मेरी ईंट उसके सिर पर लगने का अफसोस था क्योंकि जानवरों के सिर पर चोट लगने से वो बच कम पाते है पर उसे ईंट लगने पर खुली चोट नहीं लगी थी इसी से मुझे थोड़ी तसल्ली थी। वह दो दिन से गायब रहा मुझे चिंता हो रही थी कि वो कहीं मर न गया हो। जब यह बात मैंने भैया को बताई तो भैया ने हंसते हुए कहा कि चोट दिमाग पर लगी है तो कहीं याददाश्त न भूल गया हो।
कल रात्रि वह कुत्ता मुझे फिर दिखा और एक टकटकी निगह से मुझे फिर देख रहा था, भौका भी नही। अचानक मैने जैसे ही एक ईट का टुकड़ा उठाने की कोशिश की वह उसी रफ्तार से भागा जैसे उस दिन भागा था और तब तक भागता रहा जब तक की आखो से ओझल न हो गया। मुझे यकीन हो गया कि वह ठीक और उसकी याददाश्त भी नही खोई। :)
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8 टिप्पणियां:
आपकी इस सच्ची घटना ने मुझे अपना बचपन का एक संस्मरण याद दिला दिया ..
मैं कक्षा ६ में पढ़ता था स्कूल दो तीन किलोमीटर दूर था ..उस दिन अकेले ही लौट रहा था ..
अचानक ही वह काला कलूटा खौफनाक कुत्ता दिखा था ..वह मेरी और बढ़ा आ रहा था ,निश्चय ही उसके इरादे नेक नहीं थे....मेरी प्रत्युत्पन मति ने तुरंत आर्डर दिया भागो नहीं नन्हे मुकाबला करो ..भागोगे तो वह पीछे से काट ही खायेगा ...
मैंने अपने वजन के हिसाबं से भी बड़े एक ईट के अद्धे को पूरी ताकत से उठा लिया ..तब तक वह खतरनाक तरीके से बिलकुल पास आ गया था ....मैंने कांपते हुए अद्धा उछाल दिया ..लाख लाख शुक्र उस परवर दिगार का कि ठीक उसके सर पर लगा और वह थोड़ी देर गोल गोल घूमा और फिर मस्त चाल से एक और चल दिया ..
इतने दिनों बाद आज समझा की उसकी स्मृति गायब हो चुकी थी ...... :) मुझे भी बड़ा खराब लगा था उस वक्त कि बिचारे के सर पर लगा था मगर फिर यह सोच कर संतोष किया यह ठीक ही हुआ नहीं तो वह कलमुंहा मुझे काट खाता और फिर वह चौदह सूईयाँ ...उफ़ !
कितनी समानता है मेरे और आपके सच्चे वृत्तांतों में ! आश्चर्यजनक !!
(मेरे इस संस्मरण को सहेज कर रखियेगा ...ये मरण के बाद भी जो रह जाते हैं इसलिए ही तो संस्मरण कहलाते हैं ... :)
एक टिप्पणी जो पोस्ट से बड़ी हो गयी ....सारी ....
aapne shi khaa jnab raajniti or desh ke dushmn bne in kutton ko bkvaasa krne or desh se gddari krne pr agr hm sb aek aek int mare to jnaab aesa hi haal hogaa or yeh chor beimaan mkkar kutte ki trh bhagne lgenge in sb ko to kutte ki trjh dodaa dodaa kr maarna chaahiye. akhtar khan akela kota rajsthan
न ही याददाश्त खोयी है और न समझ। भय बनाने में विफल रहा तो शान्ति स्थापित कर ली।
A fascinating tale from the doggie world.You ultimately made the doggie realize:जो हमसे टकरायेगा चूर-चूर हो जायेगा.
Arvind K.Pandey
http://indowaves.instablogs.com/
चलो भगवान का शुक्रिया कि वो बच गया...!
चलिए आपने मुझे समझा दिया कि कुत्तों के साथ कैसा सलूक करना चाहिए।
हम कहां ऐसा कर पा रहे हैं.. नेता तो कुत्तों को गले लगा रहे हैं..
बहुत अच्छा लिखा है भाई..................आपके सारे पोस्ट प्रासंगिक हैं।
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