माघ मास में प्रयागराज (इलाहाबाद) मे लाखो करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते है और गंगा मां के आंचल में स्नान करते है। माघ मास के सन्दर्भ में पौराणिक माहात्म्य का वर्णन किया गया है कि व्रत दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान मात्र से होती है।चूंकि यह भी कहा जाता है कि यह ऐसा पुण्य मास होता है कि आपको जहाँ भी उपलब्ध जल मिला वह गंगा जल की भांति पुण्य दायक होता है।
मै तो कहूंगा कि जिनको ठंड ज्यादा लगती है वो ठंडे पानी से प्रातः: 6 बजे तक स्नान आदि कर ले, ठंड तो उन्हें लगेगी नहीं और माघ मास में स्नान से मिलने वाले पुण्य से भी वो लाभान्वित होते रहेंगे। :)
Share:
4 टिप्पणियां:
ठंडे पानी से नहाने के बाद जो गर्माहट आती है शरीर में, वह बहुत से रोग मिटा देती है।
नए वर्ष पर शुभकामनायें प्रमेन्द्र !
ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिये, गाना आये या न आये गाना चाहिये...
बात तो सही है, बचपन में हम नहाते भी थे पर अब आदत रही नही। अब नहीं नहाया जाता ठंडे पानी से, मुझे तो सोचकर ही ठंड लग रही है।
एक टिप्पणी भेजें