पुंडीर क्षत्रिय की वंशावली व गोत्र

पुण्डीर एक राजपूत जाति है। यह उत्तर भारत में फैले हुए हैं उत्तर भारत मे शाकम्भरी देवी सहारनपुर इनकी कुलदेवी और कुल देवता महादेव हैं इनके नाम से हरियाणा मे एक स्थान पुण्डरी भी है ये दधिमती माता को भी अपनी कुलदेवी मानते हैं। पुंडीर ( पंडीर, पंडिर, पुंडीर, पुंडीर या पुंडीर भी लिखा गया ) उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित राजपूतों का एक सूर्यवंशी कबीला है , जो छत्तीस राजपूत कुलों में से एक है। यह शब्द स्वयं संस्कृत शब्द "पुरंदर" (पुरन्दर) से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है "शत्रु का नाश करने वाला" या "नगरों का नाश करने वाला"। पुंडीर राजपूत नाहन, गढ़वाल, नागौर और सहारनपुर में रियासत रखते हैं जहां उनकी कुलदेवी स्थित हैं। इनकी शाखा कूलवाल है और इनकी कुलदेवी शाकुंभरी देवी सहारनपुर और धादिमती माता हैं।सहारनपुर और राजस्थान में गढ़वाल में पुण्यक्षिनी देवी के साथ। वे पुलस्त्य गोत्र के हैं। अधिकांश पुंडी आज मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के आसपास स्थित हैं। पुंडीर के 
पुंडीर क्षत्रिय की वंशावली व गोत्र

  1. वंश - सूर्य
  2. कुल - पुण्डरीक/पुण्डीर/पुण्ढीर
  3. कुलदेवता - महादेव
  4. कुलदेवी - दधिमाता ( जिला - नागौर ,तहसील - जायल , गाँव - गौठ मंगलोद :- राजस्थान )
  5. गौत्र - पौलिस्त / पुलत्सय
  6. नदी - सर्यू
  7. निकास - अयोध्या से तिलांगाना व तिलंगाना से हरियाणा ( करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल) व पुण्डरी से मायापुर (हरिद्वार व पश्चिम उत्तर प्रदेश)
  8. पक्षी - सफेद चील
  9. पेड़ - कदंब
  10. प्रवर - महर्षि पौलिस्त, महर्षि दंभौली, महर्षि विश्वाश्रवस
  11. शाखा - तीसरी शताब्दी के महाराज पुण्डरीक द्वितीय से
भगवान श्री राम के पुत्र की 158वीं पिढी मे महाराज पुण्डरीक द्वितीय हुए, महाराज पुण्डरीक द्वितीय (तीसरी शताब्दी के अंत में) -- असम -- धनवंत -- बाहुनिक - राजा लक्षण कुमार (तिलंगदेव :- तिलंगाना शहर बसाया) - जढेश्नर (जढासुर :- कुरुक्षेत्र स्नान हेतु सपरिवार व सेना सहित कुरुक्षेत्र पधारे) -- मंढेश्वर (मँढासुर :- सिंधुराज की पुत्री अल्पदे से विवाह कर कैथल क्षेत्र दहेज मे प्राप्त किया व " पुण्डरी " नगर की स्थापना हुइ)  - राजा सुफेदेव - राजा इशम सिंह (सतमासा) - सीरबेमस - बिडौजी - राजा कदम सिंह (निमराणा के चौहान शस्क हरिराय से दूसरे युद्ध मे पराजय मिली व इनके पुत्र हंस ने मायापुरी मे राज्य कायम कर 1440 गाँवो पर अधिकार किया) -- हंस (वासुदेव) -- राजा कुंथल ( मायापुर के स्वामी बने व इनके 12 पुत्र हुए)  
1- अजट सिंह (इनके पुण्डीर वंशज गोगमा, हिनवाडा आदि गाँव मे है जो जिला शामली मे है)
2- अणत सिंह (इनके पुण्डीर वंशज दूधली, कसौली, कछ्छौली आदि गाँव में है)
3- लाल सिंह (अविवाहित) 
4- नौसर सिंह (पता नही) 
5- सलाखनदेव (मायापुर राज्य में रहा) 

राजा सुलखन (सलाखन देव)  के 2 पुत्र हुए
  1. राजा चाँद सिंह पुण्डीर (मायापुरी के राजा बने व दिल्ली पति संम्राट पृथ्वीराज चौहान के सामंत बने व इनका पुत्र पंजाब का सुबेदार बना, इस वीर चाँद सिंह की वीरता पृथ्वीराज रासौ में स्वर्ण अक्षरों में अमर है।)
  2. राजा गजै सिंह पुण्डीर (यहां गंगा पार कर एटा, अलीगंज क्षेत्र गए व इनके वंशज 82 गांव मे विराजमान है।)
राजा चाँद सिंह पुंडीर के 7 पुत्र हुए
  1. वीर योद्धा धीर सिंह पुण्डीर
  2. कुँवर अजय देव
  3. कुंवर उदय देव
  4. कुंवर बीसलदेव
  5. कुवर सौविर सिंह
  6. कुंवर साहब सिंह
  7. कुंवर वीर सिंह
इनमें धीर सिंह पुंडीर मीरो से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए व इनके पुत्र पावस पुंडीर तराई के अंतिम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के सहयोगी बन कर लौहाना अजानबाहू का सिर काटकर वीरगती को प्राप्त हुए, चांद सिंह के इन पुत्रों के वंशज आज सहारनपुर जिले में विराजमान है जिनके ठिकानों की संख्या कम से कम 120-130 है।

21 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आपके गोत्र की उत्पत्ति कहाँ से हुई

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  2. भाई नौसर सिंह के 12 गाँव है मेरा गाँव नौसरहेड़ी है

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  3. वीर योद्धा राजा धीर सिंह पुंडीर जी का जीवन परिचय

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  4. नौसर सिंह ने रियासत बनाई जिस गाँव को आज नौसरहेडी बोलते हैं छुटमालपुर जिला सहारनपुर मे ओर भी 4-5 गाँव बसाये

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  5. राजा नौशरसिंह जी ने 12 गांव बसाए जिसमे से गांव नौशरहेड़ी उनकी प्रमुख गद्दी रही उसके बाद खुजनावर, जीवाला,अनवरपुर बरौली,बेहड़ा, मांडला, मानकपुर,मूसेल, गधरेड़ी,रामखेड़ी, चोबारा, गंगाली हैं 🙏🚩

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