में से एक इज्ज़ात आतियाह ने कुछ ही दिन पहले नौकरीपेशा महिलाओं द्वारा अपने कुंआरे पुरुष को-वर्करों को कम से कम 5 बार अपनी छाती का दूध पिलाने का फतवा जारी किया। तर्क यह दिया गया कि इससे उनमें मां-बेटों की रिलेशनशिप बनेगी और अकेलेपन के दौरान वे किसी भी इस्लामिक मान्यता को तोड़ने से बचेंगे।
जवाब देंहटाएंKafi Paushtik Fatwa hai. Pata karna chahiye ki is Fatwe se purushon ki sehat aur Eemaan mein Kya badlaw hua.
Saadhu !! Saadhu !!!
जवाब देंहटाएंखुदा के बनाए फतवे नहीं है ये !! पुरुस प्रधान धर्म अनुयायिओं के फतवे हैं ! इतनी कमियाँ तो तो अशिसिक्षित आदमी भी अपने रोज्मरा की जिंदमी में नहीं रखता !!!!
जवाब देंहटाएंजन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं....!
जवाब देंहटाएं--
शुभेच्छु
प्रबल प्रताप सिंह
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कामकाजी महिलाएं पुरुषों को दूध पिलाएं : फतवा
जवाब देंहटाएंइससे संबधित कोई वीडियो यू टयूब पर उपलब्ध हो तो दिखायें :)
प्रमेन्द्र,
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ
ट्रीट आप्के पास उधार है जब मिलेगे सूद समेत वसूल की जयेगी
वीनस
सलीम खान ki maaa ki ... Chhu..
जवाब देंहटाएंjo सलीम खान har din dekhata hai..
Madarchoo terrorist ki soch wala suar ka bacha hia.. mera bus chale toh...
allah ke fatty g me suaar ka dalu...
gay ko bhagwan manate hai.. chhhutyiyaa log..
this post is very usefull thx!
जवाब देंहटाएंkuto tum jo bhi likhte ho oun ka javab hmare paas hai lekin ye soch lo jis vakt ham gita veed ki bate karni suru kar dege tab tum kahaa mu chupaouge saalo tum kitnaa hi kuto ki tarha bhoko islam ko kuch bhi fark nahi hota me yehaa jab hinduvo ko ounki kitabo ke bare me bataa hu ho vo ro pdte he ki kis gade ne ye likhi hame aaj tak pndito ne ye batyaa keyo nahi kal hi 20 hinduvo ne islam kbul kiyaa hai oukhadlo jo bhi tum islam ka ou khad sakte ho islam do dur ki baat hai tum mera kuch oukhd skte ho to oukhadlo tumhar dost
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख अपना ब्लॉग सनातन अग्रीगेटर में रजिस्टर कराएँ..देश भक्त भारतियों के चिट्ठों का मंच
जवाब देंहटाएंkutte ki tarah mootne walo dharm ka naam lekar gaali galoch karo kutto yahi auqat h tum logo ki
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