मंदिर टूटने से बांग्लादेशी हिंदुओं में नाराजगी है। हालांकि, बांग्लादेश में हिंदू धर्म से जुड़े प्रतीकों और त्योहारों पर हमले का मामला नया नहीं है। कुछ हफ्तों पहले दुर्गा पूजा के दौरान भी कई हिंदुओं पर हमले की बात सामने आई थी। वहीं, इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर भी शाम तक ही पूजा खत्म करने के सरकार के आदेश से भी हिंदुओं को ठेस लगी थी। लीग पर आरोप है कि इसके कार्यकर्ताओं ने रामना मंदिर इलाके में दो मूर्तियों को तोड़ डाला और आसपास की दुकानों में तोड़फोड़ मचा दी।
बांग्लादेश में हिंदुओं के दमन पर एमनेस्टी इंटरनेशनल भी चिंतित है। एमनेस्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनल पार्टी के समर्थकों द्वारा अक्टूबर के बाद से हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं। इसकी वजह है कि नेशनल पार्टी के समर्थकों को लगता है कि हिंदू अवामी लीग का समर्थन कर सकते हैं। एमनेस्टी ने इसके लिए बांग्लादेश सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि हिंदुओं पर हमले करने वाले लोगों को सज़ा भी नहीं मिल रही है।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। देश की आबादी पंद्रह करोड़ है जिसमें करीब 8 फीसदी हिंदू हैं और अन्य बौद्ध, ईसाई और आदिवासी हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और दमन का असर उनकी आबादी पर भी देखा जा सकता है। बांग्लादेश में हिंदुओं की तादाद लगातार घटती जा रही है। बांग्लादेश में 1941 में हिंदुओं की आबादी जहां 28 फीसदी थी वही 1991 में घटकर 10.5 फीसदी हो गई। हिंदुओं की आबादी 1961 से 1991 के बीच करीब 8 फीसदी घट गई।
एक आकलन के मुताबिक 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में करीब 30 लाख हिंदुओं का हत्या हो चुकी है। डॉ. सब्यसाची घोष दस्तीदार की किताब 'इंपायर्स लास्ट कैजुअलटी' में दावा किया गया है कि हिंदुओं के इस्लामीकरण के चलते इनमें से ज्यादातर हत्याएं हुईं।
बांग्लादेश में आज हिंदुओं के सामने न सिर्फ अपनी धार्मिक आस्था को बचाए रखने की चुनौती है बल्कि उन्हें नरसंहार, अपहरण, फिरौती, रंगदारी, सार्वजनिक तौर पर अपमान जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। किताब में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदू जजों, पेशेवर लोगों, अध्यापकों, वकीलो और सिविल सर्वेंट को चुन-चुनकर मारा जा रहा है। सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह है कि बांग्लादेश में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लड़के हिंदू लड़कियों का अपहरण कर उनसे जबरदस्ती शादियां कर रहे हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं के दमन पर एमनेस्टी इंटरनेशनल भी चिंतित है। एमनेस्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनल पार्टी के समर्थकों द्वारा अक्टूबर के बाद से हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं। इसकी वजह है कि नेशनल पार्टी के समर्थकों को लगता है कि हिंदू अवामी लीग का समर्थन कर सकते हैं। एमनेस्टी ने इसके लिए बांग्लादेश सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि हिंदुओं पर हमले करने वाले लोगों को सज़ा भी नहीं मिल रही है।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। देश की आबादी पंद्रह करोड़ है जिसमें करीब 8 फीसदी हिंदू हैं और अन्य बौद्ध, ईसाई और आदिवासी हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और दमन का असर उनकी आबादी पर भी देखा जा सकता है। बांग्लादेश में हिंदुओं की तादाद लगातार घटती जा रही है। बांग्लादेश में 1941 में हिंदुओं की आबादी जहां 28 फीसदी थी वही 1991 में घटकर 10.5 फीसदी हो गई। हिंदुओं की आबादी 1961 से 1991 के बीच करीब 8 फीसदी घट गई।
एक आकलन के मुताबिक 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में करीब 30 लाख हिंदुओं का हत्या हो चुकी है। डॉ. सब्यसाची घोष दस्तीदार की किताब 'इंपायर्स लास्ट कैजुअलटी' में दावा किया गया है कि हिंदुओं के इस्लामीकरण के चलते इनमें से ज्यादातर हत्याएं हुईं।
बांग्लादेश में आज हिंदुओं के सामने न सिर्फ अपनी धार्मिक आस्था को बचाए रखने की चुनौती है बल्कि उन्हें नरसंहार, अपहरण, फिरौती, रंगदारी, सार्वजनिक तौर पर अपमान जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। किताब में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदू जजों, पेशेवर लोगों, अध्यापकों, वकीलो और सिविल सर्वेंट को चुन-चुनकर मारा जा रहा है। सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू यह है कि बांग्लादेश में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लड़के हिंदू लड़कियों का अपहरण कर उनसे जबरदस्ती शादियां कर रहे हैं।
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6 टिप्पणियां:
इसके दिखाने से वोट थोड़े ही न मिलेंगे...
प्रिय प्रमेन्द्र नमस्कार । आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं । आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट को जागरण जंक्शन पर भी लगायें, कुछ लोगों की आंखें कीचड़ से सनी है और खुल नहीं रही है । आभार ।
जिस हिन्दू का खून न खौले खून नही वो पानी है
हृदय को भेद जाती है यह असहिष्णुता।
हिंदुवो की सहिष्णुता ही हिंदुवो की dushman हे
हिंदुवो की सहिष्णुता ही हिंदुवो की dushman हे
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