अखिलेश सरकार का एक बार फिर बैक गेयर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के कब्रिस्तानों की चहारदीवारी बनाकर सुरक्षा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 200 करोड़ स्वीकृत किए जाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका के बाद उत्तर प्रदेश सरकार याचिका के भावी असर और भद्द पीटने के डर से पूर्व में जारी शासनादेश वापस ले लिया, इससे पहले याची के अधिवक्ता बी एन सिंह ने उक्त जनहित याचिका की नोटिस 5 अक्टूबर को प्रदेश सरकार को दिया था, इस नोटिस के बाद प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया की सरकार ने 11 अप्रैल,12 के शासनादेश को रद्द कर 8 अक्टूबर, 12 को नया शासनादेश जारी कर मुस्लिमों के आलावा अल्पसंख्यक समुदाय के सभी कब्रिस्तानों व मरघटों की सुरक्षा को शामिल कर लिया गया है।
सरकार के जवाब के बाद इस मामले की सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अमिताव लाला तथा न्यायमूर्ति अशोक श्रीवास्तव की खंडपीठ ने शासनादेश वापस लिए जाने के बाद बलिया की संघट प्रबंध समिति की जनहित याचिका को अर्थहीन करार दिया। याचिका पर अधिवक्ता बी एन सिंह तथा प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (द्वितीय) कमरुल हसन सिद्दीकी ने पक्ष रखा। याची का कहना था कि सरकार धर्म विशेष के कब्रगाहों की सुरक्षा के लिए सरकारी धन खर्च नहीं कर सकती है प्रदेश सरकार क यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन है।
अच्छा हुआ.
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