मुझे लगता है कि महिला आरक्षण की कामयाबी के बाद, ब्लाग में अगल से सर्वश्रेष्ठ की बात उठना जायज है। मुझे लगता है कि कुछ और बाते भी आज क्लियर हो जानी चाहिए, ताकि ब्लॉग आत्माओं को अनावश्यक भटकना न पड़े। मुझे लगता है कि सर्वश्रेष्ठ की दौड़ में निम्न श्रेणियों बन सकती है ताकि भविष्य पोस्ट के लिये आवश्यक मसाला मिलता रहे।
चिट्ठाकारों को नये श्रेणी तथा उपश्रेणी में बांट कर, सर्वश्रेष्ठ की व्यूह रचना किया जा सकता है जो निम्न प्रारूप में हो सकता है नहीं तो महान ब्लागर जन तो नयी श्रेणियों के निर्माण मे तो माहिर है ही।
- सर्वश्रेष्ठ अल्पसंख्यक चिट्ठाकार
- सर्वश्रेष्ठ अन्य पिछड़ा वर्ग चिट्ठाकार
- सर्वश्रेष्ठ अनुसूचित जाति चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ अनुसूचित जनजाति चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ ठाकुर चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ यादव चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ रोज पोस्ट ठेलने वाले चिट्ठाकार
- सर्वश्रेष्ठ कभी कभी पोस्ट ठेलने वाले चिट्ठकार
- सर्वश्रेष्ठ अनामी चिट्ठाकार
मै तो हर उस ब्लागर को सर्वश्रेष्ठ मानता हूँ जो अपने आपको अपनी ब्लॉग विधा मे अपने आपको सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करता है, उसमे अनूप जी, समीर जी, अजीत जी, अरुण जी, आलोक कुमार जी, घुघुती बासूती जी, गिरीश जी, विजय तिवारी जी, सुरेश जी, और वैचारिक मतभेद होते हुए भी अफलातून जी को मै अच्छा ब्लॉग लेखक मानता हूँ, और भी बहुत से अच्छे ब्लागर है किंतु मुझे इन्ही को ज्यादा पढ़ने का मौका मिला है और मै इनके बारे कह सकता हूँ। आपके खुद सर्वश्रेष्ठ चिट्ठकार होंगे, आप तो खुद ही जानते होंगे।
शेष फिर .......
ख्यालात तो आपके भी अच्छे हैं ।
जवाब देंहटाएंसभी ब्लोगर सर्वश्रेष्ठ है /
जवाब देंहटाएंश्रेष्टता
जवाब देंहटाएंअनन्तिम अनवरत होती है.
अगरचे घोषित करें कि कोई एक श्रेष्ठ है तो मिथ्या है
एक केटेगिरी अपने काम की भी चुन लेते. इस बहस से दुखी हम छोटे ब्लोगरो पर उपकार हो जाता. अब ये भस खत्म हो तो सार्थक पोस्ट भी पढ सके.
जवाब देंहटाएंसार्थल लेखन को बढावा दे और ऊल जुलूल पोस्टो पर प्रतिक्रिया से बचे.
सादर
हरि शर्मा
http://hariprasadsharma.blogspot.com/
http://koideewanakahatahai.blogspot.com/
http://sharatkenaareecharitra.blogspot.com
प्रमेन्द्र भाई,
जवाब देंहटाएंकाफ़ी समय के बाद तुम्हे फ़िर से लिखता देखकर बहुत प्रसन्न्ता हुयी।
"सर्वश्रेष्ठ कभी-कभी पोस्ट ठेलने वाले चिट्ठकार" के पुरस्कार के लिए मैं ख़ुद को प्रबल दावेदार मानता हूँ। अगर मुझे यह पुरस्कार न मिला, तो यहाँ मैच-फ़िक्सिंग का मामला होगा। ;)
जवाब देंहटाएंlage raho guru :)
जवाब देंहटाएंपरिणामों पर नजर टिकाये हैं. :)
जवाब देंहटाएंसही है भाई .....
जवाब देंहटाएंमैं तो सर्वश्रेस्थ ब्राहमण ब्लॉगर होने को झंख रहा हूँ ....! पर आप यह खिताब अनूप शुक्ल को दे चुके हैं .... जिन्होंने आपको सदर इलाहाबाद सम्मलेन में बुलाया और बुलवाया था ...याद हैं न ?
जवाब देंहटाएंसहमत होते हुए भी असहमत। कुछ फेर बदल हों तो ... जिनमें नए चिट्ठाकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंयही कहूँगा की सर्वश्रेष्ठ की दौड़ छोड़कर वही लिखो जो दिल बोले ....ब्लॉग तो आपकी अभिव्यक्ति के लिए , इसमें नामकरण और इर्ष्या और आपस में संघर्ष की क्या बात ?
जवाब देंहटाएंसर्व श्रेष्ठम् ।
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठता न केवल स्थापित करनी पड़ती है वरन सहेज कर भी रखनी पड़ती है ।
सर्वश्रेअष्ठ ब्राह्मण चिट्ठाकार की दौड में तो हम भी अरविन्द मिश्रा जी के साथ प्रतिद्वन्दिता में खडे हैं :-)
जवाब देंहटाएंभाई अनामियों में हमारा ध्यान भी रखा जाए!
जवाब देंहटाएं.... इस बहस को अब विराम दे देना ही अच्छा होगा ...
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के लिए धन्यवाद...
आपकी टिप्पणियों में एक भीष्म पितामह भी है जो सब जगह कहते फिरते है कि झगड़ा मत करो झगड़ा मत करो. हिन्दी ब्लागिंग आगे नहीं बढ़ेगी लड़ने-झगड़ने से.
जवाब देंहटाएंवे भीष्म पितामह अब कह रहे हैं कि....
जलजला आपके इस नए विचार से असहमत है। जलजला ने कभी नहीं चाहा कि पुरस्कारों का वितरण जाति की व्यवस्था के आधार पर हो।
बाकी भीष्म पितामह को नमन-वंदन।