ये वही राजीव शुक्ला है जो कभी मूछ वाले हुआ करते थे आज नैतिकता की दुहाई मे मूँछ को भी खा गये। राजीव शुक्ला जी अगर अपना इतिहास देखे तो ये उसी भाजपा को गाली देते नज़र आते है, जिसकी मदद से लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी के टिकट वो पहली बार राज्यसभा से पहुँचे थे और बाद कांग्रेस मे शामिल हो गये। आखिर जिस चीज के लिये शुक्ला जी जेठमलानी पर अरोप लगा रहे है वही करके तो वो भी राज्यसभा मे पहुँचे थे। दूसरो को नसीहत और नैतिकता का पाठ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है किन्तु अपने पर आने पर सारी नैतिकता घोर का पी जाते है ऐसे लोग।
मैने कहीं पढा था कि आजकल के पत्रकार पत्रकारिता कम और दलाली ज्यादा करते है. राजीव शुक्ल उसकी मिसाल हैं। कानपुर से पत्रकारिता का सफर शुरू हुआ और कुछ ही सालों में करोड़ों का न्यूज चैनल लांच कर देना एक पत्रकार के बूते की बात नहीं। सत्तासीनों से करीबियों की वजह से किसी की गिरेबान में हाथ डालने की हिम्मत भी नहीं। डीएनए और भास्कर की यह खबर वाकई काबिलेतारीफ है, लेकिन शुक्ला जी का कोई बाल भी नहीं टेढ़ा होगा, यह भी मैं कहे देता हूं। बीसीसीआई में हैं तो क्या हुआ सोनिया जी के किचेन कैबिनेट के वे मेंबर भी तो हैं। मै महोदय की बात से बिल्कुल सहमत हूं । राजीव शुक्ला जैसे लोग नाम और दाम के लिये किसी हद तक जा सकते है और उसी की मिशाल है गांधी परिवार के तलवे चाटते राजीव शुक्ला, जो एंडरसन मामले मे राजीव गांधी और कांग्रेस का का बचाव करते आते है।
आखिर मजरा यही है कि लोग नैतिकता को बेच कर राजनीतिक रोटिया खा रहे है। ऐसे लोगो ने दलगत राजनीति मे घुस कर अपनी भद्द तो करवाते है साथ ही साथ अपने पेशे को भी नही छोड़ते है। कम से कम राजनैतिक लाभ के लिये अपने पेशे से विश्वासघात करना ठीक नही है।
आखिर मजरा यही है कि लोग नैतिकता को बेच कर राजनीतिक रोटिया खा रहे है। ऐसे लोगो ने दलगत राजनीति मे घुस कर अपनी भद्द तो करवाते है साथ ही साथ अपने पेशे को भी नही छोड़ते है। कम से कम राजनैतिक लाभ के लिये अपने पेशे से विश्वासघात करना ठीक नही है।
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5 टिप्पणियां:
सादर वन्दे !
सही पहचाना इस देश के दलाल को | खुद उसी गन्दगी में लोट रहा है और दूसरों को मना कर रहा है | अपनी कलम व जमीर तो ये बेच ही चुका है, इस देश को ही लूटकर इस देश को गाली दे रहा है, और तो और अपने आप को पत्रकार भी कहता है !
इन्ही गद्दारों पर मैंने लिखा है कि..
जब कलम का पुजारी ही
शासन के टुकड़ों का भूखा हो
तब क्यों ना क्रांति की दुन्दुभी बजे
क्यों ना छंदों का एटम बम फूटे
भ्रष्टाचार भाजता लाठी
सुरषा सी बढ़ती मंहगाई
इन्कलाब की स्याही ले
क्यों ना कलम ले अंगडाई
डाकू तो डाकू होता है
दरबार बदलने से क्या होगा
जहाँ लोक ही बिकता हो
उस लोकतंत्र का क्या होगा
लाना है यदि इन्कलाब तो
कलम के गद्दारों को जिन्दा गड़वा दो
शासन परिवर्तन पीछे है
गद्दारों को फाँसी पर चढवा दो।
रत्नेश त्रिपाठी
bilkul sahi likha aapne. rajiv shukla ji congress se jude hain aur congress me bina chaplusi k koi kam hota hi nahi. patrakaro ko kam se kam satta se dur rahna chahiye. par aajtak shukla ji ne congress ki kabhi burai nahi ki.
this Rajiv Shukla is very funny guy. I dont like him as a politician and cricket administrator:(
बड़े दिनों से मन में एक गुबार था राजीव शुक्ल के लिये । इस पोस्ट को पढ़ कर थोड़ा तनाव कम हुआ । ये साहब कांग्रेस के एक नम्बर के दलाल हैं । जागरण में इनके लेख बे सिर पैर के होते हैं । जब किसी मुद्दे पर कांग्रेस की ऐसी तैसी हो रही होती है तब ये महाराज कोई दूसरा गैर जरूरी विषय ले आयेंगे । या
एक बार पेट्रोल डिजल के दाम बढ़ाने के लिये सीख दे रहे थे कि तेल प्रति बैरल कितना मंहगा हो गया है । जबकि शुल्कों और टैक्सों को घटा दिया जाये तो प्रेट्राले की कीमत 20 रूपये से ज्यादा नहीं होगी । हद है हरामजदगी की । एक तो देश को लूट रहे हा ऊपर से बाहना भी ठीक नहीं बनाते हो ।
राजीव शुक्ला जैसों से तो ज्यादा की उम्मीद करना बेकर है, लेकिन राम जेठमलानीऽऽऽऽ ये तो गिरे हुओं के सरदार है। एक तरफ मंच पर खड़े होकर कालेधन पर भाषण देते हैं और दूसरी तरफ कनीमोई टाइप के भ्रष्ट लोगों के केस लड़ते हैं।
भाजपा को ज्यादा खतरा जेठमलानी टाइप के लोगों से है।
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