इस अधिनियम का मूल मंतव्य यह है कि लोकतांत्रिक शासन में सरकार और सरकारी मशीनरी जनता के प्रति जवाबदेह हो तथा सरकारी मशीनरी के क्रियाकलाप में पारदर्शिता हो। अधिनियम के माध्यम से भारत के प्रत्येक नागरिक को लोक प्राधिकारियों के नियंत्रण में जो काई भी सूचनाएं उनके कार्य-कलापों के संबंध में उपलब्ध होती है, उन्हें देने की व्यवस्था की गई है। इसका उददेश्य लोक प्राधिकारियों के कार्यकलापों में पारदर्शिता लाना है और जवाबदेह बनाना है। प्रत्येक कार्यलय को सूचना देने के लिए जन सूचना अधिकारी का नामांकन किया जाना आवश्यक है। उनका दायित्व है कि वह सभी विषयों में किसी भी नागरिक के द्वारा आवेदन पर मांगी गई सूचना प्रदान करें, यदि सूचना अधिनियम की धारा 8 (1) के अंतर्गत नहीं आती है तो अधिनियम में यह व्यवस्था भी की गयी है कि सूचना चाहे जाने पर यदि जन सूचना अधिकारी समय पर संबंधित को जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जाती है तो ऐसे अधिकारियों को केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य सूचना आयोग द्वारा दंडित किया जा सकता है। उम्मीद यह है कि इस अधिनियम के माध्यम से नागरिकों को जो जानकारी कार्यालयों से प्राप्त नहीं होती थी, उन्हें प्राप्त करने में उनको सुलभता होगी । यह अधिनियम जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में दिनाँक 12 अक्टूबर,2005 से लागू हो चुका है।
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 15 के अंर्तगत उत्तर प्रदेश में राज्य सूचना आयोग का गठन राज्य करकार की अधिसूचना संख्या 856/43-2-2005-15/2 (2)/ 2003 टी सी-4 दिनांक 14-09-2005 द्वारा किया गया है | उत्तर प्रदेश में आयेग का गठन होने के उपरान्त शासन ने राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर माननीय न्यायमूर्ति श्री एम0 ए0 खान को नियुक्त किया जिन्होंने शपथ ग्रहण कर कार्यभार दिनांक 22-03-2006 को ग्रहण कर कार्य प्रारम्भ किया | मुख्य सूचना आयुक्त तथा राज्य सूचना आयुक्त नियुक्ति के लिए वही व्यक्ति पात्र है जो सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित/उत्कृष्ठ है तथा जिन्हे जानकारी / ज्ञान विधि विज्ञान तथा सामाजिक सेवा प्रबन्धन, पत्रकारिता, मासमीडिया, प्रशासन और शासन के क्षेत्र का व्यापक ज्ञान हो अधिनियम की धारा 15(7) के अनुसार राज्य सूचना आयोग का मुख्यालय ऐसी जगह होगा जिसे सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए। राज्य सरकार की राय से राज्य सूचना आयेग राज्य के अन्य स्थानों में अपने कार्यलय स्थापित कर सकेगा। राज्य सूचना आयोग का मुख्यालय एवं कार्यालय इन्दिरा भवन अशोक मार्ग के छठे तल पर स्थित है। आयोग से निम्नांकित नंबरों पर टेलिफोन एवं फैक्स के माध्यम से सम्पर्क किया जा सकता है ।
1 दूरभाष , राज्य सूचना आयेग (0522) 2288599
2 फैक्स, राज्य सूचना आयोग (0522) 22886001 दूरभाष , राज्य सूचना आयेग (0522) 2288599
अधिनियम की धारा 16 के अनुसार राज्य मुख्य सूचना आयुक्त पांच वर्षो की पदावधि के लिए पद धारण करेंगे। उन्हें पुनर्नियुक्ति की पात्रता नही होगी। यदि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त अपने कार्यकाल के दौरान 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेते है, उसके पश्चात पद धारण नहीं कर सकेंगे। राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल में भी 5 वष्र से अधिक नहीं होगा। राज्य सूचना आयुक्त मुख्य सूचना आयुक्त पद पर नियुक्ति की पात्रता रखेंगे, परन्तु उनका कार्यकाल दोंनो पदों को मिलाकर केवल पांच वर्ष ही रहेगा। राज्य मुख्य सूचना आयुकत का दर्जा केन्द्रीय निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त के समकक्ष रखा गया है, उन्हें देय वेतन एवं भत्ते तथा सेवा की अन्य निबंधन और शर्ते निर्वाचन आयुक्त के समान प्राप्त होगी, जहॉ तक राज्य सूचना आयुक्त का सवाल हे, उन्हे राज्य सरकार के मुख्य सचिव के समकक्ष वेतन, भत्ते एवं अन्य सेवा शर्ते प्राप्त होंगी। यहॉ यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का पद माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष है। मुख्य सूचना आयुक्त तथा अन्य आयुक्त किसी भी समय त्याग- पत्र देकर अपना पद छोड़ सकते है विशेष परिस्थितियों में धारा 17 के अन्तर्गत राज्यपाल द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय को किये गये रिफरेंस पर जांच के बाद राज्यपाल के आदेश द्वारा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त को प्रमाणित/सिद्ध. दुर्व्यवहार तथा असमर्थता (अक्षमता) के आधार पर हटाया जा सकता है।
राज्य सूचना आयोग के कर्तव्यों और दायित्वों का उल्लेख सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 18 से 20 में किया गया है। वस्तुत: राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील एवं शिकायतें ही की जा सकती है। राज्य सूचना आयोग दोषी अधिकारियों पर शास्ति भी आरोपित कर सकता है और राज्य शासन को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए अनुशंसा भी कर सकता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6 के अन्तर्गत सूचना प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम जन सूचना अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जाना चाहिये। प्रत्येक लोक प्राधिकारी का दायित्व है कि वह अपने प्रत्येक कार्यालय में अधिनियम की धारा 5 के अनुसार जन सूचना अधिकारी नामांकित करें। उप जिला या उप संभाग स्तरीय कार्यालयों में सहायक जन सूचना अधिकारी नामांकित किये जाने का प्रावधान है। सहायक जन सूचना अधिकारी को सूचना प्राप्त करने संबंधी आवेदन / ज्ञापन प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया गया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6 के अन्तर्गत सूचना प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम जन सूचना अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जाना चाहिये। प्रत्येक लोक प्राधिकारी का दायित्व है कि वह अपने प्रत्येक कार्यालय में अधिनियम की धारा 5 के अनुसार जन सूचना अधिकारी नामांकित करें। उप जिला या उप संभाग स्तरीय कार्यालयों में सहायक जन सूचना अधिकारी नामांकित किये जाने का प्रावधान है। सहायक जन सूचना अधिकारी को सूचना प्राप्त करने संबंधी आवेदन / ज्ञापन प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया गया है।
सूचना का अधिकार अधिनियम को प्रभावशाली करने की दृष्टि से अधिनियम की धारा 20 में राज्य सूचना आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि यदि कोई जन सूचना अधिकारी बिना किसी यथोचित कारण के किसी सूचना के लिए प्रस्तुत किए गये सूचना के आवेदन को लेने से इन्कार करता है अथवा निर्धारित समयावधि में सूचना नहीं देता है या किसी दुराग्रह से मांगी गई सूचना नहीं देता है या जान बूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना प्रदान करता है या जो सूचना उसे प्रदान करनी है उसे प्रदान नहीं करता है तो उस पर 350 रूपये प्रतिदिन की दर से दण्ड लगाया जा सकता है। यह दण्ड अधिकतम रूपये 25,000/- तक हो सकता है। राज्य सूचना आयोग को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह इस प्रकार के व्यक्ति पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए अनुशंसा कर सकता है। यह कार्यवाही राज्य सूचना आयोग तभी कर सकता है जबकि उसे किसी शिकायत या अपील में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आती है कि उसमें कार्यवाही की जानी आवश्यक है।
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि इस संबंध में कार्यवाही राज्य सूचना आयोग को स्वयं अपील अथवा शिकायत की सुनवाई के दौरान जो तथ्य या आचरण सामने आता है उसके आधार पर दण्ड लगाने का अधिकार है। राज्य सूचना आयोग को किसी प्रकार का दण्ड अधिरोपित करने के पूर्व संबंधित जन सूचना अधिकारी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए अलग से अवसर प्रदान करना आवश्यक है।
यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि इस संबंध में कार्यवाही राज्य सूचना आयोग को स्वयं अपील अथवा शिकायत की सुनवाई के दौरान जो तथ्य या आचरण सामने आता है उसके आधार पर दण्ड लगाने का अधिकार है। राज्य सूचना आयोग को किसी प्रकार का दण्ड अधिरोपित करने के पूर्व संबंधित जन सूचना अधिकारी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए अलग से अवसर प्रदान करना आवश्यक है।
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