क्या आतंक का कोई रंग हो सकता है ? भारत के केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जिस प्रकार आतंक के रंग को व्याख्या की है वह न सिर्फ निंदनीय है अपितु धार्मिक उन्माद भड़काने वाला भी है। जिस व्यक्ति के हाथ मे देश की आंतरिक सुरक्षा हो वह व्यक्ति स्वयं अराजकता फैला रहा हो, उस व्यक्ति के खिलाफ नैतिकता तो यही कहती है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा मांगे अन्यथा मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिये। इस विषय पर प्रधानमंत्री का मौन पूरे कैबिनेट के द्वारा गृह मंत्री के बयान को मौन स्वीकृति प्रदान कर रहा है। आखिर कब तक इस देश के हिन्दू समाज को उकसाया जाता रहेगा ? कि वह ईंट का जवाब पत्थर से दे जिस प्रकार गोधरा के बाद गुजरात हुआ।
गृहमंत्री को भगवा शब्द के उपयोग से पहले भगवा के गौरवशाली इतिहास को भी पढ़ना चाहिये था, क्योकि चिदंबरम जैसे लोगो को क्या पता है कि वास्तव मे भगवा का महत्व हिन्दु धर्म के किस तरह महत्व रखता है। जिस भगवा की पताका हर घर मे पूजा के समय छत पर पहराई जाती है, यही भगवा पताका थी तो महाभारत के युद्ध मे रथो पर पहरा रही थी, यह वही रंग जो आज भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज मे विद्यामान है। आज कांग्रेस सरकार बहुत मत मे है उसे लगता है कि भगवा रंग आतंक का पर्याय है तो अवलिम्ब संविधान संशोधन करके राष्ट्रीय ध्वज मे से भगवा रंग को निकलवा देना चाहिये क्योकि वास्वत मे यह ध्वज भी भगवा अंश लेने के कारण आतंक का पर्याय हो हरा है।
वास्तव मे भारतीय संस्कृति के प्रतीक भगवा रंग को आतंकवाद से जोड़कर कांग्रेस गठबंधन सरकार द्वारा मुस्लिम तुष्ठिकरण नीति का पालन कर प्राचीन संस्कृति को बदनाम करने का कुचक्र रचा जा रहा है। जहाँ तक कांग्रेस के ‘भगवा आतंकवाद’ कहे जाने का सवाल है तो हकीकत यह है कि कांग्रेस वास्तविक आतंकवादियों का बचाने के लिए यह प्रचारित कर रही है। यह कांग्रेस आस्तिनो मे सॉप पाल रही है तो जो देश भक्त है उन्हे आतंकवादी धोषित कर रही है। निश्चित रूप से कांग्रेस का यह कृत्य हिन्दु समुदाय कभी नही भूलेगा और निश्चित रूप से हिन्दुओ को आपमानितक करने का परिणाम उसे भोगना ही पड़ेगा।
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9 टिप्पणियां:
दूर्भाग्य जनक कांग्रेस का आरोप नहीं है. दूर्भाग्य की बात है जो लोग भगवा से फायदा उठा रहे है वे चूप क्यों है? फिर चाहे वे बाबा हो या गुरू हो.
साथ ही जिनके लिए भगवा आस्था का प्रतिक है वे ही कहाँ भय के मारे खूल कर विरोध करते है.
गाली देने वाले से गए गुजरे है सुनाने वाले है.
बाबाओ का मौन निश्चित रूप से निन्दनीय है किन्तु जो जनआक्रोश है वह किसी से छिपा नही है। भगवा सिर्फ हिन्दु ही अपितु अन्य भारतीय समुदायों का भी धर्मिक पवित्र रंग है।
भगवे के वेश में अवांछित तत्वों का बहिष्कार ज़रूरी है, क्या एक और आर्य समाज का समय नहीं आ गया है ? हमें स्वयं से पूछना होगा.
व्यक्तिगत संकीर्ण मानसिकता की छाया जब देशीय पटल पर दिखाई जाती है तो उसकी तस्वीर कुछ ऐसे ही बनती है, जैसा गृहमंत्री जी ने बनाया है. जो की उतना ही निंदनीय है, जितना यह कहना कि हरे रंग में हमने छडी (अंकुश) लगा रखा है. इस प्रकार की भाषा का विरोध समग्र रूप से समस्त हिन्दुस्तानियों के द्वारा की जानी चाहिए. साधू, संत, फ़कीर, दरवेश की तरह आतंकवादी तथा अपराधी की भी कोई जात नहीं होती.
"जात न पूछो अपराधी की, देख लीजिये अपराध.
बन्दूक उठा कर सीधे सीने पे निशाना साध."
जय हिंद.
छद्म धर्मनिपेक्ष नेता तुष्टिकरण के लिये कुछ भी कर सकते हैं| यदि रंग धर्म का प्रतीक है तो चलिए उनकी बातों को मान लेते हैं कि "भगवा" (रंग में त्रुटी है तो फिर उन्हें "हरा" और "श्वेत" रंग के बारे में भी कहना चाहिए |
आपने सही कहा.
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बहुत अच्छा आलेख है सेकुलर और बामपंथियो कि साजिस है वे हिन्दू समाज को बदनाम करना चाहते है चितंबरम,मनमोहन सभी कैथोलिक सोनिया क़े एजेंट है आतंकबाद क़ा पोसन और राष्ट्राबाद को आतंकबादी बटन इसी शंयंत्र क़े तहत ये कार्य कर रहे है.बहुत-बहुत धन्यवाद
आपके आलेख में आम हिन्दू जनमानस की व्यथा प्रतिबिंबित है। इस संदर्भ में संजय बेंगाणी जी की टिप्पणी भी ध्यातव्य है.
बहुत सुन्दर लेख लिखा है अपने
आपको धन्यवाद
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