हिन्दी चिट्ठाकारी आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, आज एक दूसरे की टांग खिंचाई और भद्द मचाने मे लगे हुये है। आज हिन्दी ब्लागरो की एक ऐसी प्रतियोगिता मची हुई है कि कौन किस पर कितना कीचड़ उछाल सकता है ? कौन किसको कितनी गाली दे सकता है ? क्या इन प्रक्रियाओं से हिन्दी ब्लॉगिंग का उन्नयन होगा ?
न ही छोटो को बड़ो का कोई लिहाज है और नहीं बड़ों का बड़प्पन है, सब हिन्दी चिट्ठाकारी को विकाशोन्मुख करने मे धक्कमपेल पेले पड़े है। समझ मे नही आता कि वस्तु स्थिति क्या है और कौन अपने आपको क्या सिद्ध करना चाहता है ? वकाई उद्देश्य हिन्दी के उन्नयन का अथवा अपने अहं को न त्यागने का ? आज इसी प्रकार के प्रश्न पिछले कुछ दिनो के पोस्ट को पढ़ने के बाद व्यथित होकर लिखना पड़ रहा है।
हिन्दी ब्लॉगिंग न हो गई, पिछड़े वर्ग के साहित्यकारों को आरक्षण देने वाला कानून हो गया है, यह ऐसा कानून है जो ऐसे लोगो को ब्लागर अथवा चिट्ठकार नाम देकर अपने के माध्यम से एक दूसरे को गरिया कर अपने को पंत और निराला के समकक्ष पर खड़ा सुखद अनुभूति दे रहा हो।
चिट्ठकारी को एक वर्ग ने तमाशा बना दिया है, अनामी का विरोध करने वाले खुद सबसे ज्यादा अनामी बन कर टिप्पणी पेलने का सबसे ज्यादा काम करते है, मैने कोई शोध नहीं किया है बल्कि आप खुद दिल से पूछोगे तो यह बात सत्य साबित होगी। आखिर अनामी का विरोध क्यो जरूरी है ? क्यो जरूरत है ? अनामियों ने तो मेरी कुछ पोस्टो पर गालियां तो मुझे भी दी है किन्तु कुछ अच्छी पोस्ट पर सराहा भी है। सबसे बड़ा प्रश्न की आखिर आनामी है कौन तो, मै स्पष्ट कहना चाहूंगा कि अनामी हमारे में से ही कोई है जो इस प्रकार की गंदी हरकत करता है, और तो और आनामी का नाम करने मे पूरा ग्रुप काम करता है। महाशक्ति पर न माडरेशन कभी था न कभी रहेगा, सुरेश भाई को नैतिक या अनैतिक हार लगती हो तो उनकी निजी राय है लेकिन इस प्रकार की बातो से मै इत्तफाक नही रखता हूँ।
अगर आज हिन्दी चिट्ठाकारी से किसी का नुकसान हो रहा है तो सबसे ज्यादा इसके हितैषियों से, क्योंकि चिट्ठकारी की जड़ो मे ऐसे लोग छाछ डालने का काम कर रहे है। आज कल हिन्दी चिट्ठाकारी मे संघ बनाने का प्रयास चल रहा है ताकि किसी पर बैन लगाने और हटाने का मंत्री मंडलीय कार्यवाही रूप दिया जा सकें, यह तो बात बहुत पुरानी हो चुकी है जब नारद के दौर प्रतिबंध आदि की बात होती थी किन्तु विजय सत्य की होती रही है। हिन्दी चिट्ठकारी का संघ बने या महासंघ न तो हम पर ब्लागधीशों की राजनीति का कोई असर होने वाला है और न ही ब्लाग बंद करवा सकता है। यह तो हमारी मौलिकता को कोई रोक नही सकता है न ही नाराद के जमाने मे कोई रोक पाया था और न ही आज, हम आये भी तो अपनी मर्जी से और जायेगी भी अपनी मर्जी से, यह जरूर है कि चिट्ठकारो की चमरई से उब का लिखना कम जरूर कर दिया है किन्तु बंद होगी इसकी संभावना कम है और होगी भी तो मेरी मर्जी से होगी।
आज सुबह एक पोस्ट पढ़ने को मिली कि अमुक सामुदायिक ब्लॉग से हटा दिया गया है। मेरे समझ के यह बात परे है कि लोग इतना क्यों टेंशन लेते है ? लोग मतभेदों को मनभेद क्यों बना लेते है ? क्या कुछ बातों को इतना तूल देना जरूरी है कि वह एक दूसरे पर हावी हो जाये और आपसी प्रेम को तनिक तकरार में तोड़ दे ? किसी को रखना या न रखना ब्लाग मॉडरेटर की इच्छा पर है किन्तु यह भी जरूरी है कि जिसे आपने नियंत्रित किया है उसको तिरस्कृत कर निकाला जाए, ठीक है मतभेद है सूचित कर आप हटा सकते है। अगर आपस मे सद्भाव है तो बात ही कोई नही है आना जाना तो लगा ही रहता है। किन्तु अब हठ कर यह साबित करने का प्रयास किया जाये कि जो मै कर रहा हूँ वो सही है तो हठी को उसके हठ के आगे कोई गलत नही कर सकता। किन्तु नैतिक रूप मे क्या सही है क्या गलत यह सब को पता होता ही है। अत: मेरा स्पष्ट निवेदन है कि चिट्ठकारी में गुंडईराज बंद करो और खुद भी ब्लागिंग वाले गुंडे बनाने का प्रयास मत करो। बहुत समय से हिन्दी चिट्ठाकारी में ऐसे गुड़े पाये गये है जो डराते-धमकाते और प्रतिबंध लगाते पाये गये है किन्तु सच्चाई कभी छुपती नही है और यह तो सभी जानते है।
Share:
33 टिप्पणियां:
यह पलक हर आंख वाले के साथ है और उसका समर्थन करती है बशर्ते की उसकी आंख में ऐसा खोट न हो। मैं नीशू सर को हटाए जाने से सहमत नहीं हूं। मैं इस मामले पर आपके साथ हूं और सदा रहूंगी। पर सर, आप मेरी कविताएं भी पढ़ेंगे न, देखिए पता नहीं क्यों मेरे ब्लोग को ब्लोगवाणी ने नहीं जोड़ा गया है जबकि मेरी पोस्टों पर इतनी सारी और अच्छी राय प्राप्त हुई है। मैं सच्ची बात करने वालों के सदा साथ हूं। http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_9338.html महाशक्ति की जय।
main bhi kafi had tak aapse sehmat hun...blogs ko sarthakta se jodna jyada jaruri hai na ki gutbaaji ki...
why u r so dejected??????????
तुम ही मुखिया हो
भाई मेरे, जब महज 300-400 ब्लॉग थे तब भी यही हाल था, आपको याद ही होगा। विवाद तब भी थे, ऐसे ही। यहां तक कि गालीगलौज की नौबत तब भी आई थी।
दर-असल हिंदी चिट्ठाकारी के पतन की चिंता न ही की जाए उसे तो आगे बढ़ना ही है। पतन चिट्ठाकारी का नहीं चिट्ठाकारों का है और होगा।
बेनामी-सुनामी वि्वाद भी शुरु से ही हैं। क्या फरक पड़ा?
इसलिए इन सब की चिंता न की जाए बस लिखा जाए, मुझे तो यही सही लगता है।
nice
आपका चिंतन ब्लॉग जगत को एक नई दिशा देगा, यही आशा है.
आप अच्छा लिखो| हम हैं न पढ़ने वाले|
व्योम जी सहमत हूँ की आप अच्छा लिखो हम हैं ण पढ़ने वाले .
और सिर्फ पढ़ने वाले ही नही कमेन्ट करने वाले भी भाई .
व्योम जी की जगह पे व्योम जी से पढ़े
@ प्रमेन्द्र जी ,, आजकल मठाधीशी का चस्का जो लगा है .................ब्लोगर सम्मेलन करा कर लोगों को गुटबाजी के लिए तैयार जो करना है . इनके बाप की बपौती है न ब्लोग्गर समूह ................और बेनामी की जहाँ तक बात है तो ...........अजय झा , खुशदीप ,,,अविनाश वाचस्पति कुछ ऐसे नाम हैं जिनको सबसे ज्यादा चिंता कमेन्ट का .........और यही बेनामी भी हैं ............कारवाई करते क्यूँ नहीं अब मैंने तो कहा है की सम्मन का मुझे इन्तजार है......मुझे नुक्कड़ से हटाया गया ..........पर अविनाश वाचस्पति में दम नहीं की अब चिल्लाकर कर बताएं की मैंने नीशू को क्यूँ हटाया है....अब तो कलम का जवाब कलम से , कानून का जवाब कानून से और लात का जवाब लात से .................मैंने अब गांधीगिरी को अलविदा कह दिया है... अब जरुरत है...भगत सिंह जैसे विचारो की ...इनको ऐसे ही सुधार जा सकता है ...और एक पाबला जी हैं जो धमकी दे रहे थे पर कुछ पता नहीं चला .............कुत्तों की तरह केवल भौकना जानते हैं ...बेनामी से नहीं नाम से कहूँगा ........जो भी बन पड़ता हो कर लें ....
palak ji aapne ne maithili ji ko email kar diya hai to jald hi jod liya jayega .......aap accha likhti hai aur aise hi likhti rahiye .............
aaj hi ek nayi ghosna bhi hone wali hai in naamchini bloggr ke virodh me tab kya karte hai .................
aapke baat se mai sahmat hun aise hi bina lag lapet ke likhte rahen ...........
आपका अवलोकन सत्य है । अच्छा लिखा जाये व अच्छा पढ़ा जाये ।
शुक्रिया नीशू सर। शुक्रिया महाशक्ति। अब हम सब मिलकर दिखला देंगे कि विध्वंस में कितनी शक्ति है। हम अपने कारनामों से विध्वंस मचा कर ही रहेंगे जैसा कि नीशू सर के ब्लोग पर जनसत्ता में छपी पोस्ट का शीर्षक है। नीशू सर नंबर दीजिए न प्लीज। अब हम चारों मिलकर अच्छे काम के लिए संगठन भी नहीं बनने देंगे। नीशू सर को नहीं बुलाया। क्यों नहीं बुलाया बतलाइये अविनाश सर।
एक भी जवाब नहीं आ रहा
कंहा गए सारे के सारे
बेचारे
समन भेजने की तैयारी कर रहे होंगे
पलक और नीशु बच के रहें
सम्मन भी भेजे तो ही बात बनेगी ...............अरे भाई मान सम्मान की बात है न ..........हम तो वैसे भी बेजज्त हैं .........पलक को क्या करना है वह जानती है,,
सम्मन भी भेजे तो ही बात बनेगी ...............अरे भाई मान सम्मान की बात है न ..........हम तो वैसे भी बेजज्त हैं .........पलक को क्या करना है वह जानती है,,
सम्मन भी भेजे तो ही बात बनेगी ...............अरे भाई मान सम्मान की बात है न ..........हम तो वैसे भी बेजज्त हैं .........पलक को क्या करना है वह जानती है,,
are benami ab aao na samne aap log darne ki baat nahi hain .........
ईट से ईट बजनी चाहिये, अब तो दिल्ली हिलनी चाहिये
ghbraao mt bhaai koi bhi gundaa hmaaare rhte hue blogrs ki vishvsniytaa kaa kuch nhin bigaad sktaa chotaa munh bdi baat h lekin men hun naa. akhtar khan akela kota rajsthan
मुझे सुलाने की कोशिश में जागे अनगिन तारे
लेकिन बाज़ी जीत गया मैं वे सबके सब हारे।
टिप्पणियों की मीमाँसा न करते हुये,
मैं केवल पोस्ट की बात करूँ ?
शब्दशः सत्यावलोकन
मन से लिखी गयी पोस्ट
यदि 50 प्रतिशत ब्लॉगर भी इस पर ध्यान दें तो तस्वीर उतनी धुँधली न रहे, जितनी आज है ।
पलक जी, आपके सहयोग के लिये आभार, जरूर हम अन्याय का विरोध करेंगे।
दिलीप जीव मधव जी इस प्रकार की घटनाएँ बहुत पहले से चली आ रही है, गलत न करो न गलत सहो।
भाई अनाम, कौन मुखिया ?
संजीत भाई जी आपसे क्या छिपा है, आप और हम तो तब से यह देख रहे है।
नीशू जी, यहॉं आज कुछ भी नया नही है, पुराने की पुनरावृत्ति का अनुकरण का विरोध है।
प्रवीण जी आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद
अख्तर साहब आपका स्वागत है।
डा0 साहब आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद, बहुत कम लोग है जो बात को समझ पाते है।
अब फैसला होकर रहेगा. जब युवा जागता है तो क्रान्ति हो जाती है. आज जिस तरह से नीशू जी, महाशक्ती जी, पलक जी, मिथिलेश दुबे जी ने मठाधीशों और गुटबाजों के खिलाफ आवाज़ उठाई है वह ब्लोगिंग के हिस्टरी में एक मील का पत्थर साबित होगा. आशा ही नहीं पुर्ण बिश्वास है की हिंदी ब्लोगिंग अब साफ़ हो जाएगी.
बहुत पहले जब फुरसतिया मतलब अनुप जी को पढ़ा था तो सोचा, यार! ये बन्दा क्या कमाल का लेखन हिन्दी ब्लागिंग के लिये कर रहा है। अनुप जी की तरह ही और भी लोग प्योर कटैंट अपने ब्लाग पर उपलब्ध करा रहे है। इनमें चाहे गीत-संगीत हो समीक्षात्मक लेखन या फिर विशलेषात्मक तथ्यों से लबरेज चर्चांए हो।
ऐसे बहुत अच्छा लिखने वालों की हिन्दी ब्लागिंग में एक लम्बी श्रंृखला रही है। मैं यहां किस-किस का नाम लूं जिन्होने अलग-अलग प्रकार के लेखन का सृजन किया और अपने ब्लाग को बनाया तथा पढ़ने वालो को उनके ब्लाग के माध्यम से एक नये तरह के व्यक्तित्व को जानने समझने का मौका मिला। इसी के चलते हिन्दी ब्लागों की लोकप्रियता बढ़ी। ये हम सब जानते है कि हिन्दी ब्लागिग का भविष्य बेहद सम्भावनाओं से भरा हुआ है लेकिन ब्लागिंग के घटिया चलन और भीड़ के कारण जो संड़ाध आज यहां उठ रही है वो ना सिर्फ इसकी लोकप्रियता को घटायेगी बल्कि अच्छा पड़ने वालों को इससे दूर भी करेगी।
हमारा ब्लाग हमारी धरोहर होना चाहिये, हमारे घर की तरह साफ-सुथरा, कलात्मक। आमतौर पर यहां नये लिखने वाले और असाहित्यिक लोग टिप्पणीयों के मोहताज रहते है, छोटे-मोटे टोटके आपको कुछ दिन चर्चां में जरूर रख सकते है लेकिन आपका पाठक वर्ग खड़ा नही कर सकते है।
यहां प्योर ही और दूसरो को सुख और ज्ञान देने वाला कटैंट से भरा हुआ ब्लाग आपको नियमित पढ़ने वालो से जोड़े रख सकता हैं। आपका कटैंट ऐसा हो कि पढ़ने वाला उसे अपनी जरूरत में शामिल कर ले अर्थात कुछ ऐसा लिखिए जो दूसरों की जरूरत बन जाए।
यदि आप छपास की पीड़ा से त्रस्त है तो कृपया अपना मानसिक कूड़ा यहां ना फैलाए। हमारा ब्लाग हमारे लिये एक मौका है जब हम अपना परिचय दूसरों से करा रहे होते है तो दोस्तो हम इसे यूंहीं न जाने दे।
ब्लॉगजगत के इस पचड़े में ब्लॉगिंग की गरिमा घट रही है और ब्लोगर का समय व्यर्थ जा रहा है.
किस बात पर इतना बड़ा "राड़ा" हो गया, ये सारा मामला ठीक से पुरानी पोस्टों में पढ़ना पड़ेगा, अभी तक ध्यान से नहीं पढ़ा, लेकिन कुल मिलाकर नीशू ने ब्लॉग जगत में हड़कम्प मचा रखा है।
मेरे ख्याल में ब्लॉगर बड़ा-छोटा, वरिष्ठ या कनिष्ठ नहीं, बल्कि "नया" और "पुराना" होता है… बस, बाकी सब बराबर हैं
मेरी अपील है कि युवाओं को इस प्रकार के विवाद में न पड़कर रचनात्मक दिशा में ब्लॉगिंग करनी चाहिये… बाकी जैसी मर्जी
भईया चमचागिरी नहीं करोगे तो ऐसे ही ब्लोग से हटा दिया जायेगा , मैं तो कहता हूँ कि ठिक है क्या जरुरत है चमचा बनने की , इससे कोई अपनी बात भी ठंग से नहीं कह पाता । आपने बहुत बढ़िया लिखा है , जरुरत है साथ मिलकर ऐसे किसी भी तरह के संघ का विरोध करना , नहीं तो ये लोग चिट्ठाकारी को गर्त में लेकर जायेंगे , विकास की तो बात ही दूर है ।
एनोनिमस सर। आप भी सामने आ जाए जब पलक नहीं डरती है तो आंख को क्यों डर लग रहा है, क्या एनोनिमस की आंख का पानी मर रहा है। सामने आइये सर। पलक आप सबके लिए एक लक बनकर आई है, लक बन कर ही रहेगी। अपनी पगार के सारे पैसे खर्च कर देगी पर विध्वंस की संस्कृति फैलाकर रहेगी क्यों नीशू सर। मैं ठीक कह रही हूं न सर। जब आप सामने हैं, महाशक्ति सर सामने हैं, मिथिलेश सर सामने हैं, दिलीप सर, माधव सर, संजीत सर, सुमन सर, संजीव सर, व्योम सर, प्रवीण, अख्तर सर, अमर सर, सुरेश सर, हेम सर, इरशाद सर सभी सामने हैं तो एनोनिमस सर आपको किसका डर लग रहा है। पलक है न सबकी आंख के उपर। किसी को आंख नहीं फोड़ने देगी। कोई कंकर मारेगा तो पलक बंद कर लूंगी। आप दरना नहीं। लड़ना यहीं पर आपस में नहीं। हम तो आपस में मिलकर जूनियर ब्लोगर ऐसोसिएशन बनायेंगे जिसका प्रेसीडेट नीशू सर होंगे और मैं प्रेसीडेंटरानी। किसी को एतराज हो तो सामने आए। एनोनिमस अपनी राय जल्दी बताओ। हमारे होते हुए किसी से डरने की जरूरत नहीं है। मेरा सारा परिवार वकालत में है, मेरा एक भाई कोर्ट में काम करता है, एक चाचा सुप्रीम कोर्ट में है, एक मामा साइबर लॉ देखता है। आप डरना मत, इन सबकी वाट लगा दूंगी और एक मेरे दोस्त के पापा पुलिस में हैं।
चिट्ठाजगत भी समाज का आइना है जैसे समाज में गुटबंदी होती है वैसे ही यहाँ भी होगी। आप चाह कर भी इसे रोक नहीं सकते। बस यही हो सकता है कि हम अपने दिल से सही राह पर बने रहें। न किसी का बुरा करें न बुरा सहें।
एक टिप्पणी भेजें