हम राम राज्य की कल्पना भी करते हैं और हम कृष्ण राज्य की बात क्यों नहीं करते?




त्रेता के राम और द्वापर के कृष्ण में बहुत अंतर है.. राम ने अपने आप को एक सामान्य पुरुष जैसा जीवन जिया और कभी जाहिर नहीं होने दिया कि वो भगवान है. अपने माता पिता के सम्मुख कभी भगवान रूप में नहीं आये और एक सामान्य पुरुष के रूप में आदर्श प्रस्तुत किया.

जबकि श्रीकृष्ण पल-पल और हर घडी यह दिखते दिखे कि वो भगवान है, बचपन से लेकर महाभारत के युद्ध तक.. यहाँ तक कि विराट रूप भी शामिल है.. कभी उनकी लीला सामान्य पुरुष जैसे थी ही नहीं.

राम जैसा आचरण ही राम राज्य की कल्पना का कारण है..


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