श्री रामनरेश यादव का जन्म एक जुलाई 1928 ई. को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, जिले के गांव आंधीपुर(अम्बारी) में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। आपका बचपन खेत-खलिहानों से होकर गुजरा। आपकी माता श्रीमती भागवन्ती देवी जी धार्मिक गृहिणी थीं और पिता श्री गया प्रसाद जी महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डा. राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे। आपके पिताजी प्राइमरी पाठशाला में अध्यापक थे तथा सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे। श्री यादव को देशभक्ति, ईमानदारी और सादगी की शिक्षा पिताश्री से विरासत में मिली है। आपका भारतीय राजनीति में विशिष्ट स्थान है। आप कर्मयोगी और जनप्रिय नेता हैं। स्वदेशी एवं स्वावलंबन आपके जीवन का आदर्श है। आपके बहुमुखी कृतित्व एवं व्यक्तित्व के कारण आप बाबूजी'' के नाम से जाने जाते हैं।
श्री रामनरेश यादव का विवाह सन् 1949 में श्री राजाराम यादव निवासी ग्राम-करमिसिरपुर (मालीपुर) जिला-अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)की सुपुत्री सुश्री अनारी देवी जी ऊर्फ शांति देवी जी के साथ हुआ। आपके तीन पुत्र और पांच पुत्रियां हैं। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के विद्यालय में हुई और आपने हाईस्कूल की शिक्षा आजमगढ़ के मशहूर वेस्ली हाई स्कूल से प्राप्त की। इन्टरमीडिएट, डी.ए.वी. कालेज, वाराणसी से और बी.ए., एम.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्राप्त की। उस समय प्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक एवं विचारक आचार्य नरेन्द्र देव काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति थे। विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं जनक पंडित मदनमोहन मालवीय जी के गीता पर उपदेश तथा भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं तत्कालीन प्रोफेसर डॉ. राधाकृष्णन के भारतीय दर्शन पर व्याख्यान की गहरी छाप आप पर विद्यार्थी जीवन में पड़ी।
श्री यादव ने स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वाराणसी में चिन्तामणि एंग्लो बंगाली इन्टरमीडिएट कालेज में प्रवक्ता के पद पर तीन वर्षों तक सफल शिक्षक के रूप में कार्य किया। आप पट्टी नरेन्द्रपुर इंटर कालेज जौनपुर में भी कुछ समय तक प्रवक्ता रहे। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद सन् 1953 में आपने आजमगढ़ में वकालत प्रारम्भ की और अपनी कर्मठता तथा ईमानदारी के बल पर अपने पेशे तथा आम जनता में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
श्री यादव ने छात्र जीवन से समाजवादी आन्दोलन में शामिल होकर अपने राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की शुरूआत की। आजमगढ़ जिले के गांधी कहे जाने वाले बाबू विश्राम राय जी का आपको भरपूर सानिध्य मिला। श्री यादव ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और डाक्टर रामनोहर लोहिया के विचारों को अपना आदर्श माना है। आपने समाजवादी विचारधारा के अन्तर्गत विशेष रूप से जाति तोड़ो, विशेष अवसर के सिद्धान्त, बढ़े नहर रेट, किसानों की लगान माफी, समान शिक्षा, आमदनी एवं खर्चा की सीमा बांधने, वास्तविक रूप से जमीन जोतने वालों को उनका अधिकार दिलाने, अंग्रेजी हटाओ आदि आन्दोलनों को लेकर अनेकों बार गिरफ्तारियां दीं। आपातकाल के दौरान आप मीसा और डी.आई. आर के अधीन जून 1975 से फरवरी 1977 तक आजमगढ़ जेल और केन्द्रीय कारागार नैनी इलाहाबाद में निरूद्ध रहे। आप अपने राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन में विभिन्न दलों एवं संगठनों तथा संस्थाओं से संबद्ध रहे। राज्यसभा सदस्य तथा संसदीय दल के उपनेता भी रहे। आप अखिल भारतीय राजीव ग्राम्य विकास मंच, अखिल भारतीय खादी ग्रामोद्योग कमीशन कर्मचारी यूनियन और कोयला मजदूर संगठन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ग्रामीणों और मजदूर तबके के कल्याण के लिये लम्बे समय तक संघर्षरत रहे। बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय में एक्सिक्यूटिव कॉसिंल के सदस्य भी थे। अखिल भारतीय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) रेलवे कर्मचारी महासंघ के आप राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, और आप जनता इंटर कालेज अम्बारी आजमगढ़ (उ.प्र.) के प्रबंधक हैं तथा अनेकों शिक्षण संस्थाओं के संरक्षक भी हैं तथा गांधी गुरूकुल इन्टर कालेज भंवरनाथ, आजमगढ़ के प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी हैं।
श्री रामनरेश यादव 23 जून 1977 को उत्तरप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए। मुख्यमंत्रित्व काल में आपने सबसे अधिक ध्यान आर्थिक, शैक्षणिक तथा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े लोगों के उत्थान के कार्यों पर दिया तथा गांवों के विकास के लिये समर्पित रहे। आपने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुरूप उत्तरप्रदेश में अन्त्योदय योजना का शुभारम्भ किया। श्री यादव सन् 1988 में संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य बने एवं 12 अप्रैल 1989 को राज्यसभा के अन्दर डिप्टी लीडरशिप,पार्टी के महामंत्री एवं अन्य पदों से त्यागपत्र देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
आपने मानव संसाधन विकास संबंधी संसदीय स्थायी समिति के पहले अध्यक्ष के रूप में आपने स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति के चहुंमुखी विकास को दिशा देने संबंधी रिपोर्ट सदन में पेश की। केन्द्रीय जन संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत गठित हिन्दी भाषा समिति के सदस्य के रूप में आपने महत्वपूर्ण योगदान दिया। वित्त मंत्रालय की महत्वपूर्ण नारकोटिक्स समिति के सदस्य के रूप में सीमावर्ती राज्यों में नशीले पदार्थों की खेती की रोकथाम की पहल की। प्रतिभूति घोटाले की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य के रूप में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। पब्लिक एकाउंट कमेटी (पी.ए.सी.), संसदीय सलाहकार समिति (गृह विभाग), रेलवे परामर्शदात्री समिति और दूरभाष सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में आप कार्यरत रहे। आप कुछ समय तक कृषि की स्थाई संसदीय समिति के सदस्य तथा इंडियन काँसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च की जनरल बाडी तथा गवर्निंग बाडी के सदस्य भी रहे। आपका लखनऊ में अम्बेडकर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने में काफी योगदान था।
श्री रामनरेश यादव ने सन् 1977 में आजमगढ़ (उ.प्र.) से छठी लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। आप 23 जून 1977 से 15 फरवरी 1979 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। आपने 1977 से 1979 तक निधौली कलां (एटा) का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया तथा 1985 से 1988 तक शिकोहाबाद (फिरोजाबाद) से विधायक रहे। श्री यादव 1988 से 1994 तक (लगभग तीन माह छोड़कर) उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सदस्य रहे और 1996 से 2007 तक फूलपुर(आजमगढ़) का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। सम्प्रति श्री रामनरेश यादव मध्यप्रदेश के राज्यपाल हैं।
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