काला पानी जाने वाले जहाज पर डकैत और खूनी लोगों के साथ सावरकर जी को क अँधेरे कमरे में रखा गया। सौ से अधिक लोग वही एक कमरें मे कैद थे। सभी के स्वच्छतागृह की व्यवस्था नहीं थी। जिस कोने में मल का ड्राम भरा था उसी के पास सावरकर जी को बिस्तर डालना पड़ा। दुर्गन्ध के कारण उनकी नींद हराम हो गई। उनकी बेचैनी देखकर एक घुटा हुआ कैदी उनसे बोला.. बड़े भैया हम लोगों को इसकी आदत सी पड़ गई है। आप उस कोने मे सोइये.. वहाँ भीड़ जरूर है पर गन्दगी नहीं है... यह मैं सो जाता हूँ.. आप मेरी जगह जाइये।
उसकी इस बात को सुनकर सावरकर जी बड़े प्रभावित हुए और बोल उठे... धन्यवाद ! सभी को नाक है और नाक है तो बदबू तो आयेगी ही। आपको भी परेशानी होगी। अब तो मुझे भी काले पानी की सजा भुगतनी है तो मुझे भी ऐसी बातों की आदत करनी ही पड़ेगी.. और यह कह कर यात्रा के अंत तक सावरकर जी वही रहे।
इस प्रेरक प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई कैसा भी हो.. उच्च वर्गीय या मध्यमवर्गीय सभी को एक समान समझना चाहिये... परिस्थितियाँ कैसी भी हो हमें परिस्थिति के अनुसार ही आपने को ढालना चाहिये।
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11 टिप्पणियां:
bade hi uchch adarsh the savarkar ji ke..
ये थे सच्चे देशभक्त।
इस्लाम के तथाकथित "विद्वान"( ? ) जाकिर नाइक इन दिनों Peace TV Urdu नामक घनघोर अज्ञान फैलाने वाले चैनल से खुल्लम खुल्ला पहले से ही अंधे मुसलमानों को और ज्यादा अँधा बनाने का काम बड़े जोर शोर से कर रहा है,आदरणीय शर्मा जी के इन जबरजस्त तार्किक तथ्यों का जवाब देने की हिम्मत है तो दे, घोर अज्ञानी मोहम्मद के समान घोर अज्ञानी ये जाकिर नाइक सारे भारत के इस्लामीकरण का सपना देख रहा है,इसमें जरा भी अकल नाम की कोई चीज होती तो ये महामूर्ख नाइक मुसलमानों को हिन्दुओं को इस्लाम की दावत देने की हिदायत देने की जगह मुसलमानों को संस्कार सीखने की सलाह देता,आज इस्लाम के झूठे अहंकार से प्रभावित मुस्लिम युवक पहले से ही मिथ्या अहंकार से भरे हुए हैं,ये महामूर्ख जाकिर नाइक उन अहंकार से भरे अंधे युवकों को और ज्यादा अज्ञान के गर्त में धकेलने का काम कर रहा है,इनके इन मुर्खता पूर्ण अहंकार को देख कर बरबस ही वो कहानी याद आती है,:एक मेढक का बच्चा पहली बार एक गाय को देखकर उसके आकार को देख बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ,उसने तुरंत अपनी माँ से जाकर कहा,माँ माँ, मैंने आज एक बहुत बड़ा जानवर देखा, अहंकारी माँ ने अपनी गलफड़े फुलाकर पूछा ,क्या इतना बड़ा? बच्चे ने कहा,नहीं माँ, और भी बड़ा,माँ ने अपनी गर्दन और ज्यादा फुलाकर पूछा,क्या इतना बड़ा? बच्चे ने कहा,नहीं माँ ये तो कुछ भी नहीं,इससे बहुत ज्यादा बड़ा,अहंकार से भरी माँ गुस्से से तिलमिलाकर और ज्यादा अपने आपको फुलाने की कोशिश की,और उसका पेट ही फट गया और वो चल बसी I ठीक उसी प्रकार जाकिर नाइक सरीखे ये तमाम मुल्ला मौलवी झूठे इस्लामी अहंकार से भरे हुए अपने खोखले दिमाग से इस्लाम और मुसलमानों को "सबसे बेहतरीन मजहब" और सबसे "बेहतरीन उम्मा" साबित करने के चक्कर में सारे मुस्लिम आवाम को ही भयंकर तबाही की तरफ ले जा रहे है, ये खुल्लम खुल्ला मुसलमानों से आहवान कर रहे हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा हिन्दुओं को मुसलमान बनाये,उनके इस बेहुदे, बेहद मुर्खता पूर्ण भयंकर खतरनाक कदमो का नतीजा ये होगा,पुरे देश में भयानक दंगे की आग सुलगेगी,और फिर इनका अंजाम उसी अहंकारी मेढक जैसी ही होगी, ये इतने बेवकूफ हैं, गुजरात से इन्हें सबक नहीं मिली,ख्वाब देख रहे हैं पुरे भारत के इस्लामी करन की, ये इतने बड़े अंधे हैं,मजहब के नाम से भारत से अलग स्थापित किये गए पकिस्तान की खतरनाक और दयनीय स्थिति इन्हें दिखाई नहीं देती,ये इतने बड़े नमकहराम हैं, मजहब के नाम पर देश के तीन टुकड़े करने के बावजूद पुरे सम्मान,सौहार्द और आजादी के साथ देश में रहने का जो अवसर इन्हें दिया गया, उसका अहसान ये बेईमान लोग पुरे देश का इस्लामीकरण करके चुकाना चाहते हैं, इसका मतलब अब इस्लाम और मुसलमानों का अहंकार अपने चरम सीमा तक पहुँच गया है, अब इनके समूल खात्मे को भगवान भी रोक नहीं सकते, ये अपने सबसे बड़े आत्मघाती मंजिल तक बस पहुँचने ही वाले हैं, भगवान से प्रार्थना है कि इनके समूल सफाए के पहले किसी तरह इनको थोड़ी सी अकल मिल जाये,ताकि अपने साथ साथ पुरे मुस्लिम आबादी को बेमौत मरने से बचा सकें I
परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेना चाहिये।
तभी तो वे वीर सावरकर थे| ऐसे वीर सेनानी को शत शत नमन:...
परिस्थितियाँ कैसी भी हो हमे परिस्थिति के अनुसार ही आपने को ढालना चाहिये। - बहुत ही सुन्दर !
बहुत ही प्रेरक पोस्ट
पर दुःख इस बात का है कि आज ऐसे लोगों की कद्र नहीं है |
बहुत ही प्रेरक पोस्ट
पर दुःख इस बात का है कि आज ऐसे लोगों की कद्र नहीं है |
वीर सावरकर का तो सम्पूर्ण जीवन प्रेरणादायक है।
प्रिय बंधुवर
सादर वंदे मातरम् !
ब्लॉग की हर पोस्ट प्रशंसनीय है
वीर सावरकर जी जैसे प्रेरक आदर्श व्यक्तित्व का पूरा जीवन अनुकरणीय है ।
सही है-
परिस्थितियां कैसी भी हो हमे परिस्थिति के अनुसार अपने को ढालना चाहिये ।
♥श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Bhannaat post
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