सर्वश्रेष्ठ चिट्ठाकार की कैटगरियॉं और भी है

सर्वश्रेष्ठ की दौड़ चल रही है, अभी तो पुरुष चिट्ठाकारों की प्रतियोगिता थी। तभी एक और सनसनाती हुई पोस्ट आती है कि सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लॉगर का भी फैसला हो ही जाना चाहिए। बात तो लाख टके की सही है कि तय होना ही चाहिये कि कौन है सर्वश्रेष्ठ, बिना सर्वश्रेष्ठ की दौड़ मे दौड़ ब्‍लागात्‍माओ को शान्ति नही मिलेगी।
मुझे लगता है कि महिला आरक्षण की कामयाबी के बाद, ब्‍लाग में अगल से सर्वश्रेष्ठ की बात उठना जायज है। मुझे लगता है कि कुछ और बाते भी आज क्लियर हो जानी चाहिए, ताकि ब्लॉग आत्माओं को अनावश्यक भटकना न पड़े। मुझे लगता है कि सर्वश्रेष्ठ की दौड़ में निम्न श्रेणियों बन सकती है ताकि भविष्य पोस्ट के लिये आवश्यक मसाला मिलता रहे।
चिट्ठाकारों को नये श्रेणी तथा उपश्रेणी में बांट कर, सर्वश्रेष्ठ की व्यूह रचना किया जा सकता है जो निम्न प्रारूप में हो सकता है नहीं तो महान ब्‍लागर जन तो नयी श्रेणियों के निर्माण मे तो माहिर है ही।
  1. सर्वश्रेष्‍ठ अल्‍पसंख्‍यक चिट्ठाकार
  2. सर्वश्रेष्‍ठ अन्‍य पिछड़ा वर्ग चिट्ठाकार
  3. सर्वश्रेष्‍ठ अनुसूचित जात‍ि चिट्ठकार
  4. सर्वश्रेष्‍ठ अनुसूचित जनजाति चिट्ठकार
  5. सर्वश्रेष्‍ठ ब्राह्मण चिट्ठकार
  6. सर्वश्रेष्‍ठ ठाकुर चिट्ठकार
  7. सर्वश्रेष्‍ठ यादव चिट्ठकार
  8. सर्वश्रेष्‍ठ रोज पोस्‍ट ठेलने वाले चिट्ठाकार
  9. सर्वश्रेष्‍ठ कभी कभी पोस्‍ट ठेलने वाले चिट्ठकार
  10. सर्वश्रेष्‍ठ अनामी चिट्ठाकार
मुझे नही लगता कि इस प्रकार की श्रेणियों मे हम सर्वश्रेष्‍ठ सिद्ध हो कर कुछ सिद्ध कर पायेगे। आज समीर जी ने और अनूप जी ने अपनी उपयोगिता चिट्ठाकारी मे सिद्ध की है तभी हम उन पर पोस्‍टे लिखते है। इसमे कोई दो राय नही हो सकती है दोनो अपने अपने क्षेत्र मे अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। सर्वश्रेष्‍ठता मे एक नाम को मै सर्वश्रेष्‍ठ मानता हूँ अजित वडनेरकर जो ब्लाग सृजनात्‍मकता को सबसे ज्‍यादा अपनी लेखनी से अलंकृत कर रहे है। आज यही कारण है कि वे करीब 500 फालोवरर्स और 1000 के आस पास ईमेल सब्सक्राइबर की क्षमता रखते है। उनकी पोस्‍टो मे मौज कम तो जानकारी का भंडार मिलता है।
मै तो हर उस ब्‍लागर को सर्वश्रेष्ठ मानता हूँ जो अपने आपको अपनी ब्लॉग विधा मे अपने आपको सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करता है, उसमे अनूप जी, समीर जी, अजीत जी, अरुण जी, आलोक कुमार जी, घुघुती बासूती जी, गिरीश जी, विजय तिवारी जी, सुरेश जी, और वैचारिक मतभेद होते हुए भी अफलातून जी को मै अच्छा ब्लॉग लेखक मानता हूँ, और भी बहुत से अच्छे ब्‍लागर है किंतु मुझे इन्‍ही को ज्यादा पढ़ने का मौका मिला है और मै इनके बारे कह सकता हूँ। आपके खुद सर्वश्रेष्ठ चिट्ठकार होंगे, आप तो खुद ही जानते होंगे।
शेष फिर .......

17 टिप्‍पणियां:

  1. श्रेष्टता
    अनन्तिम अनवरत होती है.
    अगरचे घोषित करें कि कोई एक श्रेष्ठ है तो मिथ्या है

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  2. एक केटेगिरी अपने काम की भी चुन लेते. इस बहस से दुखी हम छोटे ब्लोगरो पर उपकार हो जाता. अब ये भस खत्म हो तो सार्थक पोस्ट भी पढ सके.

    सार्थल लेखन को बढावा दे और ऊल जुलूल पोस्टो पर प्रतिक्रिया से बचे.
    सादर
    हरि शर्मा
    http://hariprasadsharma.blogspot.com/
    http://koideewanakahatahai.blogspot.com/
    http://sharatkenaareecharitra.blogspot.com

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  3. प्रमेन्द्र भाई,
    काफ़ी समय के बाद तुम्हे फ़िर से लिखता देखकर बहुत प्रसन्न्ता हुयी।

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  4. "सर्वश्रेष्‍ठ कभी-कभी पोस्‍ट ठेलने वाले चिट्ठकार" के पुरस्कार के लिए मैं ख़ुद को प्रबल दावेदार मानता हूँ। अगर मुझे यह पुरस्कार न मिला, तो यहाँ मैच-फ़िक्सिंग का मामला होगा। ;)

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  5. मैं तो सर्वश्रेस्थ ब्राहमण ब्लॉगर होने को झंख रहा हूँ ....! पर आप यह खिताब अनूप शुक्ल को दे चुके हैं .... जिन्होंने आपको सदर इलाहाबाद सम्मलेन में बुलाया और बुलवाया था ...याद हैं न ?

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  6. सहमत होते हुए भी असहमत। कुछ फेर बदल हों तो ... जिनमें नए चिट्ठाकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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  7. यही कहूँगा की सर्वश्रेष्ठ की दौड़ छोड़कर वही लिखो जो दिल बोले ....ब्लॉग तो आपकी अभिव्यक्ति के लिए , इसमें नामकरण और इर्ष्या और आपस में संघर्ष की क्या बात ?

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  8. सर्व श्रेष्ठम् ।
    श्रेष्ठता न केवल स्थापित करनी पड़ती है वरन सहेज कर भी रखनी पड़ती है ।

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  9. सर्वश्रेअष्ठ ब्राह्मण चिट्ठाकार की दौड में तो हम भी अरविन्द मिश्रा जी के साथ प्रतिद्वन्दिता में खडे हैं :-)

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  10. भाई अनामियों में हमारा ध्यान भी रखा जाए!

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  11. .... इस बहस को अब विराम दे देना ही अच्छा होगा ...
    प्रस्तुति के लिए धन्यवाद...

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  12. आपकी टिप्पणियों में एक भीष्म पितामह भी है जो सब जगह कहते फिरते है कि झगड़ा मत करो झगड़ा मत करो. हिन्दी ब्लागिंग आगे नहीं बढ़ेगी लड़ने-झगड़ने से.
    वे भीष्म पितामह अब कह रहे हैं कि....
    जलजला आपके इस नए विचार से असहमत है। जलजला ने कभी नहीं चाहा कि पुरस्कारों का वितरण जाति की व्यवस्था के आधार पर हो।
    बाकी भीष्म पितामह को नमन-वंदन।

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