अभिनंदन हे! मौन तपस्वी Abhinandan Hey Maun Tapasvi



अभिनंदन हे! मौन तपस्वी
अभिनंदन हे! मौन तपस्वी धीरोदात्त पुजारी!
तुम्हें जन्म दे धन्य हुई मां भारत भूमि हमारी!!
नव जीवन भर कर कण-कण में, बहा प्रेम रस धारा,
अमित राग मन में भर केशव साथर्क नाम तुम्हारा!
फिर बसंत की फूल रही है, आशा की फूलवारी…………
आज जागरण का स्वर लेकर मलियानिल के झोंके
प्रेम हृदय में भरते जाते कोटी कोटी सुमनों के
नव प्रभात हो रहा चतुदिर्क फैली फिर उजियारा ……।।१।। 
प्राची का मुख भी उज्ज्वल है केशव किरणें फैली
चला अंधेरा ले समेट कर अपनी चादर मैली
अंधकार अज्ञान ही त्यागी मिटी कालिमा सारी …………।। २।।
देव तुम्हारी पुण्य स्मृति में रोम रोम हषिर्त है
देव तुम्हारे पद पदमों पर श्रध्दांजलि अपिर्त है
केशव बन ध्रुव ज्योति दिखा दो जन मानस भवहारी…… ।।३।।


Share:

4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

abhinandan hey maun tapasvi.kya kahoon-khoob,bahtareen ya kuchh aur.in sabhi visheshno se uper hai apki kavita aapke bhav.
mere blog kaushal par bhi aapka hardik swagat hai...

Girish Kumar Billore ने कहा…

वाह
अदभुत
प्रमेन्द्र भाई

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत खूब..

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

धन्‍यवाद, यह गीत स्‍वरचित नही संघ मे नियमित गाया जाने वाला गीत है। धन्‍यवाद