आइएसआइएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया ) दुनिया भर में कोहराम मचा रखा है। ऐसा माना जाता है कि इस संगठन को महिलाओं से खास नफरत है। ये संगठन हर कीमत पर अपना साम्राज्य फैलाना चाहता है! आइएसआइएस के मानवता को तार-तारकरने वाले कृत्य है इसे बिन्दुवार समझा जा सकता है।
- दहशत और आतंक का पर्याय बन चुके आतंकी संगठन आइएसआइएस ने एक नया फरमान जारी करते हुए कहा है कि गैर मुस्लिम महिलाओं संग सेक्स करना जायज है।
- यह कट्टरवादी संगठन अपने इस इरादे को पूरा करने के लिए छोटी नाबालिग बच्चियों को भी नहीं बख्शता है। खुले आम महिलाओं की बोली लगाना, उनकी खरीद-फरोख्त करना और उनके साथ बलात्कार करना इस संगठन के लिए बहुत आम बात हो गई है।
- आइएसआइएस इराक के शहर मोसुल में महिला बंदियों और उनकी स्वतंत्रता पर सवाल-जवाब वाले शीर्षक संबंधी पर्चों को वितरित करवा रहा है। इस पर्चे में उनके सभी नियम कायदों का ब्योरा है जिसके लिए वो दबाव बनवा रहे हैं। इन पर्चों में यह भी कहा गया है कि गैर मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को किसी को भी बेचा जा सकता है और उन्हें किसी को गिफ्ट के तौर पर भेंट भी किया जा सकता है।
- आइएसआइएस ने इराक में अपने कब्जे वाले इलाके में 11 से लेकर 46 साल तक की सभी महिलाओं को खतना करने का फरमान सुनाया है।
- ये संगठन 12 से 13 साल के बच्चों को बहला फुसला कर अपने संगठन में शामिल करता है और उन्हें वीडियो दिखाकर प्रशिक्षत करता है।
- अभी हाल ही में इन्होंने दो जापानी व्यक्तियों को बंधक बनाया था और उनको छोडऩे के बदले इस संगठन ने जापानी सरकार के 200 मिलियन अमेरीकी डालर की मांग की थी।
- ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आइएसआइएस में 200,000 सैनिक होंगे ।
जनवरी से सितंबर के बीच में इस संगठन से लगभग 9 हजार लोगों को मारा होगा और इसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल होंगे। दिनदहाड़े लोगों कि हत्याएं करना इस संगठन के लिए बहुत आम बात है। सीआइए के एक नवीनतम आकलन में कहा गया है कि इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुके आतंकवादी समूह इसलामिक स्टेट के लड़ाकों की संख्या 31,500 से ज्यादा है और यह आंकड़ा पूर्व के अनुमान से करीब तीन गुना अधिक है। आइएसआइएस अलकायदा से टूट कर बना एक समूह है और इसने इराक तथा सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. इससे क्षेत्र में खतरा पैदा हो गया है. अलकायदा ने ग्रुप से अपने आपको दूर रखा है।
आज भारत में मुस्लिमो के विरूद्ध छोटी सी छोटी घटना को इतना तूल दिया जाता है और उसे नाक का प्रश्न बना दिया जाता है. किन्तु वैश्विक स्तर पर हो रही इस्लामिक हिंसा जिसमे करीब 5 लाख लोगो को जान से मार दिया गया उसे प्रति न तो भारत का मुस्लमान मुंह खोलने की स्थिति में है और न ही भारत के मुस्लिम परस्त नेता ही.
इस्लाम की वास्तविकता यह है कि इस्लाम एक लूटेरों का गिरोह था और कुरान इन लूटेरों की नियमावली जिसमे आतंक और हिंसा के नियम कायदे पंजीकृत किये गए थे. इस्लाम सिर्फ इस्लाम को मानने वालो का साथ रहने और खाने की अनुमति देता है और गैर मुस्लिमों के साथ कुछ भी आइएसआइएस अफ्रीका के देशों में कर रहा है वह किसी से छिपा नही है. आतंक की नियमावली कुरान गैर मुस्लिमों अनभिज्ञ है और इनका अनभिज्ञ होना भी आवश्यक है।
मानव एकता और भाईचारे के विपरीत कुरान का मूल तत्व और लक्ष्य इस्लामी एकता व इस्लामी भाईचारा है जैसा कि आईएसआईएस कर रहा है. मुसलमानों का गैर मुसलमानों के साथ मित्रता रखना कुरान में मना है और कुरान मुसलमानों को दूसरे धर्मो के विरूद्ध शत्रुता रखने का निर्देश देती है। कुरान के अनुसार जब कभी जिहाद हो ,तब गैर मुस्लिमों को देखते ही मार डालना चाहिए। कुरान में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सूरा 3 की आयत 118 में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो।" लगभग यही बात सूरा 3 कि आयत 27 में भी कही गई है, "ईमानवाले मुसलमानों को छोड़कर किसी भी काफिर से मित्रता न करे।"
सन 1984 में हिंदू महासभा के दो कार्यकर्ताओं ने कुरान की 24 आयातों का एक पत्रक छपवाया । उस पत्रक को छपवाने पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया परन्तु न्यायालय ने कुरान और इस्लाम के विभिन्न साहित्यों के अध्यन से पाया कि ये आयते मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति द्वेषभावना भड़काती है. इस विश्लेषण के बाद तुंरत ही कोर्ट ने दोनों कार्यकताओं रिहा कर दिया और कोर्ट ने "कुरान मजीद का आदर करते उल्लेखित किया कि इन आयतों के सूक्ष्म अध्यन से पता चलता है कि निम्न आयते मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति द्वेषभावना भड़काती. "उन्ही आयतों में से कुछ आयतें निम्न है :-
- "जब पवित्र महीने बीत जाए, तब काफ़िर जहा कही भी मिल जाए ,उन्हें घेर लो ,उन्हें पकड़ लो, हर जगह उनकी ताक में में छिपकर बैठो और उनपर अचानक हमला कर दो, उन्हें मार डालो |यदि वो प्रायश्चित करे, इस्लाम कबुल कर ले और नमाज पढ़े तो उन्हें छोड़ दो | वास्तब में अल्ला बहुत छ्मादानी और दयावान हैं " _कुरान :-सूरा 9 आयात 5 ||
- "हे इमां वालो अपने पिता व भाइयों को अपना मित्र न बनाओ ,यदि वे इमां कि अपेक्षा कुफ्र को पसंद करें ,और तुमसे जो मित्रता का नाता जोडेगा तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे। " सुरा 9 की आयत 23 इस आयत में नव प्रवेशी मुसलमानों को साफ आदेश है कि,जब कोई व्यक्ति मुस्लमान बने तो वह अपने माता , पिता, भाई सभी से सम्बन्ध समाप्त कर ले।
- सुरा 4 की आयत 56 तो मानवता की क्रूरतम मिशाल पेश करती है कि ”जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खाले पक जाएँगी ,तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसा-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।”
- सुरा 32 की आयत 22 में लिखा है “और उनसे बढकर जालिम कोन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा चेताया जाए और फ़िर भी वह उनसे मुँह फेर ले।निश्चय ही ऐसे अप्राधिओं से हमे बदला लेना है।”
- सुरा 9 ,आयत 123 में लिखा है की,” हे ईमानवालों, उन काफिरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास है, और चाहिए कि वो तुममे शक्ति पायें।”
- सुरा 2 कि आयत 193उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए. ”
- सूरा 26आयत 94 तो वे गुमराह (बुत व बुतपरस्त) औन्धे मुँह दोजख (नरक) की आग में डाल दिए जायंगे.”
- सूरा 9, आयत 2 ”हे ईमानवालों (मुसलमानों) मुशरिक (मूर्ती पूजक) नापाक है। ”
- गैर मुसलमानों को समाप्त करने के बाद उनकी संपत्ति ,उनकी औरतों ,उनके बच्चों का क्या किया जाए ? उसके बारे में कुरान ,मुसलमानों को उसे अल्लाह का उपहार समझ कर उसका भोग करना चाहिए।
- सूरा 48,आयत 20 में कहा गया है ,…..”यह लूट अल्लाह ने दी है। ”
- सूरा 8, आयत 69”उन अच्छी चीजो का जिन्हें तुमने युद्ध करके प्राप्त किया है,पूरा भोग करो।
- सूरा 14, आयत 13 ”हम मूर्ती पूजकों को नष्ट कर देंगे और तुम्हे उनके मकानों और जमीनों पर रहने देंगे।”
- मुसलमानों के लिए गैर मुस्लिमो के मकान व संपत्ति ही हलाल नही है, अपितु उनकी स्त्रिओं का भोग करने की भी पूरी इजाजत दी गई है।
- सूरा 4,आयत 24”विवाहित औरतों के साथ विवाह हराम है , परन्तु युद्ध में माले-गनीमत के रूप में प्राप्त की गई औरतें तो तुम्हारी गुलाम है ,उनके साथ विवाह करना जायज है। ”
- अल्बुखारी की हदीस जिल्द 4 सफा 88 में मोहम्मद ने स्वयं कहा है, “मेरा गुजर लूट पर होता है । ”
- अल्बुखारी की हदीस जिल्द 1 सफा 199 में मोहम्मद कहता है ,.”लूट मेरे लिए हलाल कर दी गई है ,मुझसे पहले पेगम्बरों के लिए यह हलाल नही थी। ”
Share:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें