अभी कुछ मित्रों से करेली (इलाहाबाद का मुस्लिम बाहुल्य इलाका) में मिल कर आ रहा हूँ, वहां एक नाला बहता है जो खून से काफी कुछ लाल हो चुका था और शाम तक पूरी तरह से खून से लाल हो जायेगा। जो आगे जाकर बिना साफ़ सफाई के यमुना नदी में मिल जाता है..
रास्ते में १५-२० पड़वा (भैस के बच्चे) अटला कसाई खाने की ओर हाके लिए जा रहे थे , पेट पर कुछ खास चिन्ह थे जो काटे जाने की ओर इशारे करते है... और ये जानवर अपनी मौत से अनजान ख़ुशी से आगे बढ़े चले जा रहे थे।
यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओं के मुबारक बाद है ?
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