- संसार में इससे बढ़कर हंसी की दूसरी बात नहीं हो सकती कि जो दुर्जन हैं, वे स्वयं ही सज्जन पुरुषों को "दुर्जन" कहते हैं। - वेदव्यास (महाभारत, आदिपर्व, 74/95)
- यदि जगत् में कोई पाप है, तो वह है दुर्बलता। दुर्बलता ही मृत्यु है, दुर्बलता ही पाप है, इसलिए सब प्रकार से दुर्बलता का त्याग कीजिए। - स्वामी विवेकानन्द (युवकों के प्रति, पृष्ठ 27)
- संसार का एक भी आदमी जब तक भूखा है, जानो कि संसार का प्रत्येक मनुष्य तब तक अपराधी है। - विमल मित्र (साहब बीबी गुलाम, पृष्ठ 101)
- उत्साह-शून्य, दु:खी, कमजोर और शत्रुओं को आनंदित करने वाले पुत्र को कोई भी जननी जन्म न दे। - नारायण पंडित (हितोपदेश, पृष्ठ 2/7)
- सफलता का एक ही मंत्र - जितना मिले, उससे ज्यादा लौटाओ - शिव खेड़ा
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2 टिप्पणियां:
प्रेरक विचार..
अच्छी अच्छी बातें
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