श्री पद्मनाभस्वामी मंदिरः न बने सरकारी गुलाम



आखिर क्‍यो हिन्‍दु धर्मिक स्‍थलो से प्राप्‍त सम्‍पदा को ही सरकारी नियत्रण मे लेने का प्रयास किया जाता है ? हाल मे ही दक्षिण के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के विष्‍णु मे लाखो करोड़ की सम्‍पत्ति प्राप्‍त हो रही है। क्‍या भारतीय इतिहास मे कभी जामा मस्जिद या किसी चर्च से प्राप्‍त सम्‍पति को सरकारी सम्‍पत्ति धोषित किया गया ? यदि नही तो हिन्‍दुओ के साथ ही ऐसा क्‍यो ?
माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश पर पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाने में बंद वस्तुओं की सूची बनाने के दौरान बेशकीमती खजाने का पता चला, इसमें सोने की वस्तुएं, जूलरी, बर्तन और करोड़ों रुपये कीमत के बहुमूल्य पत्थर शामिल हैं। इस मंदिर का देख भाल त्रावणकोर राज परिवार की ओर से नियुक्त एक ट्रस्‍ट करता रहा है। यह सम्‍पदा इतने सालो से सुरक्षित है इसका मललब यही निकाला जाना चाहिये कि राज परिवार ने इस धन का कभी गलत इस्‍तेमाल नही किया। यदि सरकार के हाथ मे यह सम्‍पदा होती तो 1 रूपये मे 5 पैसे ही जनता तक पहुँचे वाली कहावत ही चरित्रार्थ होती और पूरा पैसा स्‍विस बैक के नेताओ की एकाउन्‍ट मे चला गया होता है।
इस मंदिर के सरकारी नियंत्रण का पूर्ण विरोध होना चाहिये..यह हिन्‍दू समाज का मंदिर है और यह पैसा हिन्‍दू समान के लिये ही खर्च होना चाहिये। जाँच के दौरान उन हिन्‍दु रीति रिवाजो और मान्‍यताओ का भी पूर्ण पालन करना चाहिये जो कि सदियो से चली आ रही है।


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8 टिप्‍पणियां:

दिवस ने कहा…

बंधुवर आपने मूंह की बात छें ली...जब से यह मुद्दा मीडिया में आया है तब से कई ब्लॉग, फेसबुक व अन्य वेब पोर्टल पर सब वही घिसा पिता राग अलाप रहे हैं कि मंदिर के पास इतना धन कहाँ से आया? इसे राष्ट्र्रीय संपत्ति घोषित किया जाए|
लोगों को समझा समझा कर थक रहे हैं कि इस मुर्खता में मत फंसों| यदि यह पैसा सरकार के हाथ लग गया तो सीधा स्विस बैंकों में जाएगा| अभी मंदिर में सुरक्षित तो है| और सरकार को अभी सारे मंदिरों-मठों में छापे मारने की का सूझी? जहां छापे मारने हैं वहां तो मार नहीं रहे|


बाबा रामदेव के ट्रस्ट की संपत्ति है करीब ११०० करोड़ रुपये, जिसकी सरकार को बार बार जांच करनी है|
श्री श्री रविशंकर जी महाराज के आर्ट ऑफ लिविंग की संपत्ति है करीब २५०० करोड़ रुपये| बाबा रामदेव का समर्थन करने के कारण इनका भी नंबर लगने वाला है|
माता अमृतान्दमयी की संपत्ति है करीब ६००० करोड़ रुपये| इनकी भी बारी लग रही है|
पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा की संपत्ति को लेकर अभी कुछ दिन पहले बवाला मच चूका है|

वही दूसरी ओर
Brother Dinakaran जो कि एक Self Styled Christian Evangelist हैं (कभी नाम सुना है?) की संपत्ति ५००० करोड़ से ज्यादा है|
Bishop K.P.Yohannan जिन्होंने २० वर्षों में एक Christian Sector बना दिया, की संपत्ति १७००० करोड़ है|
Brother Thanku (Kottayam, Kerela) एक और Christian Evangelist, की संपत्ति ६००० हज़ार करोड़ से अधिक है|


जाकर पूछिये मायनों से या उसकी चमचागिरी करते हुए उसके तलवे चाटने वाले दिग्विजय से कि इन तीन पादरियों (जिनका नाम शायद कुछ सौ लोग ही जानते होंगे) के पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई? क्या कभी इनकी भी जांच होगी?

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

आपके विचारों से सहमत।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

हिन्दु कौन होता है,
मन्दिर की दौलत पर अधिकार जमाने वाला,

मैं नहीं कहता ये हालात कह रहे है।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

इस देश में धार्मिक स्‍थलों पर जो सम्‍पत्ति जमा है, वह स्विस बैंक से हजारों लाखों गुना ज्‍यादा है। उसका हिसाब किताब लगाया जाने चाहिए, सारा सच जनत के सामने आना चाहिए और बाकायदा उसपर टैक्‍स भी लगाया जाना चाहिए। यह वक्‍त की मांग है।
यदि हम धर्म से जुड़े स्‍थलों की सम्‍पत्ति का हिसाब किताब नहीं दे सकते, तो फिर हमें भ्रष्‍टाचार के विरूद्ध आवाज उठाने का कोई हक नहीं।
इस देश में धर्म भ्रष्‍टाचार की बडी वजह है, उसका भी समुचित इलाज जरूरी है।
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जादुई चिकित्‍सा !
इश्‍क के जितने थे कीड़े बिलबिला कर आ गये...।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अव्यवस्था के नाम पर हम जगह अधिग्रहण हो रहे हैं।

vipul panchal ने कहा…

desh me sahi natritav aane tak mandir ka paisa mandir me hi rehna cahiye,or kisi ek dharam ka paisa kisi dusre dharam k liye bhi istmal nahi honna cahiye.main bhi cahata hu ki ye paisa desh hit me lage ,but iss samay nahi.hinduo ka paisa hinduo k liye hi istamaal ho.na ki muslimo par or issaiyo par.

G.N.SHAW ने कहा…

लोभी सरकारी तंत्र में ही लूट मचाते है , इसीलिए सरकारी बनाने की हिमायत करते है ! जब तक सरकार इसे कब्जे में लेगी , tab तक बहुत kuchh लूट gayaa hogaa !

ePandit ने कहा…

यही तो, सरकार मस्जिदों और चर्चों का प्रबन्धन अपने हाथ में क्यों नहीं लेती। उनकी सम्पत्ति को सरकारी सम्पत्ति घोषित क्यों नहीं करती?